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भाभी ने घर बूलाया चाॅय के बहाने

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यह कहानी भाभी की बड़ी बहन जिसका नाम मनिषा है उनकी उम्र तब 32 साल की थी और फिगर भी 38-34-36 की थी देखने में सांवली सूरत पर नैन-नक्श बहुत अच्छे हैं, वो थोड़ी लम्बी भी है, जिस्म भरा-भरा ऐसे लगता था की जिम करती थी, बिपासा बसु को देखा होगा, वैसी थी वो !

वो अक्सर मेरे पड़ोस वाली भाभी के घर यानि अपनी सगी बहन के घर आती थी। उनका ससुराल करीब दस किलोमीटर की दूरी पर था तो कभी रात को आती और सुबह चली जाती।

उसका ससुराल मेरे ऑफिस के रास्ते में ही था तो कभी-कभी जब वो सुबह जाती तो पड़ोस वाली भाभी कहती कि दीदी को भी घर छोड़ देना, मैं उन्हें घर छोड़ देता था।

मनिषा की शादी को नौ साल हो चुके थे पर कोई संतान नहीं थी। यह बात मुझे मालूम नहीं था, एक दिन वो सुबह सुबह मेरे साथ जा रही थी अपने ससुराल तो मैंने ऐसे ही पूछ लिया- भाभी, आपके कितने बच्चे हैं?

वो थोड़ी मायूस होकर कहने लगी- अभी कोई नहीं है !

मैंने भी कुछ कहा नहीं और उनको उनके घर छोड़ कर चला गया। वो हमेशा कहती कि आओ चाय पीकर जाना, पर मैं कभी भी नहीं रुका उनके घर !

मेरे मन में उनके प्रति ऐसा कुछ नहीं था।

एक दिन वो दोपहर को भाभी के घर आई हुई थी, शाम को मैं ऑफिस से जैसे ही घर आया तो भाभी ने कहा- कुमार, जरा दीदी को घर छोड़ दोगे?

मेरा मूड तो था नहीं पर मैंने कहा- थोड़ा रुको, चलते हैं।

थोड़ी देर बाद मैं हाफ पैंट और टीशर्ट पहन कर बाहर निकला, बाईक स्टार्ट किया और मनिषा पीछे बैठ गई।

रात के आठ बज रहे थे, उनके घर का रास्ता थोड़ा सुनसान सा है, मैंने बाईक कहीं भी नहीं रोकी और मैं बहुत तेजी से बाईक चला रहा था। कभी कभी कोई छोटा मोटा गड्ढा आ जाता तो ब्रेक मारता तो मनिषा भाभी की चूचियाँ मुझसे टकरा जाती पर मेरे दिल में ऐसा कुछ था नहीं !

एक दो बार ऐसा हुआ तो मैंने समझा ब्रेक मारने की वजह से हो गया होगा पर वो बार बार अपनी चूचियाँ मेरी पीठ से सटा देती। मुझे कुछ शर्म भी आये और अच्छा भी लगे, पर मैं ज्यादा ध्यान न देता हुआ उनके घर पहुँच गया, बाईक रोकी और उन्हें उतार कर जाने लगा तो मनिषा बोली- पानी तो पी लो !

मैंने कहा- नहीं भाभी, रात हो गई है और रास्ता कैसा है तुम्हें मालूम ही है।

मनिषा भाभी कहने लगी- रहने दो, तुम हर बार बहाना बना जाते हो कि फिर कभी चाय पानी करूँगा, आज कौन सा ऑफिस के लिए लेट हो जाओगे?

मैंने कहा- चलो ठीक है !

मैंने बाईक उनके घर के अन्दर लगा दी, मनिषा ने अन्दर का गेट खोला।

मैंने पूछा- भाभी, और लोग कहाँ हैं?

तो मनिषा ने कहा- किसी की मौत हो गई है, उनके घर गए हैं, आज रात तक आने वाले थे, फिर फ़ोन आ गया कि कल दोपहर तक आएँगे। इसीलिए मुझे रात को आना पड़ा, घर में भी रहना चाहिए न किसी को ! और तुम्हें मालूम ही है कि कितने चोर उचक्के हैं आजकल !

मैंने कहा- ठीक कहती हो आप !

मनिषा ने फ़्रिज़ से मिठाई निकाली और मेरे सामने रख दी, कहने लगी- लो !

मैंने कहा- इसकी क्या जरुरत थी !

मनिषा ने कहा- पहली बार मेरे घर के अन्दर आये हो, इतना तो करना चाहिए ना !

मैंने कहा- क्या आप भी ना !

मैं रसगुल्ले खा नहीं रहा था तो मनिषा ने कहा- लो ना, खाओ !

मैंने कहा- हाँ खाता हूँ !

फिर मनिषा ने एक रसगुल्ला लेकर मेरे मुँह में खिलाने लगी, मैंने मुँह खोला तो मनिषा ने जबरदस्ती रसगुल्ला मेरे मुह में डाल दिया उसका रस मेरे टीशर्ट पर गिर गया।

मैं रुमाल निकाल कर पोंछने लगा तो भाभी बोली- मैं साफ़ कर देती हूँ।

मैंने कहा- नहीं रहने दो।

बातें करते करते लगभग दस बज गए, मुझे मालूम भी न चला। घड़ी देखी तो दस बज रहे थे। मैंने कहा- अब जाता हूँ। वैसे भी रास्ता बहुत खतरनाक है।

मनिषा भाभी ने कहा- कहाँ जाओगे इतनी रात में ! यहीं रुक जाओ, क्या फायदा रास्ते में कुछ हो जाएगा तो ?

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मैंने कहा- नहीं, मुझे सुबह ऑफिस भी जाना है।

भाभी ने कहा- ऑफिस तो यहाँ से नजदीक ही है, सुबह यहीं से चले जाना !

पर मैं माना नहीं, मैं जाने लगा। थोड़ी दूर गया तो मुझे रास्ते में डर लगने लगा, सोचा, कुछ हो जाएगा।

तब मैं फिर से वापिस मनिषा के घर आ गया।

भाभी ने कहा- ठीक किया। मैं तो इतना मना कर रही थी कि मत जाओ। खाना बना रही हूँ, खा लो और सुबह चले जाना।

मैंने कहा- ठीक है।

भाभी ने खाना बना लिया। गयारह बज चुके था, हमने खाना खाया और टीवी देखने लगे। थोड़ी देर बाद मुझे नींद आने लगी, मैंने कहा- भाभी, मुझे नीद आ रही है, मैं सो रहा हूँ।

भाभी ने कहा- तुम सो जाओ, मैं भी यही पर फोल्डिंग लगा लूंगी।

मैंने कहा- ठीक है।

मैं सो गया। गर्मी का मौसम था, मैं सिर्फ हाफपैंट और बनियान में सो रहा था। भाभी ने पतली सी नायटी पहन रखी थी जिसमें से उनकी ब्रा साफ़ दिख रही थी और उनकी चूत पर काले काले बाल थोड़े थोड़े दिख रहे थे। उनका फोल्डिंग मेरे बेड से सटा हुआ था।

भाभी ने एक जग पानी भर कर रख दिया था मेज पर। मैं सो रहा था कि अचानक वो पानी से भरा जग नीचे गिर गया। मेरी नींद खुल गई कि क्या हुआ।

मैं फ़ौरन उठा और अपना मोबाइल का टॉर्च जला कर देखा तो पानी गिरा था।

मैं जैसे ही भाभी को जगाने को हुआ, तैसे ही देखा कि भाभी की नायटी उनकी कमर तक उठी हुई है और उनकी काली काली झांटें बिल्कुल साफ़ दिख रही हैं जैसे कह रही हो कि आओ, मुझे चाट लो !

मेरा दिमाग घूमने लगा और अब अजीब-अजीब से ख्याल आने लगे दिल में कि क्या करूँ और लण्ड भी तैयार होने लगा।

मैंने कमरे की बत्ती जला दी, भाभी की चूत पर काली काली झांटें एकदम साफ़ दिख रही थी।

अब मेरा और भी बुरा हाल हो रहा था, सोचा पता नहीं यह नींद में है या फिर जानबूझ कर ऐसा कर रही है।

इस कशमकश में मैं काफ़ी देर सोचता रहा और एकटक उनकी चूत देखता रहा। ऐसा लग रहा था कि मेरा लण्ड अब फट जाएगा।

फिर मैं होंसला करके भाभी के पास सरक गया और धीरे से अपनी टांग उनके ऊपर रख दी जैसे कि मैं नींद में हूँ। फिर धीरे-धीरे मैं उनकी जांघों को अपने पैरों से मसलने लगा। मुझे भाभी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही थी। तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई, मैंने सोचा शायद यह भी यही चाहती है।

मैं अपने पैर का अंगूठा उनकी चूत के द्वार पर ले गया। मनिषा की चूत गर्म और चिपचिपी हो गई थी, मुझे समझते देर नहीं लगी कि मनिषा सो नहीं रही, मजे ले रही है।

फिर मैं उनके फोल्डिंग पर ही चला गया और अपने हाथ से उनके स्तन दबाने लगा, बहुत सख्त थे उसके चूचे जैसे किसी जवान लड़की के होते हैं।

मैंने जोर जोर से उनके निप्प्ल ब्रा के ऊपर से ही मसलने लगा। उसकी साँसें तेज हो रही थी, मैं समझ गया कि वो चुदने को तैयार है, मैंने उनकी नाईटी को पूर ऊपर उठा दिया और उसकी चूचियाँ मुँह में लेकर चूसने लगा। क्या मजेदार चूचियाँ थी ! गजब थी ! और उन पर भूरे भूरे निप्प्ल !

मैं काफी देर से चूस रहा था कि अचानक उसका हाथ मेरे सर पर आ गया, वो मुझे अपने वक्ष पर दबाने लगी और सिसकारियाँ लेने लगी- सीईई आहा आआअ आअहा अहाअ ईई ऊऊ उईई मजा आ रहा है ! और करो कुमार ! करते रहो ! बड़ा मजा आ रहा है !

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मैंने अब धीरे धीरे उसकी चूत में उंगली डालनी शुरु कर दिया। मनिषा की चूत में से चिपचिपा सा पानी निकल रहा था। मै समझ गया कि वो पूरी गर्म हो गई है। धीरे से मैंने उसकी चूत पर अपनी जुबान रख दी तो वो तड़प गई और आअ ईई करने लगी। मैं मनिषा की चूत के दाने को जीभ से चाटने लगा और कभी कभी मैं उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा देता तो वो और तड़प जाती और अपने हाथो से मेरे सर अपने चूत में दबाने लगती और सीईई आईईईए उईईए करने लगती।

वो तड़पने लगी और मेरे लण्ड को पकड़ कर कहने लगी- डालो न, जल्दी डालो ! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।

मैंने कहा- भाभी, पहले मेरे लण्ड को भी प्यार करो !

भाभी ने कहा- क्या मतलब?

मैंने कहा- इसे चूसो !

भाभी ने मना कर दिया, बोली- नहीं, मैं नहीं चूसूँगी।

मेरे दबाव डालने पर वो मान गई और थोड़ा सा लण्ड चूसा फिर अपनी टाँगें चौड़ी कर के और मेरे लण्ड को पकड़ कर कहने लगी- घुसा दो अब !

मैंने लण्ड भाभी के चूत के दरवाजे पर रखा और अन्दर जोर लगा कर पेल दिया। भाभी की हल्की सी चीख निकल गई, बोली- बाप रे ! इतना बड़ा और मोटा ! जरा धीरे धीरे करो ! मैंने कहा- भाभी, अभी देखना, मजा आएगा।

मैंने फिर से एक जोरदार झटका मारा और लण्ड पूरा मनिषा की चूत में समा गया। भाभी ने मुझे कस कर पकड़ लिया।

मैं अब धीरे धीरे धक्के देने लगा, भाभी को भी मजा आ रहा था, वो मजे में आईई उईईई उफ्फ्फ्फफ्फ़ कर कर के चूत नीचे से उठा उठा कर चुदवा रही थी और कामुक सीत्कारें ले रही थी, बोल रही थी- मज़े से चोदो, आज स्वर्ग का मजा मिल रहा है ! कुमार और जोर से ! मजे से ! मेरे पति तो साला चोदता ही नहीं है। कभी उसका मन होता है तो चोदता भी है तो उसका गिर जाता है !

मनिषा चुदते समय ऐसे लग रही थी जैसे बिपासा बसु खुद चुद रही हो।

फिर भाभी ने कहा- कुमार, मुझे तुम्हारे ऊपर चढ़ कर चुदना है !

मैं नीचे लेट गया, भाभी मेरे ऊपर आ गई और लण्ड पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर रखा और बैठ गई। पहले धीरे धीरे और फिर बाद में जोर जोर से चुदने लगी।

ऐसा करते 15 मिनट हो गए, भाभी की रफ़्तार बढ़ गई, मुझे जोर से पकड़ लिया और जोर से मेरे गाल को काट लिया और झर गई। वो थोड़ी देर मेरे ऊपर ही लेटी रही, मैंने कहा- मनिषा तुम्हारा तो काम हो गया, मेरा क्या होगा?

मनिषा भाभी ने कहा- रुको अभी कर लेना, अपना पानी भी गिरा लेना मेरे अन्दर ही !

मैंने कहा- मनिषा, तुम घोड़ी बन जाओ, मैं तुम्हे पीछे से चोदूँगा।

भाभी घोड़ी बन गई, उनकी मोटी गाण्ड मेरे सामने थी। मैंने भाभी की चूत में लण्ड रखा और धक्का दिया। चूत पहले से पानी छोड़ चुकी थी तो चिकनी थी, लण्ड फ़ौरन अन्दर घुस गया और मै धक्के लगाने लगा। भाभी फिर से उई ईए आई ईईए सीईइ हईईए करने लगी और फिर से कमर हिला कर मेरा साथ देने लगी, मैं जोर जोर से पेलने लगा।

भाभी ने फिर से मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया और झर गई। अब मेरी भी बारी नजदीक थी, मैंने भी भाभी की चूत में ढेर सारा वीर्य छोड़ दिया और लेट गया।

भाभी के चेहरे पर अजीब सी मुस्कान थी, वो अन्दर से बहुत खुश थी, कहने लगी- कुमार, तुमने मुझे वो सुख दिया जिसके लिए मैं सालों से तड़प रही थी।

मैंने पूछा- भाभी, तुम्हें कैसे मालूम था कि मैं तुम्हे चोद सकता हूँ?’

भाभी ने कहा- मुझे मालूम है कि तुम्हारे सम्बन्ध मेरे बहन के साथ हैं और तुम लोग अक्सर चुदाई करते हो।

मैंने कहा- वैसे आपकी बहन ने बताया क्या?

तो कहने लगी- नहीं, मुझे अंजू ने बताया कि कुमार अच्छी चुदाई करता है और वो तुम्हारी बहन और मुझे अक्सर चोदता है।

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