गर्लफ्रेंड को चोदा सिनेमा हॉल में

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सिनेमा हाल में चुदाई की यह कहानी मेरी और मेरी गर्लफ्रेंड की है. हम दोनों चुदाई करना चाहते थे तो मैंने थियेटर में में चुदाई का प्लान किया. वहां जाकर हमने कैसे मजे किये?

पहाड़ों में नित्या का कौमार्य भंग करने के बाद हम फ़ोन पर सेक्स चैट करने लगे। उससे बार बार मुलाक़ात होना पारिवारिक पाबंदियों के चलते मुनासिब नहीं था। मैं फिर से उसके यौवन का रस चखना चाह रहा था.

देर सवेर ऊपर वाला भी साथ जरूर देता है.
नित्या को दुर्ग में कुछ काम था. हम दोनों ने साथ में पिक्चर देखने का प्लान बनाया। पिक्चर किसे देखना था, हमें तो चुदाई का मज़ा लेना था। इसलिए मैंने पहले ही रिसर्च कर रखा था कि किस सिनेमा में भीड़ नहीं के बराबर होगी।

उन दिनों आफताब शिवदासानी की मूवी ‘सुनो ससुरजी’ आई थी। मैं दोपहर 2.30 बजे भिलाई से दुर्ग के अप्सरा टाकीज़ पहुँच गया और मैंने वहां जाकर दो टिकट बालकनी के ले लिये. उस दिन नित्या बस से दुर्ग बस स्टैंड आई.

मैं पहले ही बस स्टैंड में उसका इंतजार कर रहा था। वह हरे रंग का सलवार सूट पहन कर आई थी। वैसे मैं पहली कहानी में भी उसके जिस्म का वर्णन कर चुका हूं लेकिन नये पाठकों के लिए एक बार फिर से बता देता हूं.

नित्या 5 फीट की हाइट वाली एक गोरी लड़की थी. उसकी चाल बहुत ही मादक थी. अभी कमसिन कली थी तो आप समझ सकते हैं कि उसका फिगर कितना मस्त होगा. उसकी चूत का उद्घाटन मैंने ही किया था.

उस दिन जब वो दोबारा मिली तो उसकी नजरें शर्म से झुकी हुई थीं. इतने दिनों के बाद मैं उससे मिला था. उसको देखते ही लंड पैंट में खड़ा होकर बेचैन हो गया था.

आते ही मैंने उसको बाइक पर बैठने का इशारा किया और हम फटाक से वहां से चल निकले. हम सीधे अप्सरा टॉकीज पर गये. जब तक हम पहुंचे तो पिक्चर शुरू हो चुकी थी और 10 मिनट की निकल भी चुकी थी.

हमने सीधे बालकनी में प्रवेश किया और वहां पर पूरा अंधेरा था. बालकनी काफी बड़ी थी. हमें सीट पीछे से तीसरी लाइन में बीचों बीच मिली थी. बॉय ने टोर्च दिखा कर सीट बता दी. हम अपनी सीट पर जा बैठे।

अन्दर आते वक़्त चिंता थी कि कहीं ज्यादा लोग न हो, पर जैसा सोचा वैसा पाया। पूरी बालकनी में हमें मिलाकर केवल 4 लोग थे. हमारे अलावा एक और यंग कपल था बस।

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पिक्चर चल रही थी। थिएटर वाला बॉय आना जाना कर रहा था, उसे शक हो रहा होगा कि कहीं हम यहां पर सिनेमा सेक्स का खेल खेलने तो नहीं आये? इसलिये वो बार बार वहां पर चेक करने के लिए आ रहा था.

अब हमने भी धीरज से काम लिया और चुपचाप मूवी देखते रहे. हम भी इंतजार में थे कि जब ये आश्वस्त हो जायेगा उसके बाद ही कुछ करेंगे. हमने थोड़ा इंतजार करना ही बेहतर समझा.

हमारे पास पूरे ढाई घंटे थे. नित्या मेरे कंधे पर सिर रखकर बैठी हुई थी. उसकी एक बांह मेरे बाजू में आकर मुझसे लिपटी हुई थी. वो इतनी सहज थी कि जैसे उसे किसी बात का डर ही नहीं था.

मैंने उसके माथे को चूमा और हथेलियों को सहलाने लगा। अँधेरे में पर्दे से हल्की-हल्की रोशनी आ रही थी. मैंने नज़र घुमाई तो उस कपल के सिर छाया जैसे दिखने लगे थे. वे हमसे काफी दूरी पर बैठे थे।

मैं बॉय के आने जाने का आकलन करने लगा। मूवी करीब 20-25 मिनट निकल गयी थी अब तक। मैंने नित्या के चेहरे को हल्का सा उठाया और उसके रसीले होठों को चूमने लगा।

वह गुलाब की तरह महक रही थी और उसके नाज़ुक पतले रसीले होंठ बहुत ही उत्तेजित कर रहे थे। इतने दिनों बाद उसके रस का पान करने पर मन तो कर रहा था कि काट ही खाऊं उन्हें।

बॉय ने इस बार दरवाजे को बंद किया, जैसे वो खुद ही आने जाने से थक गया हो। अब मैं भी पूरा आश्वस्त हो गया था. मैं कपडे़ के ऊपर से ही नित्या के उरोजों को छूने और सहलाने लगा.

उसने नीचे से ब्रा नहीं पहनी थी. न ही पैंटी ही पहनी थी. उसने कमीज के नीचे बस एक अंगिया (हाफ ढीला बनियान जैसा ब्रा) पहना था। नित्या ने बताया कि जब से वो घर से निकली है तब से सिनेमा सेक्स के बारे में सोचकर काफी उत्तेजित हो रही है और उसकी चूत भी गीली हो चुकी है.

वो कह रही थी कि उसकी चूत का रस उसकी जांघों पर बह निकला है. मैंने चेक करने के लिए उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी जांघों को छूकर महसूस किया. उसकी सलवार सच में ही गीली हो चुकी थी.

उसकी चूत के रस से गीली होकर उसकी सलवार उसकी जांघों से जैसे चिपक सी गयी थी. उसकी चुदास के बारे में सोचकर ही मेरा लंड एकदम से पूरा अकड़ गया. मैं उसको उत्तेजना में चूमने लगा. उसके होंठों को चूसते हुए उनका रसपान करने लगा.

मैंने उसके हाथ को अपनी जीन्स पर रखवा दिया. फिर नित्या ने मेरी जीन्स की जिप को नीचे खींच दिया. उसने मेरी टाइट जीन्स की जिप के अन्दर हथेली को फंसाने की कोशिश की लेकिन उसको काफी मशक्कत करनी पड़ रही थी.

असली खेल शुरु करने से पहले मैंने नज़र घुमाई. जहाँ वो कपल बैठे थे वहां मुझे सिर्फ एक सिर नज़र आया।

मैं समझ गया कि उनका खेल पहले ही चालू हो चुका है।
फिर मैंने तुरंत अपनी बेल्ट खोल ली और गांड को ऊपर उठाकर जीन्स को जांघों तक सरका दिया।

नित्या भी सीट के सामने घुटनों के बल आ बैठी. उसने दोनों ओर देखा और फिर मेरे लंड को अपने हाथ में ले लिया.
लंड को हाथ में लेकर पहले उसने लंड की सख्ती और उत्तेजना को जैसे जांचा और फिर मुंह खोलकर अपने होंठों को लंड पर कस दिया.

मेरी तो जैसे आह्ह … निकल गयी.

उसने लंड को पूरा मुंह में भरा और अन्दर गले तक ले जाकर उसको महसूस किया. फिर उसने मेरे लंड को जीभ से चाटा. फिर उसने दोबारा से लंड को मुंह में भरा और चूसने लगी.

मैंने उसके दोनों उरोजों को दोनों हाथों से दबाना और सहलाना शुरू कर दिया.

वह मदमस्त होकर मेरे लंड का मज़ा ले रही थी। अब वो लंड को पूरा मुंह में लेकर मज़े से चूसने लगी थी। उसकी हर हरकत में एक कामुक प्रेयसी सा प्यार महसूस हो रहा था. मैं बहुत ही उत्तेजित हो गया था।

सीट की लाइन के बीच ज्यादा बड़ी दूरी नहीं थी। इसलिए मैंने नित्या को पर्दे की तरफ चेहरा कर खड़ी होने को कहा। उसने वैसा ही किया और घूमकर अपने घुटनों पर खड़ी हो गयी.

उसके उरोजों को दबाते हुए अब मैं उसकी पीठ पर चूमने लगा। फिर मैंने नित्या को झुकने के लिए कहा और उसकी सलवार को नीचे सरका दिया. उसकी मस्त गदरायी चौड़ी गांड मेरे सामने थी.

मैंने दोनों हाथों से नितम्बों को खूब दबाया और चूमने लगा. मेरे होंठ उसके चूतड़ों पर लगे तो वो सिहर उठी. फिर मैंने अपने अंगूठों से उसके नितम्बों को फैला दिया और बोला- नित्या, तुम्हें नहीं पता कि इस खूबसूरत कली और इसकी खुशबू को मैंने कितना मिस किया है.

इतना कहकर मैं उसकी चूत को चाटने लगा. उसकी चूत में मैंने जीभ अंदर घुसा दी और उसको अंदर बाहर करने लगा. पहले से ही नित्या बहुत ही उत्तेजित थी और उसकी चूत पूरी गीली थी.

उसकी चूत के रस की एक एक बूंद मैं चाट रहा था। ऐसा लग रहा था कि वो मेरे मुंह पर झड़ने वाली है. उस मादक पल का मुझसे इंतजार नहीं हो रहा था. मैं चाहता था कि वो जल्दी से झड़े और मैं उसकी चूत का अमृत जैसा रस पी जाऊं.

मैं तेजी से चूत के दाने को चाटने लगा। मैं जानता था कि किसी भी पल मुझे अब वो मीठा अमृत मिलने वाला है जिसके लिए मैं इतना तरस गया था. उसका बदन अब कसने लगा था. वो अपनी उत्तेजना के चरम पर थी.

वाह! क्या नज़ारा था … झुकी हुई नित्या, उसके गदराये मांसल नितम्ब मेरी तरफ, सामने पर्दे पर मूवी, तेज आवाज़, पर्दे से आती हल्की रोशनी और मेरा चेहरा उसके नितम्बों के बीच में … और मैं जीभ से चूत के दाने से छेड़ छाड़ करता ही जा रहा था.

नित्या के मुंह से आह्ह … आह्ह … जैसी कामुक आवाजें निकल रही थीं जिनको वो धीमे से भी धीमी रखने की कोशिश कर रही थी मगर उसकी चूत की आग उसको जोर से सिसकारने पर मजबूर कर रही थी.

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फिर एकाएक उसका बदन अकड़ गया और उसकी चूत से अमृत की धार बह पड़ी. मैंने उसकी चूत का गर्म गर्म रस सारा का सारा पी लिया. उसकी चूत का अमृत रस पीकर मैं जैसे धन्य हो गया.

मैंने एक एक बूंद का रसपान किया और वो पलटकर मुझसे चिपक गयी। वह बहुत चुदासी हो चुकी थी और बोली- मुझे वो चाहिए अभी, मुझे दो अपना वो, अभी के अभी.

फिर मैंने उसे कुछ पल फ्रेंच किस किया। उसके बाद मैंने उसको अपने से अलग किया और उससे कहा कि अब मेरे लंड की सवारी करने के लिए तैयार हो जाओ.

नित्या फिर उसी स्थिति में पलट गयी। अब उसने धीरे से अपनी चूत को मेरे लंड के ऊपर रखा और उसकी सवारी करने के लिए तैयार हो गयी. उसने चूत के मुंह को लंड के सुपारे पर रखकर आगे से सीट के सिर को पकड़ लिया था.

उसकी चूत मेरे लंड को निगल जाने के लिए पूरी तरह से तैयार थी.
लंड को चूत में लेने से पहले वो पीछे मुड़कर बोली- मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि हम यहां थियेटर में चुदाई करने वाले हैं. मुझे बहुत रोमांच महसूस हो रहा है और मेरी चूत लगातार पानी छोड़ती जा रही है.

मैं बोला- अगर आगे भी मौका मिलता रहा तो मैं तुम्हें ऐसी ऐसी जगहों पर चुदाई का मजा दिलवाऊंगा कि तुम याद रखोगी.
वो बोली- ठीक है, अब डाल दो, बहुत मन कर रहा है.

वह धीरे धीरे नीचे होते हुए लंड पर बैठने लगी और मेरे मोटे लंड को अपनी तंग चूत में समाने की कोशिश करने लगी. पहली बार जब उसको मैंने पहाड़ों में चोदा था तो उसकी चूत बहुत ही ज्यादा टाइट थी.

आज नित्या दूसरी बार सेक्स कर रही थी और वह भी बहुत दिनों के बाद। आज भी उसकी चूत बहुत टाइट थी। मैंने उसकी कमर पकड़ कर हाथों से उसे नीचे धकेला।

मेरे मोटे लंड का टोपा उसकी चूत में घुसा तो वो एकदम से उचक गयी. उसकी चूत बहुत गीली होने के बावजूद भी वह दर्द से कराह उठी। मगर उसने किसी तरह की आवाज नहीं की.

फिल्म की आवाज़ और खाली बालकनी की वजह से न नित्या और न ही मैं कोई आवाज़ कर रहे थे. बस एक दूसरे का साथ दे रहे थे। भले ही वह दर्द में थी परन्तु मेरे और उसके लिए यह भाव शाश्वत था।

हमारा इस तरह थियेटर में चुदाई का रिस्क लेना उसे बहुत ही उत्तेजित कर रहा था. उसने धीरे धीरे मेरे पूरे लंड को अपनी टाइट चूत में समा लिया. अब मेरा पूरा लंड उसकी गर्म कसी हुई चूत में डूब चुका था.

लंड की शाफ्ट पर उसकी चूत की गर्मी मुझे अलग से ही महसूस हो रही थी. अब वो धीरे धीरे मेरे लंड पर ऊपर नीचे होने लगी. फिर उसको मजा आने लगा. उसकी चूत में मेरा लंड फंस फंसकर उसकी चूत की दीवारों को रगड़ रहा था.

नित्या की चूत में अब लंड का पूरा मजा मिलने लगा और वह बड़ी तेजी से ऊपर नीचे होने लगी. मेरे दोनों हाथ नित्या के नितम्बों पर थे। वह कामुक रति की भांति मेरे लंड की सवारी कर रही थी और मैं मदमस्त होकर इस दृश्य का आनंद ले रहा था।

अब उसकी उत्तेजना एक बार फिर से चरम पर पहुंच गई और वो तेजी से उछलते हुए मेरे लंड पर ही झड़ गयी. उसकी चूत ने एक बार फिर अपने गर्म गर्म रस से मेरे लंड को भिगो दिया. इसके साथ ही मेरा जोश भी कई गुना ज्यादा हो गया.

उसकी चूत के रस से अब अंदर और ज्यादा चिकनाई हो गयी थी और मेरा लंड मलाई की तरह उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था. मैं अपने आप को संभाल नहीं पा रहा था।

मैं नित्या की कमर को पकड़ कर तेजी से ऊपर-नीचे करने लगा।
उफ़ … क्या पल था … मेरा पानी आने ही वाला था।

मैंने नित्या को उठने का इशारा कर बाजू में सरकने को कहा।
जैसे ही वो उठी तो मैंने अपने लंड को हाथ में पकड़ा और जोर से दो बार मुठियाते हुए पिचकारी सामने वाली सीट पर छोड़ दी. सारा माल सामने वाली सीट पर जा लगा.

नित्या ने मुझे बांहों में भर लिया. वो मेरे सीने को सहलाते हुए मुझे चूमने लगी. मैं भी उसकी कमीज में हाथ देकर उसकी नंगी पीठ पर उंगलियां फिराने लगा.

कई मिनट तक हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे. फिर सिनेमा सेक्स के बाद हम अपने कपड़े व्यवस्थित करके बैठ गए. नित्या मेरी गोद में बैठी रही।
हमने एक बार फिर काफी देर तक रोमांटिक अंदाज में फ्रेंच किस किया।

फिर वो अलग होकर बोली- मुझे गया नगर छोड़ दो. मुझे यहां से अपने रिश्तेदार के घर जाना है.
मैंने कहा- ठीक है, कुछ ही देर में इंटरवल होने वाला है. उसके बाद हम यहां से निकल लेंगे.

20 मिनट बाद इंटरवल हो गया. हमने अपने कपड़े पूरी तरह से ठीक ठाक किये और फिर वहां से बाहर निकल आये. उसके बाद मैंने नित्या को गया नगर छोड़ा और वह वहां से आगे निकल गयी.

थियेटर में चुदाई करने के बाद मैं नित्या से दो-तीन बार फिर से मिला. उसके साथ मिलन के हर पल का मैंने पूरा आनंद लिया. हम दोनों ने बहुत ही कामुक और आनंददायी पल गुजारे.

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