ErrorException Message: WP_Translation_Controller::load_file(): Argument #2 ($textdomain) must be of type string, null given, called in /home/u271051433/domains/free-sex-story.in/public_html/wp-includes/l10n.php on line 838
https://free-sex-story.in/wp-content/plugins/dmca-badge/libraries/sidecar/classes/ Bhabhi Sex Story - लॉकडाउन में भाभी को पेला      

लॉकडाउन में भाभी को पेला

Read More Free Hindi Sex Story, Antarvasna Sex Story, Bhabhi Sex Story On free-sex-story

अब मैं बिना अधिक समय लिए अपनी कहानी शुरू करता हूं. मेरा नाम नरेन है और मेरी उम्र 26 साल है. मेरी हाइट 5 फीट 7 इंच है. चेहरा गोल है और जब मैं हंसता हूं तो मेरे गालों पर गड्ढे हो जाते हैं. कहने का मतलब है कि मेरी मुस्कान सबको आकर्षित करती है.

मेरी शादी हो चुकी है और मैं अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहता हूं. हमने अपने मकान को किराये पर चढ़ाया हुआ है जिसमें नीचे वाले फ्लोर पर एक डॉक्टर का परिवार रहता है. कोरोना काल में मेरे सारे घर वाले गांव चले गये थे. बीवी मायके चली गयी थी.

फिर मुझे ही घर की देखभाल के लिये यहां रुकना पड़ा. नीचे वाले परिवार के डॉक्टर भैया रोज काम पर चले जाते थे और भाभी घर पर रहती थी. भाभी के पास तीन साल का एक बेटा है.

भाभी की जवानी की तारीफ में मैं क्या बताऊं कि वो कितनी सुंदर है. भाभी के लम्बे लम्बे काले बाल हैं जो उसके गोरे चेहरे को और अधिक आकर्षक बनाते हैं. उसके गाल एकदम टमाटर की तरह लाल रहते हैं. होंठ जैसे गुलाब हों.

जब भाभी मुस्कराती है तो जैसे आसमान से बिजली गिरती है. उनके रूप को जो कोई एक बार देख ले तो भाभी का दीवाना हो जाये. मैं भी उनके दीवानों में से एक था.

एक दिन की बात है कि मैं अपने रूम पर खाना बना रहा था. खाने बनाते हुए मैंने पाया कि हल्दी खत्म हो गयी थी. मैंने सोचा कि दुकान पर जाने में बहुत समय लग जायेगा इसलिए नीचे वाली भाभी से ही ले लेता हूं.

मैं नीचे उतरकर भाभी के पास गया. उसने उस वक्त एक नाइटी पहनी हुई थी जिसमें उसकी गोल गोल गांड साफ साफ उभरी हुई थी.
वो मेरे पास आई और पूछने लगी.
तो मैंने कहा- थोड़ी हल्दी दे दो.

वो बोलीं- ठीक है, तुम रुको, मैं लेकर आती हूं.
मैंने पूछा- भाई साहब दिखाई नहीं दे रहे?
वो बोलीं- नहीं, वो एक दो दिन से वहीं हॉस्पिटल में ही रुक जाते हैं. कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ रही है इसलिए काम भी ज्यादा हो गया है.

इतने में भाभी बोली- मैंने चाय अभी बनाई थी. पी लो तुम भी?
मैंने कहा- मगर भाभी मैं अभी खाना बना रहा हूं और फिर खाने का समय हो जायेगा.
वो बोलीं- कोई बात नहीं, खाना थोड़ी देर से खा लेना. मैंने ज्यादा बना दी है और फिर ये बेकार में फेंकनी पड़ेगी.

मैं भाभी की बात टाल न सका और चाय पीने बैठ गया. वो चाय लेकर आई और हम दोनों साथ में चाय पीने लगे. फिर बातें शुरू हुईं. भाभी मेरी बीवी के बारे में पूछने लगी तो मैंने कह दिया कि वो अपने मायके गयी हुई है.

वो बोलीं- घर में अकेले बोर नहीं होते तुम?
मैंने कहा- भाभी होता तो हूं लेकिन अब जायें कहां, बाहर घूमना फिरना तो वैसे ही बिमारी के खतरे से खाली नहीं है.
भाभी- तो फिर सारा दिन क्या करते हो?

मैं- भाभी बस ऐसे ही कभी टीवी देख लेता हूं तो कभी फोन में टाइम पास कर लेता हूं.
वो बोलीं- मुझे बबीता कहने में तुम्हें शर्म आती है क्या?
मैं- नहीं भाभी, ऐसी बात नहीं है!

वो बोलीं- फिर भाभी!
मैंने कहा- सॉरी बबीता.
भाभी- अकेले खाना बनाकर क्या करोगे, यहां मैं बना तो रही हूं, तुम भी यहीं खा लेना!

भाभी के मुंह से ये शब्द सुनकर जैसे मेरे मन में गुदगुदी सी होने लगी. वो खुद मुझे उसके पास आने का न्यौता दे रही थी. उसकी बातों से लग रहा था कि वो जरूर कुछ न कुछ कहना चाहती है लेकिन कह नहीं पा रही है.

फिर मैंने कहा- ठीक है, आपकी बात भी सही है, मैं अकेला क्या खाना बनाऊंगा, यहीं पर आपके साथ ही खा लूंगा.
वो बोलीं- ठीक है, फिर ठीक 9 बजे आ जाना. तब तक मैं सारी तैयारी कर लेती हूं.

मैंने कहा- ठीक है बबीता भाभी, मैं ठीक 9 बजे आ जाऊंगा.
इतना बोलकर मैं वापस ऊपर आ गया. मेरे मन में लड्डू से फूट रहे थे कि आज तो जरूर कुछ न कुछ कांड होने ही वाला है.
मेरा लंड बार बार भाभी की गांड के बारे में सोच सोचकर खड़ा हो रहा था.

ठीक 9 बजे मैं भाभी के यहां पहुंच गया. मैंने बेल बजाई तो भाभी झट से दरवाजे पर आ गयी.
वो बोली- अंदर आ जाओ, खाना तैयार है.

मैं अंदर गया तो उनका बेटा सो चुका था.

नाइटी में अंदर भाभी ने शायद कुछ नहीं पहना था. भाभी की चूचियां दायें बायें नाच रही थीं. उनकी डोलती चूचियों को देखकर ही मेरा लंड तनाव में आने लगा.

कुछ ही देर में भाभी ने मेज पर खाना परोस दिया.
फिर वो भी कुर्सी पर आ बैठीं और बोलीं- चलो शुरू करते हैं.
हम दोनों खाना खाने लगे.

मैंने पूछा- भाभी, कई दिनों से भैया घर पर नहीं आ रहे हैं, रात में आपको अकेले इस तरह से डर नहीं लगता है?
वो बोली- नहीं, उनका होना न होना अब बराबर सा ही लगता है.
मैंने कहा- क्यूं भाभी, ऐसा क्यों बोल रही हो?

भाभी ने इस बात का कुछ जवाब नहीं दिया. उनकी बातों से लग रहा था कि उनके पति-पत्नी के रिश्ते में जरूर कुछ ठीक नहीं चल रहा.
फिर हिम्मत करके मैंने पूछ ही लिया- भाभी, आप मुझे अपना दोस्त समझ कर बता सकती हो, मैं आपकी समस्या सुलझाने की कोशिश करूंगा. आप मुझे बताइये कि क्या बात है?

| Bhabhi Sex Story | Antarvasna Hindi Sex Stories |

वो बोलीं- एक तो समय ही ऐसा चल रहा है. वो पूरा दिन अस्पताल में रहते हैं. घर आते हैं तो इतने थके होते हैं कि नजर उठाकर भी नहीं देखते. मैं उनके करीब जाने की कोशिश करती हूं तो संक्रमण का खतरा बताकर टाल देते हैं.

अब तक भाभी अपना खाना खत्म कर चुकी थी और मेरा खाना खत्म होने का इंतजार कर रही थी. मेरी थाली में भी दो निवाले ही बचे थे. मैंने बीच में ही भाभी के हाथ पर हाथ रख दिया और कहा- भाभी, आप परेशान मत होइये, मैं हूं आपके साथ.

वो बोलीं- पहले तो तुम मुझे ये भाभी कहना बंद करो.
मैंने कहा- सॉरी बबीता, तुम मुझे अपना दोस्त ही समझो.
वो बोलीं- तो ठीक है, तो फिर आज रात को यहीं क्यों नहीं रुक जाते मेरे पास? मैं घर में अकेली होती हूं तो बहुत डर लगता है.

भाभी के मुंह से ये बात सुनकर मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया. भाभी साफ साफ मुझे अपने पास सुलाने का इशारा कर रही थी या यूं कहें कि मेरे से चुदवाने का इशारा था वो.

मैंने कहा- ठीक है. मैं जरा ऊपर जाकर मेन डोर को बंद कर आता हूं.
वो बोली- ठीक है, जल्दी आना, मैं इंतजार कर रही हूं.
भाभी के शब्दों में एक प्यास सी थी. मेरा लंड मेरी लोअर में पूरा अकड़ गया था.

मुश्किल से लंड को टीशर्ट के अंदर छुपाकर मैं उठ कर गया. मगर भाभी की नजर मेरे लौड़े के आकार को देख चुकी थी. उसके होंठों पर एक कातिल सी मुस्कान फैल गयी थी.

मैं जल्दी से ऊपर वाले फ्लोर का गेट लॉक करके आ गया.
नीचे आया तो भाभी ने छोटा मोटा बचा हुआ काम निपटा लिया था. उसने मैक्सी उतार कर एक शॉर्ट नाइट ड्रेस पहन ली थी जो फ्रॉक जैसी थी और उसकी जांघों तक ही आ रही थी.

भाभी के इस सेक्सी रूप को देखकर मेरी तो लार टपकने लगी. वो भी मेरी नजरों की हवस को समझ गयी थी. उसने मुझे रूम में चलने के लिए कहा. मैं बेडरूम की ओर बढ़ा तो वो भी पीछे पीछे आने लगी.

रूम में मैं अंदर गया और पीछे से भाभी ने दरवाजा बंद कर दिया. मैं वहीं दरवाजे के पास खड़ा था और भाभी भी मेरे करीब आकर खड़ी हो गयी. वो मेरे चेहरे को देखने लगी. मैं भी उसकी आंखों में देखने लगा.

प्यास दोनों तरफ ही लगी थी लेकिन दोनों ही जैसे पहल होने का इंतजार कर रहे थे. फिर एकदम से दोनों ही एक दूसरे की ओर बढ़े और हमने एक दूसरे को बांहों में भरकर किस करना शुरू कर दिया.

भाभी के रसीले होंठों से होंठ मिलाकर मैं उसको जोर जोर से चूसने लगा. वो भी जैसे पागलों की तरह मुझे किस करने लगी. मेरे हाथ सीधे भाभी की गोल गोल गांड पर पहुंच गये. मैं उसके चूतड़ों को कस कर भींचने लगा.

इधर भाभी का हाथ मेरी लोअर के ऊपर आकर मेरे लंड को मसलने लगा. अगले ही पल भाभी ने मेरी लोअर में हाथ डाल दिया और मेरे लंड को हाथ में भरकर उसकी चमड़ी को आगे पीछे करने लगी. वो मेरे लंड को सहलाने लगी और मैं उसकी चूचियों पर टूट पड़ा.

सेक्सी भाभी की कड़क चूची मेरे हाथ में आईं तो मैंने उनको जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया. हम दोनों बेतहाशा एक दूसरे के होंठों को चूस चूस कर खा रहे थे. उसने मेरी लोअर को नीचे खींच दिया था और मुझे जांघों तक नंगा कर लिया था.

अब भाभी के हाथ कभी मेरे लंड की मुट्ठ मारते तो कभी मेरी गोटियों को सहलाने लगते. मैंने भी देसी हॉट भाभी की नाइटी को ऊपर खींचकर निकलवा दिया. भाभी का सेक्सी फिगर देखकर मैं तो पागल हो गया. 34-30-32 का उसका फिगर सच में कहर बरपा रहा था.

उसकी चूची इतनी टाइट थी कि दबाकर लग रहा था कि डॉक्टर साहब ने ठीक से कुछ किया ही नहीं था। मैं दोनों हाथों से उसकी नंगी चूचियों को भींचने लगा और भाभी सिसकारने लगी.

फिर मैंने उसकी चूचियों को पीना शुरू कर दिया. जैसे ही मेरा मुंह उसकी चूची पर लगा तो वो जोर से सिसकारी- आह्ह … नरेन … चूस ले इनको … बहुत दिनों से इनको किसी ने नहीं पीया है … इनका दूध निचोड़ ले आज … आह्ह … जोर से पी।

मैं भाभी की चूचियों को ऐसे पीने में लगा था जैसे कि उनमें से अमृत निकल रहा हो. उसकी सिसकारियां हर पल तेज होती जा रही थीं. फिर अचानक वो अलग हुई और उसने मेरी लोअर को नीचे तक खींच दिया.

लोअर को मैंने अपनी टांगों से भी खींचकर निकाल दिया. अब भाभी मेरी टीशर्ट पर झपट पड़ी और मेरी टीशर्ट को निकाल कर मुझे भी पूरा नंगा कर लिया. हम दोनों फिर से एक दूसरे से चिपक कर होंठों को चूसने लगे.

कुछ देरे नंगे चिपके हुए किस का मजा लिया और फिर मैंने भाभी को गोद में उठा लिया और बेड पर ले जाकर पटक दिया. मैं देसी हॉट भाभी की चूचियों पर टूट पड़ा और जोर जोर से पीने लगा.

मेरे सिर को भाभी ने पकड़ कर नीचे की ओर धकेल दिया और अपनी चूत के पास ले गयी. मैं समझ गया कि भाभी क्या चाह रही थी. मैंने उसकी टांगों को फैलाया और उसकी फूली हुई चूत को जीभ से चाटना शुरू कर दिया.

भाभी की चूत पर मेरी जीभ लगी तो वो जोर से सिसकार उठी- आह्ह … नरेन … चोद दे इसे अपनी जीभ से … आह्ह … चाट चाट कर खा जा इसको … इसमें बहुत प्यास लगी है. आह्ह … चूस … और जोर से चूस!

मैंने भाभी की चूत में जीभ अंदर दे दी और जोर जोर से उसकी चूत को चोदने लगा. भाभी एकदम से पागल हो गयी और बेड की चादर को मुट्ठी में भरकर खींचने लगी.

भाभी की चुदास देखकर मैं और जोर से उसकी चूत में जीभ चलाने लगा.

अब मेरा लंड भी तनाव के कारण दर्द करने लगा था.
मैंने चूत से जीभ निकाली और भाभी की चूचियों पर गांड टिकाकर लंड उसके मुंह के सामने कर दिया.
वो बोली- नहीं, मैं मुंह में नहीं लूंगी. मुझे गंदा लगता है.
मैंने कहा- प्लीज भाभी … बहुत तड़प रहा है.
उसने फिर भी ना में ही गर्दन हिलायी.
मैंने कहा- प्लीज … बबीता … एक बार चूस लो, मेरी खुशी की खातिर.

फिर देसी हॉट भाभी ने मुंह खोला और गर्दन ऊपर उठाकर लंड को चूसने लगी. मैं तो जैसे जन्नत की सैर करने लगा. मैंने पीछे हाथ ले जाकर भाभी की चूत में उंगली से कुरेदना शुरू कर दिया.

भाभी की चूत बेपनाह पानी छोड़ रही थी. मेरी उंगली की वजह से चूत में पच पच की आवाज होने लगी.
जब उससे रहा न गया तो लंड को मुंह से निकाल कर बोली- बस … अब चोद दे नरेन … जान निकालने का इरादा है क्या … जल्दी चोद … फक मी नरेन … प्लीज फक मी।

मैंने उसकी टांगों को चौड़ी फैला दिया. फिर लंड का टोपा उसकी चूत के मुंह पर रखा. उसकी चूत को देखकर लग रहा था कि डॉक्टर साहब ने ज्यादा कष्ट नहीं दिया इसे. चूत टाइट सी लग रही थी.

फिर मैंने लंड टिकाकर चूत में धक्का मारा तो भाभी की दर्द भरी आह्ह … निकल गयी लेकिन वो दर्द को बर्दाश्त कर गयी. मैंने फिर से एक धक्का मारा और अबकी बार मेरा आधा लंड भाभी की चूत में घुस गया.

भाभी दर्द से कराह उठी- आह्ह … आईई … इतना मोटा है … उफ्फ … नहीं लिया जा रहा नरेन … ये तो सच में फाड़ देगा मेरी चूत को … निकाल ले बाहर.

मैंने कहा- बस भाभी … थोड़ा सा बर्दाश्त कर लो … बस जाने ही वाला है.
ये कहकर मैंने एक धक्का और मारा तो भाभी जैसे बदहवास सी हो गयी. मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया. कहीं वो बेहोश न हो जाये इसलिए भाभी की टाइट चूत में लंड को अंदर बाहर करके हिलाने लगा.

वो दर्द से कराहती रही और देखते ही देखते कुछ देर में उसकी कराहटें सिसकारियों में बदल गयीं. उसने मुझे अपनी बांहों में ले लिया और मेरी गांड पर टांगें लपेट कर चुदने लगी.

बस फिर तो हम दोनों कहीं अपनी ही दुनिया में खो गये. मैं भाभी की चूत में धीरे धीरे लंड को पेलते हुए चुदाई का मजा लेता रहा. भाभी भी मेरे होंठों को चूसते हुए अपनी गांड उचका कर लंड को लेती रही.

फिर मैंने स्पीड बढ़ा दी और जोर जोर से उसकी चूत को पेलने लगा. भाभी फिर से चीखने लगी लेकिन अबकी बार उसकी चूत लंड को जैसे खा जाने के मूड में आ गयी थी. वो पूरी ताकत लगाकर लंड के धक्कों को झेल रही थी.

बीच बीच में भाभी अपनी चूत में मेरे लंड को कस लेती थी जिससे मैं स्वर्ग में पहुंच जाता था. उसकी चूत में लंड को पेलते हुए मैं उसकी चूचियों को पीता रहा. वो भी चुदवाती रही.

चुदवाते हुए देसी हॉट भाभी बड़बड़ा रही थी- आह्ह … नरेन … शादी को इतने साल हो गये हैं … मगर चुदाई का असली मजा आ पहली बार आया है … ओह्ह … मैं तो मर ही जाऊंगी … चोद दे … आह्ह … फाड़ दे … आह्ह … और जोर से चोद।

| Antarvasna Sex Story | Desi Hindi Sex Story |

मैं पूरी ताकत झोंक कर भाभी की चूत को फाड़ने लगा. अब मेरा लंड भी जवाब देने वाला था. मैंने 10-12 धक्के जोर से लगाये और मेरे लंड का लावा भाभी की चूत में गिरने लगा. साथ ही बबीता भाभी भी झड़ने लगी.

सारा माल चूत में गिराकर मैं भाभी के ऊपर हांफता हुआ गिर गया. हम दोनों के बदन पसीना पसीना हो गये थे. भाभी को चरम सुख की प्राप्ति हो गयी थी. लग रहा था कि जैसे उसने नशा कर लिया है. फिर हम दोनों अलग हो गये.

हमने पानी पीया और आराम करने लगे. उसके कुछ देर बाद फिर से दोनों चूमा चाटी में लग गये और फिर से गर्म हो गये. उसके बाद रात में चुदाई के तीन राउंड और हुए. भाभी की चूत को चोद चोदकर मैंने उसको सुजा डाला.

भाभी मेरे लंड की फैन हो गयी. उसके बाद जब तक भैया की ड्यूटी रही हम चुदाई का मजा लेते रहे. फिर रात को भाईसाहब घर आकर ही सोने लगे. मगर भाभी मेरे लंड से  ढूंढ ही लेती थी.

Read More Free Hindi Sex Story, Antarvasna Sex Story On free-sex-story

4.5 2 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments