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स्कूल की गर्लफ्रेंड ने घर बुलाया चुदने को

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नमस्कार, मेरा नाम कमलेश है,
ये उन दिनों की बात है, जब मैं 12 वीं में था। हमारी क्लास में एक लड़की थी, उसका नाम सुहानी था।
सुहानी एक कमाल का पटाखा थी, उसका फिगर बिल्कुल ऐश्वर्या राय जैसा था।
उसकी चूचियाँ बिल्कुल हिमालय पर्वत जैसी उठी थीं, मेरा लंड तो उसकी चूचियों को देख कर ही खड़ा हो जाता था।
मैं क्लास में बहुत होशियार था, इसलिए सारी लड़कियाँ ही मेरे पीछे थीं, सुहानी भी मुझसे दोस्ती बढ़ाना चाहती थी, वो सारा दिन मेरी तरफ देखती रहती थी।
जैसे-जैसे बोर्ड के पेपर्स पास आ रहे थे, सभी बच्चे पार्क में बैठ कर अलग-अलग अपनी पढ़ाई करते थे।
एक दिन मैं अकेला ही क्लास में बैठा था, तभी सुहानी वहाँ आ गई और मेरे पास आ कर सवाल पूछने लगी।
तभी उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे ‘आई लव यू’ बोल दिया।
मैंने उसका प्यार स्वीकार कर लिया और तभी वो चली गई। सारा दिन मैं उसके बारे में सोचता रहा था।
आखिरी क्लास के बाद वो फिर वो मेरे पास आई और मुझसे लिपट गई। मैंने भी उसे बाहों में भर लिया। उसके टाइट चूचे जैसे ही मेरी छाती से भिड़े, मेरा लंड तन गया और बाहर आने को मचल उठा।
लेकिन तभी वो हटी और अपना मोबाइल नंबर दे कर चली गई।
मैंने रात को घर पर अपने फ़ोन से उसके नंबर पर मैसेज किया- हाय..!
तो थोड़ी देर में ही उसका जवाब आ गया- हैलो..!
इस तरह हम सारी रात इधर-उधर की बातें करने लगे।
थोड़ी देर बाद मैंने कहा- मैं दूध पीने जा रहा हूँ।
तो वो बोली- दूध तो मैं पिला दूँगी।
मैंने कहा- मैं गाय का दूध ही पीता हूँ।
तो वो बोली- मेरी चूचियों का दूध पियोगे क्या…!
मैंने कहा- हाँ… तू पिलाएगी तो चूस चूस के पिऊँगा।
हमने अगले दिन स्कूल में छुट्टी के बाद रुकने का प्लान बनाया।
जब सारे लोग स्कूल से चले गए, तो वो मेरी क्लास में मेरे पास आकर बैठ गई। मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और चूमने लगा।
उसने कोई विरोध नहीं किया, बल्कि मेरी गोदी में आकर बैठ गई, कहने लगी- तुम मेरे घर चलो, आज घर पर कोई नहीं है !

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यह सुन कर मेरा लंड तुरन्त खड़ा हो गया और सुहानी की गांड में चुभने लगा। अब मैंने अपने हाथ उसकी जांघ पर रख दिए और उन्हें मसलने लगा। सुहानी गर्म हो रही थी।
सुहानी का घर ज्यादा दूर नहीं था, कहने लगी- तुम मेरे पीछे पीछे चले रहना, पहले मैं घर में जाऊँगी तो उसके दो मिनट बाद तुम भी घर में आ जाना !
हमने ऐसा ही किया, उसका घर एक नई कालोनी मे था, वहाँ ज्यादा आवाजाही नहीं थी तो मुझे उसके घर जाते हुए किसी ने नहीं देखा।
घर जा कर वो मुझे सीधे एक कमरे में ले गई जहाँ एक पुराने स्टाईल का बड़ा पलन्ग था।
हम दोनों साथ साथ बैठ गये और मैंने अपने हाथ उसकी पीठ पर रख दिए और उसे सहलाने लगा। धीरे-धीरे मैं अपने हाथ उसके चूचों पर ले गया और धीरे-धीरे मसलने लगा। मैं उसके कपड़े उतारने लगा तो सुहानी ने कोई विरोध नहीं किया।
मैं उसकी चूचियाँ और चूतड़ ही दबा रहा था तो वो बोली- तुम मेरी चूत को भी चूसो।
अब मैंने उसकी ब्रा और पैन्टी भी उतार दी। वाकई में उसकी चूचियाँ बहुत बड़ी थीं, मगर थीं एकदम सुडौल, बिल्कुल दो छोटे से पहाड़ की तरह से तनी हुई, जिसके निप्पल एकदम सीधे कड़े और तने हुए थे। चूचे एकदम दूधिया रंग के थे। उसके निप्पल गुलाबी थे, बिल्कुल वो अनार के दाने के बराबर मोटे थे। हम दोनों वहीं पर लेट गए और 69 की पोजीशन में आ गए।
मैंने सुहानी की चूत देखी तो कहा- सुहानी, यह क्या है, तुमने चूत के बाल क्यों बढ़ा रखे हैं इन्हें शेव क्यों नहीं करती हो..!
तो वह बोली- मैं झाँटें शेव तो करती हूँ लेकिन काफ़ी दिनों में… बात यह है कि मुझे रेजर से शेव करते हुये डर लगता है और फिर काफ़ी समय जो लगता है न..! इसलिये काफ़ी दिनों के बाद मैं शेव करती हूँ।
‘चलो आगे से मैं तुम्हारी झांटें शेव कर दिया करूँगा..!’
तो सुहानी इस बात के लिये सहमत हो गई।
मैंने जैसे ही उसकी चूत पर हाथ फ़िराया तो वो गीली-गीली सी लगी और हल्का सा पानी उसकी झांटों पर भी लगा हुआ था।
पहले तो मैंने अपनी ऊँगली उसकी चूत में अन्दर डाल कर अन्दर-बाहर करनी चालू की, तो वो तेजी के साथ ‘आआअह्ह… ह्हह्हह… आआह्ह… ऊओह्हह्ह’ करने लगी और बोली- बस अब चूसना शुरु करो न..!
मैंने भी उसकी चूत के होंठ खोल कर अपना मुँह उसकी गुलाबी चूत से लगा दिया और तेजी के साथ चाटने लगा।
जैसे ही मैं उसकी चूत चाटने लगा वो अपनी गाण्ड उठा-उठा कर अपनी चूत को मेरे मुँह से सटाने लगी और सिसयाने लगी- ह्हह्हाअन्नन ह्हह्ह ह्हाआ आआन्नन्न ईई’ और अपनी कमर तेजी के साथ हिलाने लगी और गाण्ड को ऊपर उछालने लगी।
अभी उसकी चूत को चाटते हुये पांच मिनट ही हुए होंगे कि वो जोर-जोर से चिल्लाने लगी ‘ह्हह्हआ चोद मेरे चोदूऊऊऊ ऊऊन्नन्नन..!’ और यह कहते हुए उसकी चूत ने गरम-गरम पानी छोड़ दिया और मैंने अपना मुँह एकदम हटा लिया।
इधर सुहानी भी काफ़ी जोर-शोर से मेरा लण्ड चूस रही थी, मुझे लगा कि मैं भी झड़ने वाला हूँ तो मैंने उसको बता दिया तो उसने भी फ़ौरन अपने मुँह से मेरा लण्ड बाहर निकाल दिया।
फिर अपने हाथ से ही चार-पांच झटके मारे कि मेरा भी वीर्य भी निकल गया और इतने जोरों से निकला कि काफ़ी वीर्य उसकी टांगों और चूत के आस-पास गिरने से उसे गीला कर दिया।
फिर हम दोनों साथ-साथ उठ कर बाथरूम में गए, एक-दूसरे के शरीर को साफ़ किया और बाहर आ गए।
इस छेड़खानी की वजह से मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा और सुहानी भी गरमाने लगी थी। हम फिर से एक-दूसरे को चूमने चाटने लग गए और सुहानी मेरा लण्ड सहलाने लग गई। बीच-बीच में वो मेरा सुपाड़ा निकाल कर मुठ भी मार देती थी।
फिर जल्दी ही एक बार और 69 की पोजीशन में आ गए और अब सुहानी मेरा लण्ड चूस रही थी और मैं सुहानी की चूत को चाट रहा था।
थोड़ी देर बाद सुहानी बोली- अब आ जाओ, मुझ पर चढ़ जाओ और मुझे चोद दो। अब बर्दाश्त नहीं होता है।
यह सुन कर मैं उसकी दोनों टांगों के बीच में आ गया और उसकी गाण्ड के नीचे एक तकिया रख दिया जिससे कि उसकी चूत थोड़ी सी और ऊपर को उठ गई।
अब मैंने अपने लण्ड पर थोड़ा सा थूक लगा कर छेद पर रख कर थोड़ी सी ताकत के साथ दबाया तो उसके मुँह से एक चीख निकल गई- आआअययययईई म्म्माआआआर्रर्रर..!
मैंने अपने होंठों को सुहानी के होंठों पर कस कर रख दिया ताकि वो फिर से ना चीख सके और बोला- सुहानी इस तरह से मत चीखो, बाहर आवाज गई तो कोई आ ज़ाएगा और हम पकड़े जायेंगे।
वो बोली- बहुत जोर से दर्द हो रहा है…!
मैंने कहा- पहली बार ऐसा ही होता है और बाद में बड़ा मज़ा आता है।
मैं यह कह कर उसकी चूचियाँ दबाने लगा और होंठ चूसने लगा।
इस तरह से उसको कुछ आराम सा मिला और बोली- हाँ, अब दर्द कुछ कम हो रहा है।
मैं लण्ड को उसकी चूत में डाल कर 4-5 मिनट यूं ही पड़ा रहा और उसकी चूचियाँ चूसता रहा और दबाता रहा, जिससे उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरु कर दिया था और चूत काफ़ी चिकनी हो गई थी।
अब मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में दबा कर एक बहुत ही जबरदस्त धक्का मारा और मेरा लण्ड लगभग 6-7 इन्च उसकी चूत में घुस गया और उसकी चीख घुट कर रह गई।
मैं फिर रुक गया और उसकी चूची चूसने और दबाने लगा।
सुहानी को अभी काफ़ी दर्द हो रहा था और वो लगातार कह रही थी- अपना लण्ड अब निकाल ले… मेरी तो चूत फटी जा रही है..!
मैंने कहा- बस थोड़ी देर बर्दाश्त करो फिर तुम्हें मज़ा ही मज़ा मिलेगा।
और यह कह कर उसकी चूचियाँ चूसने लगा और एक हाथ से मैं उसकी चूत का दाना भी मसलने लगा।
जिससे उसको कुछ मज़ा आया और वो बोली- अब फिर से दर्द कुछ कम होने लगा है।
यह सुन कर मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए। अब उसको मज़ा सा आने लगा था और अब सुहानी ने अपनी गाण्ड को उछालना शुरु कर दिया था। कुछ धक्कों के बाद अचानक वो अकड़ गई और तेजी के साथ हिलने लगी और झड़ गई।

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अब सुहानी की चूत काफ़ी चिकनी हो गई थी और लण्ड भी आसानी से अन्दर-बाहर हो रहा था। बस मैंने कस कर एक धक्का और मारा और सारा का सारा लण्ड सुहानी की चूत में घुस गया और फिर से उसके मुँह से एक चीख निकल गई। इस बार मैं उसके होंठों को अपने होंठों से दबाना भूल गया था, सो मैंने फ़ौरन हाथ उसके होंठ पर रख दिया और चीख घुट कर रह गई।
मैं 5-7 मिनट यूं ही उसके उपर पड़ा रहा और कभी उसकी चूचियाँ चूसता तो कभी होंठ चूसता या फिर हाथों को उसकी जांघों पर फेरता जिससे कि सुहानी को कुछ आराम मिल सके। थोड़ी देर में उसका दर्द गायब हो गया और वो नीचे से उपर को गाण्ड उछालने लगी तो मैं समझ गया कि अब उसको मज़ा आ रहा है इसलिये मैंने भी उसको आहिस्ता-आहिस्ता धक्के मारने शुरु कर दिए।
जब मैं कुछ देर यू ही आहिस्ता-आहिस्ता धक्के मारता रहा, तो सुहानी एकदम से उत्तेजित हो कर बोली- अब उसे मज़ा आ रहा है और अब जोर-जोर से धक्के लगाओ।
यह सुन कर मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ानी शुरु कर दी और कुछ ही समय में मैं सुहानी को तेजी के साथ चोदने लगा।
अब सुहानी पूरा मज़ा ले रही थी और मुँह से बड़बड़ा रही थी- हाय बड़ा मजा आ रहा है जोर से चोदो। फ़ाड़ दो मेरी चूत को पेल दो अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में हहाय …स्ससीईइ स्सस्सीईई ऊऊ…!
और यह कहते हुये सुहानी ने अपनी कमर और गाण्ड को तेजी से हिलानी शुरू कर दी और सिसियाते होते हुए झड़ गई।
मैं अभी तक जोर-शोर के साथ धक्के मार रहा था। कमरे में फचा-फच की आवाज आ रही थी और मैं धमा-धम धक्के मारे जा रहा था।
थोड़ी देर बाद सुहानी फिर से ‘स्सस्सीईइ स्सस्सीईइ स्ससीईईईइ’ करते हुये झड़ गई और मैं अभी तक डटा हुआ था और फ़ुल स्पीड से धक्के मार रहा था। मैं पूरा का पूरा पसीने-पसीने हो गया, लेकिन धक्के लगाता ही रहा।
लगभग 20 मिनट तक फ़ुल स्पीड से धक्के लगाने के बाद मुझे लगा कि अब मैं भी झड़ने वाला हूँ और मेरे मुँह से भी अनाप-शनाप निकलने लगा- हाय मेररि रआन्नी म्मम्ममी र्रराआअ आआ हैईईईई..!”
तो सुहानी एकदम बोली- अपना लण्ड बाहर निकाल लो, इसे चूत के अन्दर नहीं झाड़ना है वरना गड़बड़ हो सकती है।
सो मैंने फ़ौरन ही लण्ड को चूत से बाहर निकाल लिया और सुहानी से कहा- हाथ से तेजी के साथ लण्ड को आगे-पीछे करो।
तो उसने ऐसा ही करना शुरु कर दिया और मैं उसके होंठ बहुत ही ज़ोर से चूसने लगा और एक हाथ से उसकी चूचियाँ दबाता रहा तो दूसरा हाथ उसके चूतड़ों और गाण्ड पर फेरने लगा। कभी-कभी जोश के कारण मैं अपनी ऊँगली उसकी गाण्ड में भी अन्दर करने लगा। सुहानी तेजी के साथ झटके देने लगी और मैं ‘ऊऊफ़ ऊऊफ़्फ़ ह्हाआआऐईईइ ह्हह्हहाआआऐईई’ करता हुआ झड़ गया।
मैंने झड़ते-झड़ते जोश में अपना मुँह उसकी चूचियों में जोर से दबा दिया और उसकी गाण्ड में अपनी पूरी ऊँगली अन्दर कर दी।
तो वो चिल्ला पड़ी और बोली- क्या मेरी चूचियों को ही काट खाओगे….!
और यह कह कर मेरा सिर अपनी चूचियों में जोर से दबा लिया। हम कुछ देर यूँ ही पड़े रहे और फिर उठे तो देखा कि सुहानी की चूत से खून निकल आया था। जो उसकी चूत और झाण्टों पर लगा था।
खून को देख कर सुहानी डर गई और बोली- लगता है कि मेरी चूत फट गई है और अब क्या होगा…!
तो मैंने समझाया- डरने की कोई बात नहीं है सभी को पहली बार ऐसा ही होता है..!
और यह कह कर मैंने एक रूमाल से उसकी चूत और झांटों से खून साफ़ कर दिया और फिर हम लोगों ने अपने-अपने कपड़े पहने और सुहानी को चूम करके उसके घर से निकल आया।

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