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पति के पीठ पीछे पत्नी चूदी

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मैं एक सरकारी स्कूल में अध्यापक हूं  मैंने अपने 15 साल के कार्यकाल में कई बच्चों को पढ़ाया है और मैं इस वक्त आगरा में पढ़ा रहा हूं आगरा में मुझे करीब 3 वर्ष होने को आ गए हैं, मेरे घर मे मेरी पत्नी और मेरा एक 10 साल का लड़का है वह भी अभी स्कूल पढ रहा है। मेरी शादी को 12 साल हो चुके हैं और मैं जब शुरू में आगरा में आया था तो मेरे पास बच्चे ट्यूशन पढ़ने आया करते थे.

मैं बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाया करता था क्योंकि जिस कॉलोनी में हम लोग रहते हैं वहां पर काफी लोग ट्यूशन पढ़ाते थे लेकिन जब मैंने ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया तो मेरे पास बच्चों की बहुत भीड़ आने लगी।

मुझे आज भी याद है जब पहली बार मेरे पास नरेन पढ़ने के लिए आया था नरेन के उस वक्त 12वीं के एग्जाम थे और वह सबसे पहले मेरे पास पढ़ने आया था उस वक्त नरेन ही मेरे पास आता था उसके कुछ महीनों बाद तो और भी बच्चा आने लगे थे लेकिन नरेन पढ़ने में बहुत अच्छा था और वह चाहता था कि उसके अच्छे नंबर आए मैंने भी उसे बड़े अच्छे से पढ़ाया और उसके बाद जब उसका रिजल्ट आया तो उसके बहुत अच्छे नंबर आए वह अच्छे नंबरों से पास हो गया था।

जब वह पास हुआ तो वह मेरे घर में मिठाई भी लेकर आया था.

मेरी पत्नी भी नरेन को बहुत अच्छे से जानती है और नरेन का परिवार भी मुझे अच्छे से जानता है सब लोग मुझे मिश्रा जी कहकर बुलाते हैं। समय के साथ साथ पता ही नहीं चला कि कब 3 वर्ष आगरा में होने को आ गए हैं काफी समय बाद मुझे जब नरेन मिला तो मैंने नरेन से पूछा तुम क्या कर रहे हो? वह कहने लगा सर मैं तो कॉलेज कर रहा हूं और कुछ समय बाद मेरा कॉलेज भी पूरा हो जाएगा। नरेन का कॉलेज पूरा हो चुका था और उसकी एक अच्छी कंपनी में नौकरी लग गई थी उसके बाद वह मुंबई में रहने लगा था। एक दिन नरेन का मुझे फोन आया और वह कहने लगा सर मैं शादी करने वाला हूं मैंने नरेन से कहा लेकिन तुम इतनी जल्दी शादी कर रहे हो अभी तो तुम्हारी उम्र भी कम है वह कहने लगा सर मेरी उम्र 22 वर्ष हो चुकी है और अब मैं अच्छी कंपनी में नौकरी करता हूं, उसने मुझे सारी बात बताई तो वह कहने लगा दरअसल मैं जब मुंबई में आया था तो हमारी कॉलोनी में एक लड़की रहती है उसका नाम शालिनी है शालिनी के साथ मेरा प्रेम प्रसंग शुरू हो गया था जिस वजह से मैंने और शालिनी ने शादी करने की सोची।

मैंने नरेन से कहा लेकिन तुम्हें कुछ समय और देना चाहिए..

नरेन कहने लगा सर अब हम दोनों एक दूसरे से शादी करना चाहते हैं और मैं चाहता हूं कि मैं शालिनी के साथ अच्छा समय बिताऊ। नरेन अब पूरी तरीके से मुंबई में ही सेटल हो चुका था नरेन को उसके जीवन के लिए मैंने बधाई दी और कहा तुम्हारे जीवन में कभी भी कोई परेशानी हो तो तुम मुझे जरुर याद करना वह कहने लगा सर मैं आपकी सबसे ज्यादा इज्जत करता हूं यदि मैं अपने माता पिता के बाद किसी के बारे में सोचता हूं तो वह आप हैं। नरेन मुझे कहने लगा कि आपको भी शादी में आना है मैंने नरेन से कहा ठीक है मैं जरूर शादी में आऊंगा और मैं अपने साथ अपनी पत्नी और बच्चे को भी ले आऊंगा।

सब कुछ इतनी जल्दी में हो रहा था कि कुछ पता ही नहीं चला कि कब नरेन की पढ़ाई पूरी होने के बाद उसकी जॉब लग गई और अब वह शादी करने जा रहा था मैं अपनी पत्नी और अपने बच्चों को लेकर कुछ दिनों के लिए मुंबई चला गया, नरेन ने हम लोगों को कोई भी कमी नहीं होने दी नरेन ने एक होटल में ही छोटा सा रिसेप्शन रखा था उसके कुछ मेहमान थे और कुछ मेहमान शालिनी के थे सब कुछ बड़े ही अच्छे से हुआ।

जब नरेन की शादी हो गई तो मैंने उसे बधाइयां दी और कहा तुम्हारा जीवन बहुत अच्छे से चले.

मैंने शालिनी से भी कहा कि तुम्हे ही अब नरेन का ध्यान रखना है वह मुझे कहने लगी सर नरेन आपकी बहुत तारीफ करते हैं और वह हमेशा कहते हैं कि आपकी वजह से ही आज मैं इस मुकाम तक पहुंच पाया हूं मैंने शालिनी से कहा ऐसा कुछ भी नहीं है नरेन की अपनी मेहनत थी और अपनी ही मेहनत से वह यह सब हासिल कर पाया है, मैं चाहता हूं कि तुम दोनों का जीवन बड़े ही अच्छे से चले और तुम दोनों को कभी कोई परेशानी ना हो।

मैंने उन दोनों को अपना आशीर्वाद दिया और उसके बाद कुछ दिन तक हम लोग मुंबई में ही रुके मैं भी काफी समय से अपने फैमिली के साथ कहीं घूमने नहीं गया था तो सोचा इस बार मुंबई में ही घूम लिया जाए हम लोगों ने मुंबई में एक हफ्ते तक रुकने का प्लान बना लिया मैं अपने परिवार को पूरा समय दे रहा था और कितने समय बाद उनके चेहरे पर खुशी थी वह लोग बहुत ही ज्यादा खुश थे मेरा बच्चा तो बहुत इंजॉय कर रहा था। जब हम लोग मुंबई से वापस आगरा के लिए लौटे तो नरेन हमें छोड़ने के लिए रेलवे स्टेशन तके आया हम लोग अब आगरा पहुंच चुके थे मैंने आगरा पहुंचते ही नरेन को फोन कर दिया था सब कुछ बहुत ही सामान्य तरीके से चल रहा था।

एक दिन मुझे नरेन का फोन आया..

और वह कहने लगा सर मैं कुछ दिनों के लिए आगरा आ रहा हूं मैंने नरेन से कहा हां नरेन तुम आगरा आओ तो मुझे जरूर मिलना और कुछ समय बाद नरेन और शालिनी आगरा आ गए जब वह दोनों आगरा आये तो वह लोग हमारे घर पर भी आए थे उन्होंने हमारे घर में रात का भोजन किया मुझे नरेन के साथ बात करके अच्छा लगा मैंने शालिनी से भी उस वक्त पूछा तुम दोनों का जीवन कैसा चल रहा है तो वह कहने लगी सब कुछ बहुत ही अच्छे से चल रहा है नरेन मेरा बहुत ध्यान रखते हैं और हम दोनों एक दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताते हैं नरेन जब अपने ऑफिस से आ जाते हैं तो हम लोग साथ में बैठकर समय बिताते हैं।

यह सब बात जब मुझे शालिनी ने कहीं तो मुझे लगा वह दोनों बहुत खुश हैं और उसके बाद वह लोग अपने घर चले गए नरेन और शालिनी कुछ दिन आगरा में रुकने वाले थे और जब वह लोग मुंबई चले गए तो मेरा भी ट्रांसफर लखनऊ में हो चुका था मैंने यह बात नरेन को भी बता दी थी कि मैं अब लखनऊ में रहने लगा हूं और मेरा ट्रांसफर लखनऊ हो चुका है नरेन ने मुझे कहा सर मैं जब भी आऊंगा तो आपसे जरूर मिलूंगा। हम दोनों की बात अक्सर होती रहती थी लखनऊ में भी अब लोग मुझे जानने लगे थे लेकिन मैं बच्चों को ट्यूशन नहीं पढ़ाता था क्योंकि ट्यूशन की वजह से मैं अपने परिवार को समय नहीं दे पाता था इसलिए मैंने ट्यूशन पढ़ाना ही छोड़ दिया था मैं चाहता था कि मैं अपने परिवार को समय दूँ इसलिए मैं जब स्कूल से आता था तो मैं अपने परिवार के साथ ही ज्यादा समय बिताया करता था।

लखनऊ में मेरी पत्नी का मायका भी है इसलिए वह कभी कभार अपने मायके भी चले जाया करती थी और मुझे भी अब ज्यादा दिक्कत नहीं थी क्योंकि जब भी मेरी पत्नी मायके जाती तो घर का काम मैं संभाल लिया करता था और वह भी खुश थी क्योंकि उसे भी अपने माता पिता से मिलने का मौका मिल जाता था। मेरी पत्नी के परिवार में 4 लोग ही हैं मेरी पत्नी की बड़ी बहन की भी शादी को 15 वर्ष हो चुके हैं और वह लंदन में रहती है इसलिए उसके माता-पिता अब घर में अकेले ही रहते हैं। नरेन और शालिनी लखनऊ मुझसे मिलने के लिए आ गए उस वक्त मेरी पत्नी अपने मायके गई हुई थी क्योंकि उसके पिताजी की तबीयत ठीक नहीं थी।

मधुरी घर का सारा काम संभाल रही थी.

मैंने अपनी पत्नी को फोन कर दिया था और उसे कह दिया था कि नरेन और शालिनी आए हुए हैं। वह मुझसे कहने लगी मैं घर आ जाती हूं लेकिन शालिनी ने मना कर दिया और कहा मैं घर का सारा काम संभाल लूंगी। मैं अपने स्कूल जाया करता और शाम को घर लौटता। नरेन भी कुछ काम के सिलसिले में आया हुआ था एक दिन मैं जल्दी घर लौट आया मैने शालिनी से कहा नरेन अभी आया नहीं तो वह कहने लगी नहीं अभी वह नहीं आए, मैं शालिनी से बात करने लगा हम दोनों आपस में बात कर रहे थे।

शालिनी ने मुझे कहा मैं आपके लिए चाय बनाती हूं उसने मेरे लिए चाय बनाई वह मेरे लिए चाय लाई तो उसका पैर फिसल गया और वह मेरे ऊपर आ गिरी चाय भी मेरे ऊपर गिर चुकी थी। जब उसके बड़े स्तन मुझसे टकराए तो मैं अपने आपको रोक ना सका उस दिन मेरा मन पूरी तरह से शालिनी के ऊपर आ चुका था। मैंने उसके होठों को चूमना शुरू किया तो उसे भी शायद अच्छा लगा।

जब मै उसके स्तनों को दबाता तो वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो जाती।

जब मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो उसने मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर उसे अपने मुंह में लेने लगी उसे बहुत मजा आ रहा था और मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने जैसे ही शालिनी की चूत मै अपने लंड को घुसाया तो उसे बहुत दर्द महसूस हुआ और वह चिल्ला पड़ी। उसकी योनि बड़ी टाइट थी वह मेरे लंड को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और अपने मुंह से तेज आवाज में सिसकिया ले रही थी। मैंने उसके दोनों पैर चौडे कर लिए वह पूरी तरीके से जोश मे थी मैं उसे धक्के देने पर लगा था। मैं जब उसे धक्के मारता तो उसके मुंह से चीख निकल जाती और वह मुझे कहती आपने तो मेरी योनि में दर्द कर दिया है।

जब हम दोनों के अंदर गर्मी बढ़ने लगी तो मेरा वीर्य गिर गया और शालिनी भी पूरी तरीके से संतुष्ट हो चुकी थी लेकिन हम दोनों ने यह बात किसी को नहीं पता चलने दी। शालिनी ने ना तो नरेन को इस बारे में बताया और ना ही कभी मैंने अपनी पत्नी को इस बारे में कोई जानकारी होने दी। हम दोनों जब भी मिलते तो चोरी छुपे हम दोनों एक दूसरे के साथ शारीरिक संबंध बनाते।

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