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बाई को चोदा बहाने से

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बात उन दिनों की है जब मैं दिल्ली में एक कंपनी में नौकरी करता था. हम लोगों ने एक घर किराये पर ले रखा था. घर में तीन कमरे थे. पहला कमरा एक बड़ा ड्राइंग रूम था और बाकी दो कमरे बेडरूम थे. मैं आखरी वाले कमरे में रहता था बिल्कुल अकेला.

हमने एक काम वाली रखी जो सिर्फ़ 19 साल की थी. देखने में तो वो ठीक थी, लेकिंग उसके मम्मे बहुत ही बड़े थे. उसका नाम कमला था. कमला आगरा की रहने वाली थी लेकिन उन दिनों वो अपने माँ बाप के पास रहती थी क्योंकि उसके पति के साथ झगडा हो गया था. उन दिनों मेरा लण्ड बहुत ही ज़्यादा परेशान करता था मुझे.

कमला रोज़ सुबह ७ बजे आती थी और पहले झाडू पोचा करती थी और फिर वोह हम लोगो का खाना बनाती थी. मेरे मन में वो पहले दिन से ही छा गई थी, और मैं उसकी चूत मारने की सोचता रहता था.

एक रोज़ वोह सुबह सुबह जब मेरे कमरे में झाडू कर रही थी तो मैंने उसे सर दबाने के लिए कहा, उसने आने कोमल हाथों से मेरा सर दबाना शुरू कर दिया. फिर तो यह रोज़ के किस्सा हो गया. धीरे धीरे मैंने उसके हाथ पकड़ना शुरू कर दिया और जब उसने कुछ नहीं कहा तो मेरी हिम्मत और भी बढ़ गई. फिर एक सुबह मैंने अपना सर दबवाते हुए उसके मम्मे पकड़ लिए और वोह मुझसे अपना हाथ छुड़वा कर चली गई. मैंने सोचा कोई बात नहीं तुझे तो मैं अच्छे से चोदूंगा.

एक शाम को मेरे दोस्त ने कहा कि उसको १० दिन के लिए जयपुर जाना पड़ेगा ऑफिस के काम से. मेरी तो जैसे लॉटरी ही निकल गई.

अब बस मैं अकेला ही बचा था उस फ्लैट में. अगली सुबह जब कामवाली ने दरवाज़े की घंटी बजाई तो मैंने दरवाज़ा खोला और वो मुझे देख कर चौंक गई.
मैंने कहा- मेरा दोस्त जयपुर गया है, १० दिन बाद लौटेगा.
कमला ने शायद यह भांप लिया था कि अब तो उसको चुदना ही पड़ेगा. खैर मैंने उसे कहा कि तुम आज खाना सिर्फ़ मेरे लिए और अपने लिए ही बनाना. फिर उसने झाडू लगना शुरू किया तो मैं वापस अपने बिस्तर पर आ कर लेट गया.

जब वोह मेरे कमरे में आई तो मैंने उसे कहा- कमला, आज शरीर में बहुत दर्द हो रहा है, लगता है आज छुट्टी लेनी पड़ेगी।
उसने कहा- मैं आपको दबा देती हूँ.

फिर कमला ने मुझे धीरे धीरे दबाना शुरू किया. मुझे तो लग रहा था जैसे मैं जन्नत में हूँ. मैंने उससे पूछा- कमला, तुम अपने घरवाले के पास क्यों नहीं जाती हो?
तो उसने जवाब दिया- वो मुझे छोड़ कर चला गया था एक लड़की पैदा होने के बाद, अब आता है माफ़ी मांगने के लिए लेकिन मैं उस पर कैसे विश्वास कर लूँ?

फिर मुझे समझ में आ गया कि उसकी चूत मारने में ज़्यादा टाइम नहीं लगेगा. मैंने धीरे धीरे उसे कहा की मेरी पीठ को भी दबाओ. उसने मेरा कहना माना और वो मेरे बिस्तर पर बैठ गई. मैंने उसकी जांघ पर हाथ फेरना शुरू किया और उसने ज़्यादा आना कानी नहीं की. फिर मैंने उसकी चुचियों को उसके कमीज़ के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया और वोह कराहने लगी. मैंने ज़्यादा टाइम बर्बाद नही करते हुए उसके बिस्तर पर लेटा लिया और उसका कमीज़ निकल दिया. फिर मैंने उसके होठों पर अपने होंठ रखे और एक लम्बी सी किस दे दी. फिर मैंने उसकी ब्रा उतारी और मैंने उसके मम्मे चाटना शुरू कर दिया. वो तो जैसे सातवें आसमान पर थी. मैंने उसके मम्मों को दबाना भी जारी रखा. उसने कहा अब बस भी करो, अगर मैं जोश में आ गई तो गड़बड़ हो जायेगी.

मैंने उसकी सलवार उतारी और उसकी जाँघों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया. धीरे धीरे मैंने उसके जाँघों पर अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया. वोह ” ऊउह्ह्ह आआ आआःः ऊऊऊईई कर रही थी, और मैं रुकने का नाम भी नहीं ले रहा था.

फिर मैंने उसकी पैंटी उतारी और उसकी टांगें फ़ैला कर उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया. उसकी चूत में से एक नमकीन सा स्वाद आ रहा था. उसकी गर्मी बढती जा रही थी उसने मेरा लण्ड ज़ोर ज़ोर से हिलाना शुरू कर दिया. मैंने अपने सारे कपड़े उतारे और उसके मुँह में अपना लण्ड रख दिया. उसने मेरे लण्ड को लोलीपोप के जैसे चूसना शुरू कर दिया.

मैंने फिर उसकी चूत को ज़ोर ज़ोर से चाटना शुरू किया और वोह भी मेरे लण्ड को चूस रही थी।

फिर मैंने अपना लण्ड उसके मुँह से निकाला और उसकी चूत पर रख दिया और एक ज़ोर से धक्का मारा. मेरा ६.५” का लण्ड उसकी चूत में चला गया. उसकी तो जैसे जान जी निकल गई और बोली ” ज़रा धीरे धीरे से करो ना, बहुत दर्द हो रहा है, आपका लण्ड तो बहुत ही मोटा, और तगड़ा है, मुझे बहुत दर्द हो रहा है”

मैंने अपना लण्ड थोड़ा सा बाहर निकाला और पूछा,” अब ठीक है क्या?”
वोह बोली,” हाँ अब ठीक है”

फिर मैंने धीरे से एक और धक्का मारा और इस बार मेरा सारा का सारा लण्ड उसकी चूत में समां गया.

“ऊऊओह्ह्ह अहह्ह्छ साहब बहुत अच्छा लग रहा है! चोद दो मुझे! आज से मैं आपकी हो गई हूँ! आह्ह्ह् उफ्फ्फ उईईई आआआ! बहुत मज़ा आ रहा है!”

मैं उसकी चुदाई ज़ोर ज़ोर से करने लगा और साथ में उसके मम्मों को चूस रहा था. मुझे बहुत दिनों के बाद कोई अच्छी चूत मिली थी इसलिए मैं अपनी सारी भड़ास निकलना चाहता था. मैंने उसके मम्मे चूसने के साथ साथ दबाना भी चालू रखा था. उसकी सिसकियों से कमरे का माहौल काफ़ी गरम हो रहा था.

ऊऊऊ आआआ अह्ह् ह्ह्ह्हछ उईईई! साहब और ज़ोर से करो ना! मुझे और प्यार करो! मेरा पानी निकाल दो! आज बहुत दिनों के बाद एक असली मर्द से पला पड़ा है! आआआ आआह्ह्ह ऊऊउह्ह्ह्ह ह्ह आआआ आआआ! मैं आआअ रहीईई हून्न्न साहब!

मैंने भी ज़ोर ज़ोर से उसको पेलना शुरू रखा और थोड़ी देर के बाद मैं भी आ गया उसकी चूत में सारा माल निकाल दिया मैंने अपना.

उसने मेरा लंड अपने मुँह से साफ़ किया और फिर मेरी बांहों में आ कर लेट गई.

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