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विधवा मकान मालकिन की चुदाई

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मकान मालकिन सेक्स सटोरी मे आप पढेंगे कि में दो साल तक एक घर में किराए पर रहता था. फिर मुझे एक दूसरे घर का पता चला जिस घर में सिर्फ़ एक विधवा महिला रहती है.. अपने 10 महीने के बच्चे के साथ. वो घर मेरे ऑफिस से भी पास था.. तो में एक दिन उस घर में रहने के लिए उसे पहली बार देखने गया था.

फिर मैंने जैसे ही दरवाजे पर घंटी बजाई तो सिंपल सी साड़ी पहनी हुई एक ज़वान, खूबसूरत लड़की ने दरवाज़ा खोला. तो मैंने उससे कहा कि में घर देखने आया हूँ और मकान मालकिन से मिलना चाहता हूँ. तो उसने बोला कि वो खुद मकान मालकिन है और यह बात सुनते ही मुझे एक ज़ोरदार झटका लगा.. क्योंकि उसे देखकर लग ही नहीं रहा था कि उसकी शादी हो चुकी है और वो एक 10 महीने के बच्चे की माँ भी है. मेरी तो अब बोलती ही बंद हो गई थी.

फिर मैंने अपने आप को संभाला और उसके साथ घर देखने लग गया और घर बहुत अच्छा था इसीलिए मैंने बिना कुछ सोचे उसे एक साल का किराया एडवांस में दे आया. फिर वहाँ से आने के बाद में उस रात को उस लड़की के बारे में सोच सोच कर सो नहीं पाया और उसका नाम कीर्ति था. वो दिखने में बहुत सुंदर थी और उसका रंग गोरा था.. उसकी उम्र 23 साल थी.. लेकिन उसके पति का स्वर्गवास 9 महीने पहले ही हो चुका था. फिर दो दिन बाद में उस घर में शिफ्ट हो गया. पहले तो वो मुझसे जब भी बात करती थी तो सर पर पल्लू लेकर ही बात करती थी. फिर धीरे धीरे वो मुझसे बिना पल्लू लिए ही बात करने लगी और में हर दिन की तरह अपने काम के कारण बहुत व्यस्त होता था.

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फिर दो महीने बाद एक दिन रात को में अपने रूम में बैठकर अपने लेपटॉप पर कुछ काम कर रहा था कि मेरे घर के दरवाजे की घंटी बजने लगी और मैंने घड़ी की तरफ देखा तो रात के 2.15 बजे हुए थे. तो मैंने दरवाज़ा खोला तो देखा कि कीर्ति बाहर खड़ी थी और वो बहुत घबराई हुई थी. तो मैंने उसे अंदर आने के लिए कहा तो उसने कहा “प्लीज़ आप मेरे साथ चलिए. फिर में बिना कुछ बोले उसके साथ चला गया और जाते ही उसने बताया कि उसकी बेटी की तबीयत बहुत खराब है और वो बेहोश हो गई है.

फिर मैंने उससे पूछा कि क्या हुआ था? तो उसने बताया कि कुछ दिनों से उसकी बेटी को बहुत तेज़ बुखार था. फिर मैंने उसे कहा कि आप मेरे साथ इसी समय हॉस्पिटल चलिए और मैंने अपनी गाड़ी बाहर निकाली और में उन दोनों को लेकर जल्दी से हॉस्पिटल पहुंच गया.

फिर वहाँ पर मैंने उसकी बेटी को बहुत ही मुश्कील से डॉक्टर को दिखाया.. डॉक्टर ने उसे देखा और बोला कि इसे ज़्यादा सर्दी के कारण निमोनिया हो गया है और उसने उस बच्ची को तुरंत आईसीयू में भर्ती करवाया और उसका इलाज शुरू कर दिया.. पूरी रात में और कीर्ति आईसीयू में रहे. फिर सुबह 8.30 बजे जाकर उस बच्ची को होश आया और उसके बाद दो दिन तक हम वहाँ पर रहे और मैंने भी ऑफिस से छुट्टी ले ली थी.

फिर हम तीसरे दिन बच्ची को घर लाए और घर आते ही मैंने माँ और बेटी हो उनके घर में छोड़कर अपने घर जाने लगा तो कीर्ति ने मुझे रोका और वो मेरे पैरो पर गिरकर रोने लगी.. मुझे बड़ा अजीब सा लगा और मैंने उसे बार बार उठने को कहा.. लेकिन वो नहीं उठी तो मजबूरन मुझे उसे उठना पड़ा. फिर उसने कहा कि में आपका एहसान कभी नहीं भूल सकती.. अगर आज आप नहीं होते तो पता नहीं मेरी बच्ची का क्या होता? भगवान ने आपको हमारे लिए फरिश्ता बनाकर भेजा है. तो मैंने कहा कि में कोई फरिश्ता नहीं हूँ.. अगर आपकी जगह कोई भी होता तो में उसकी मदद जरुर करता.. प्लीज आप रोइए मत और अपनी बेटी के साथ कुछ देर आराम कर लीजिए में अभी चलता हूँ फिर आऊंगा और अगर कुछ भी ज़रूरत हो तो मुझे बुला लीजिएगा.. इतना कहकर में वहाँ से चला गया.

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फिर में रोज़ ऑफिस से आते ही उनके घर जाकर उनका हालचाल पूछता था और फिर कुछ दिनों बाद उस बच्ची की तबीयत ठीक हो गई और मेरा वहाँ पर आना जाना भी कम हो गया. एक दिन में ऑफिस आया तो मुझे पास ही के एक गार्डेन में कीर्ति और उसकी बच्ची मिली. तो कीर्ति ने मुझसे कहा कि आप तो हमे भूल गये है अब तो आप घर भी नहीं आते. फिर मैंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है..

में कुछ दिनों से थोड़ा काम में व्यस्त था. तो कीर्ति ने कहा कि आप चेंज करके मेरे घर पर आइए.. हम साथ बैठकर चाय पिएँगे. पहले तो मैंने मना किया और फिर बाद में कीर्ति ने बहुत ज़िद की तो में मान गया और में उसके घर पर गया. फिर उसने हम दोनों के लिए चाय बनाई और वो साथ में खाने के लिए कुछ नमकीन भी लाई. चाय पीते पीते मैंने उससे पूछा कि इतने बड़े घर में वो अकेली कैसे घर में और कोई नहीं है क्या?

तो उसने बताया कि मेरी लव मेरिज हुई थी और मेरे पति एक प्राईवेट कंपनी में सेल्स मेनेजर थे और उनका इस दुनियाँ में कोई था. यह उनके दादाजी का बंगला है.. उनके माता, पिता की बचपन में ही म्रत्यु हो गई थी तो वो अपने दादाजी के साथ ही रहते थे. हम दोनों कॉलेज में एक साथ पढ़ते थे और मेरे पति का नाम पवन था. जब पवन की नौकरी लगी तो वो मेरा हाथ माँगने मेरे घर गये.. लेकिन उन्हें अनाथ कहकर मेरे पापा ने हमारी शादी करने से मना कर दिया.

फिर हम दोनों ने घर से भागकर शादी की तो मेरे घर वालो ने उस दिन से हमसे रिश्ता तोड़ दिया और में मुंबई की रहने वाली हूँ. फिर एक दिन एक कार एक्सिडेंट में मेरे पति की मौत हो गई.. तब पवन के दादाजी ज़िंदा थे.. लेकिन पवन के जाने के बाद उनको भी हार्ट अटेक आया और वो भी 6 महीने पहले गुज़र गये और उनके जाने के बाद इस घर में सिर्फ़ में और मेरी 9 महीने की बेटी ही रह गए. फिर घर खर्च चलाने के लिए में नौकरी करना चाहती थी.. लेकिन अभी मेरी बेटी छोटी है तो उसके लिए मुझे घर में रहना होगा. फिर यह बात सोचकर मैंने घर का एक हिस्सा किराए पर देने का सोचा और आप आ गए लगता है कि भगवान को भी हमारी फ़िक्र थी इसीलिए आप जैसा एक अच्छा इंसान हमारे घर में रहने के लिए भेज दिया.

फिर कीर्ति यह सब बातें कहते कहते रो रही थी. तो मैंने उसे कहा कि आप रोईए मत और मुझे अपना दोस्त ही समझिए.. जब भी आपको मेरी ज़रूरत होगी में हाज़िर हो जाऊंगा. तो कीर्ति ने कहा कि मुझे आप मत कहिए.. तुम कहिए मुझे अच्छा लगेगा. फिर हम दोनों ने बैठकर ढेर सारी बातें की.. उस रात मैंने खाना भी उसके घर पर ही खाया. फिर में अपने रूम में आ गया और उस रात को सोते वक़्त में कीर्ति के बारे में सोच रहा था कि बैचारी लव मेरिज की सज़ा भुगत रही है..

उस दिन के बाद कीर्ति ने मुझे उसके घर पर खाने के लिए बोला.. लेकिन मैंने मना कर दिया और मेरे मना करने के बाद भी वो रोज़ रात को मेरे लिए खाना लाने लगी. तो मैंने उससे कहा कि तुम इतनी तकलीफ़ मत करो.. में तुम्हारे घर आकर खाना खा लूँगा. फिर ऐसे हमारी दोस्ती गहरी होने लगी और धीरे धीरे हम दोनों एक दूसरे के करीब आने लगे. फिर में उन दोनों माँ बेटी को छुट्टियों में बाहर घूमने ले जाता था.

फिर एक दिन मैंने कीर्ति से कहा कि अब वो पहले जैसी थी वैसी ही रहे.. नहीं तो बाहर के लोग इधर उधर की बातें करने लगेंगे. तो उसने मेरी बात मान ली और वो फिर से खुश रहने लगी और में उसे अपने ऑफिस से लाया हुआ काम देने लगा तो वो उसे भी करने लगी. फिर हम दोनों की दोस्ती कब प्यार में बदल गयी पता ही नहीं चला और फिर एक दिन मैंने उससे शादी के बारे में पूछा तो उसने मना कर दिया और वो बोली कि रोहन मैंने अपनी लाईफ में जबसे प्यार के बारे में जाना है तब से पवन को ही चाहा है और उससे ही शादी भी की.. लेकिन में उसकी जगह किसी और को नहीं दे सकती और तुम्हारे लिए मेरे दिल में बहुत प्यार है.. लेकिन में शादी नहीं कर सकती. उसकी बातें सुनने के बाद मैंने फिर कभी उससे शादी करने के लिए नहीं पूछा और फिर धीरे धीरे में उसके साथ उसके घर में रहने लगा.

फिर एक दिन रात को में अपने कमरे में बैठकर काम रहा था और तभी कीर्ति आई.. उसने एक लाल कलर की मेक्सी पहनी थी और अभी अभी नहाकर आई थी तो उसके बदन में पानी की बूंदे थी और बाल भी थोड़े थोड़े भीगे रहे थे. तो जब मैंने उसे इस हालत में देखा तो पहली बार मेरे अंदर उसे चोदने का ख्याल आया और उस दिन से पहले मैंने कभी उसे हाथ भी नहीं लगाया था या ऐसा सोचा भी नहीं था.. लेकिन उस दिन वो क्या क़यामत ढा रही थी और उसे देखकर मेरे तो पसीने छूट गये. फिर में अपने बेड से उठा और उसके पास जाकर बोला कि आज तो तुम ग़ज़ब ढा रही हो और तुम्हे देखकर में अपने आपको भूल गया हूँ और में अब अपने आपको कंट्रोल नहीं कर पा रहा हूँ. यह सुनकर उसने बोला कि तुम्हे कंट्रोल करने के लिए किसने कहा है में तो कब से तुम्हारी हूँ.. लेकिन तुम हो कि मुझे भाव ही नहीं देते.

फिर उसकी यह बातें सुनकर मैंने उसे अपनी बाहों में ले लिया और उसने भी मुझे कसकर पकड़ लिया और फिर वो बोली कि पवन के जाने के बाद आज पहली बार में किसी के इतने करीब आकर गले लगी हूँ. मैंने उसका चेहरा पकड़ा और होंठ पर किस किया वो मदहोश होने लगी. फिर में उसे बाहों में उठाकर बेड पर ले आया और लेटा दिया और में उसके ऊपर चढ़ गया. फिर में उसके मुहं के अंदर जीभ डालकर किस करने लगा और साथ साथ चूचीयों को दबाने लगा.. ऐसा 10-12 मिनट तक चला. फिर मैंने उसकी मेक्सी को खोल दिया. अंदर उसने गुलाबी कलर की ब्रा और पेंटी पहन रखी थी. गोरे बदन में वो चमक रही थी. मैंने उसके पीछे हाथ डालकर ब्रा का हुक खोलकर दूर फेंक दिया.. मेरे सामने उसकी बड़ी बड़ी चूचीयाँ आ गई और में बिना रुके उसके ऊपर टूट पड़ा.

जैसे ही मैंने उसकी एक चूची को मुहं में डालकर चूसने लगा उसके मुहं से ओहहह की आवाजें आने लगी और वो मेरे बालों में हाथ फैर रही थी. उसकी बच्ची छोटी थी तो उसके बूब्स से दूध भी निकल रहा था मेरा मुहं उसके दूध से भर गया था. फिर में धीरे धीरे नीचे की तरफ बढ़ने लगा और उसकी नाभि को किस करके जीभ घुमाने लगा और एक हाथ उसकी चूत के ऊपर रखकर पेंटी के ऊपर से ही सहलाने लगा. चूत से अब पानी निकल रहा था तो पेंटी पूरी गीली हो गयी थी. फिर मैंने उसकी पेंटी को भी उतार फेंका और उसकी फूली हुई गोरी चूत मेरी आँखों के सामने आ गई और उसकी चूत में बाल थे.. लेकिन बाल बहुत छोटे छोटे थे.

फिर मैंने चूत का मुहं खोला तो कीर्ति आह्ह्ह करने लगी और फिर में उसकी चूत के दाने को दांत से काटने लगा और चूत को ज़ोर ज़ोर से काटने लगा तो वो तड़पने लगी और मेरे सर को पकड़कर चूत में दबाने लगी. उसके मुहं से अहह ओहआआअ उम्फ्फ्फआअ की आवाज़ निकलने लगी. मैंने 15 मिनट तक उसकी चूत चाटी.. चूत के अंदर जीभ घुसाकर चोदने लगा और साथ ही साथ उंगली से चूत के दाने को मसलने लगा. कीर्ति पागल सी होने लगी और उसने एक ज़ोर की चीख मारी और झड़ गयी.

में चूत के पानी की आखरी बूँद निकलने तक चूसता रहा और फिर सारा चूत का पानी अपने मुहं में भरकर उसके ऊपर चढ़ गया और उसके मुहं में वो पानी छोड़ दिया और उसने सारा का सारा पानी पी लिया.. मैंने उसे किस किया फिर वो उठी और मेरे कपड़े उतारने लगी और मेरे लंड को हाथ में लेकर हिलाने लगी. फिर लंड को मुहं में डालकर चूसने लगी.. लेकिन कीर्ति बहुत अच्छा लंड चूसती है. तो में उसकी पीठ को सहला रहा था और वो मेरे लंड को आईस्क्रीम की तरह चूस रही थी और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. फिर जब मेरा लंड तनतनाने लगा तो मैंने उसे फटाक से नीचे पटक दिया और उसकी टांगो के बीच बैठ गया. तो उसने अपने एक हाथ से चूत का मुहं फैला दिया और में एक हाथ से लंड को पकड़ कर उसके दाने पर रगड़ने लगा तो वो चीखने चिल्लाने लगी.. जल्दी डालो ना अंदर पिछले एक साल से इसके लिए तरस गयी हूँ में.. प्लीज अब और मत तड़पाओ.

फिर वो खुद ही मेरे लंड को पकड़ कर चूत में घुसाने लगी.. लेकिन बहुत दिनों से नहीं चुदवाने से चूत का मुहं थोड़ा सिकुड गया था तो उसे बहुत दर्द हो रहा था.. लेकिन फिर भी वो उस दर्द को सहन करके घुसाने लगी और उसकी इस तड़प को देखकर में अपने आप को भी नहीं रोक पाया और मैंने एक ज़ोरदार धक्का मारकर एक ही बार में पूरा का पूरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ घुस गया. तो कीर्ति चीख पड़ी.. उईमाँआआ अहह बहुत दर्द होऊऊऊओ रहा है.. ज़राआआ धीरे डालो अहह य्ाआआअ. फिर मैंने उसके पैरों को पकड़ा और चोदने लगा.. उसकी चूत बहुत गरम थी तो मेरे लंड को एसा लग रहा था कि मानो किसी गरम पानी में डाल दिया हो.

फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी तो कीर्ति आह्ह माँााआआ अह्ह्ह करने लगी. फिर मैंने उसे बेड के किनारे पर घोड़ी बनाकर उल्टा लेटा दिया और में नीचे खड़ा हो गया और मैंने उसको कहा कि तुम अपनी गांड को फैला लो तो उसने वैसा ही किया और फिर मैंने उसकी गांड के छेद पर थोड़ा थूक लगाया और लंड घुसाने लगा.. लेकिन गांड बहुत टाईट थी तो मेरा लंड बार बार फिसल जाता था. तो उसने कहा कि ड्रेसिंग टेबल पर तेल की शीशी है तुम उसे ले आओ और मैंने तेल की पूरी शीशी को उसकी गांड में डाल दिया और उसके ऊपर मेरे लंड को रगड़कर फिर से घुसाने लगा.. लेकिन इस बार तेल की फिसलन के कारण मेरा लंड एक ही बार में गांड को फाड़ता हुआ अंदर तक पूरा घुस गया. इस हरकत से कीर्ति को बहुत दर्द हुआ और वो जोर जोर से चिल्लाने लगी.. उई माँ मेरीइईईईईई तो गांडद्द्द्द्दद्ड फटटटटटतत्त गईइिईईईईईई अहह और आज तक कभीईईईईई भी मेरे पतिईईईईईईई ने भी मेरीइईईईईईई गांडद्द्द्द्द्दद्ड नहींईईईईइ मरीरर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररी थीईईईईई. फिर मैंने उसकी कमर को पकड़ा और तेज़ी से गांड मारने लगा और कीर्ति चिल्लाती रही.. लेकिन मैंने उसे अनसुना कर दिया और उसकी गांड बहुत टाईट थी तो मुझे भी लंड डालने में बहुत दिक्कत हो रही थी और साथ साथ हम दोनों को बहुत मज़ा भी आ रहा था.

लगातार 15 मिनट तक मैंने बिना रुके उसकी गांड को चोदा और दर्द के कारण वो अपने आप गिर गयी. फिर मैंने उसे बेड पर सीधा लेटाया.. बेड के साईड में पानी का भरा हुआ जग था.. तो मैंने उसमे से थोड़ा पानी पिया और उसे भी पिलाया. तो कीर्ति ने बोला कि तुम तो पक्के खिलाड़ी हो आज तो तुमने मेरी चूत और गांड दोनों की धज्जियां उड़ाई दी. तो मैंने उसके ऊपर लेटकर कहा कि अभी तो बहुत कुछ बाकी है डार्लिंग.. तुम आगे आगे देखो होता है क्या? फिर उसने पूछा कि तुम्हे दर्द नहीं होता है क्या? क्योंकि जब पवन ने मुझे पहली बार चोदा था तो मेरे साथ साथ वो भी बेहोश हो गया था और इसका मतलब तुमने पहले भी किसी को चोदा है? तो मैंने कहा कि हाँ.

फिर में नीचे खड़ा हो गया और कीर्ति को बैठाकर लंड चुसवाने लगा फिर मैंने उसे गोद में उठाकर ड्रेसिंग टेबल के ऊपर बैठा दिया और में नीचे खड़ा होकर उसकी चूत में लंड घुसाकर चोदने लगा. तो कुछ देर बाद उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और झड़ गयी.. तो चूत का सारा पानी टेबल से होकर नीचे टपकने लगा. फिर मैंने उसे उसी पोज़िशन में चूत में लंड डाले हुए बाहों में उठाकर खड़े खड़े चोदने लगा और उसके बाद मैंने उसे बस बेड पर लेटा दिया और चोदने लगा और पूरा कमरा पचक पचक पूच पूच अहह उहह उफ्फ्फ की आवाज से भर गया था. फिर में उसके कान को काट रहा था तो वो शीईईई कर रही थी और उसे चोदते टाईम में उसकी चूचीयों को दबा रहा था.. जिसमे से दूध निकल रहा था. तो मैंने निप्पल को चूसकर दूध को अपने मुहं में भरकर कीर्ति के मुहं के अंदर छोड़ देता और फिर उसके अंदर जीभ डालकर खेलता था.. इसमे बहुत मज़ा आता था.

फिर मेरा भी निकलने वाला था. तो मैंने स्पीड बढ़ा दी और उससे पूछा कि कहाँ डलवाना चाहती हो? तो उसने कहा कि बहुत दिनों से मेरी चूत सूखी है.. आज तुम उसे अपने लंड के पानी से नहला दो.. ये कहती कहती वो भी झड़ गयी. फिर उसकी चूत का गरम पानी मेरे लंड को छूते ही में भी झड़ गया और में वीर्य की आखरी बूँद गिरने तक धक्का मार रहा था और कीर्ति के मुहं से हूँऊऊऊऊ अहह कितने दिनोंऊऊऊऊओ केईईई बादद्द्द्द्द् आजज्ज्ज्ज्ज् अहह जाकरर्र्ररर मेरीईईईईईईईई चूतटटतत्त कोऊऊओ शांतीईईईईईईईईईईई उहह माँआआआअ मिलीईईईईईईई है. फिर मैंने उसे गोद में उठाया और बाथरूम में ले गया वहाँ पर हम दोनों मिलकर नहाए और उसके बाद बाहर आ गए. में उसके साथ उसके कमरे में गया और बेड पर सो गया तो बच्ची को कीर्ति ने झूले पर लेटा दिया और वो खुद मेरे सीने पर सर रख कर सो गयी.

फिर उसने कहा कि जान तुम नहीं जानते में पवन के जाने के बाद कैसे बीना चुदाई के रही हूँ? जब तक पवन था वो मुझे रोज़ चोदता था और मेरी बेटी के पेट में आने के बाद 3-4 महीने तक उसने मुझे चोदा है और फिर उसकी डेथ के बाद में जब भी रात को सोती थी तो मेरी चूत में आग लग जाती थी.. लेकिन में कुछ नहीं कर पाती थी और मैंने बहुत कोशिश की झड़ने की.. लेकिन मेरी चूत से एक बूँद भी पानी नहीं निकला और फिर मेरे करने से थोड़ी निकलता है. फिर जब उस रात तुमने मेरी बेटी को हॉस्पिटल में भर्ती किया तो उसके बाद में तुमसे प्यार करने लगी.. लेकिन तुम्हे बताने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी और आज जाकर मेरी तमन्ना पूरी हुई. तुम मुझे कभी छोड़कर मत जाना भले ही तुम घर का किराया कम कर देना.. नहीं तो में मर जाऊंगी. फिर मैंने उसके माथे को चूमते हुए कहा कि बेबी तुम चिंता मत करो.. आज से तुम दोनों की जिम्मेदारी मेरी है और मैंने तो तुमसे पहले भी कहा था कि में तुम्हारी बेटी को अपना नाम देना चाहता हूँ.. लेकिन तुमने मना कर दिया था.. लेकिन फिर भी में तुम दोनों का पूरा ख्याल रखूँगा और तुम्हारी बेटी को कभी बाप की कमी का एहसास नहीं होने दूँगा और तुम्हे अपने पति के ना होने का. फिर हम दोनों बाहों में बाहें डालकर सो गये.

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