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चालू औरत का आमत्रंण – 1

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ये बात आज से लगभग 6 साल पुरानी है, जब लड़के लड़कियों को देखकर मेरा भी मन करता था कि मेरी भी कोई गर्लफ्रेंड हो, मैं भी उसके साथ किस करूं. लेकिन मेरी अभी तक कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी.

शायद मेरी किस्मत में कुछ और ही लिखा हुआ था. मैं अपने दोस्त की शादी में गया हुआ था, जहां मुझे एक लड़की दिखी. वो बहुत ही सुंदर थी, मेरा दिल उस पर आ गया था.

उसने मुझे देखा, मैंने उसे देखा और हम दोनों में स्माइल पास हुई. इस तरह रात भर हम एक दूसरे को देखते रहे. ऐसा करते करते हमारे दो दिन निकल गए. मैं उसे देखता, मुझे वो देखती.

फिर जैसे तैसे मैंने हिम्मत करके उसको हाय कहा, उसने भी आंखों के इशारे से मुझे हाय कहा. अब हमारी इशारे इशारे में बात होने लगी. धीरे-धीरे हम लोगों में आकर्षण बढ़ने लगा.

उसके पास एक बच्चा अक्सर घूमता रहता था, शायद उसकी भाभी का बच्चा रहा होगा. उस बच्चे से मेरी दोस्ती हो गई. वो मेरे पास भी आने लगा. मेरी उससे बात होती रहती, हंसी मजाक होता रहता था. मैं उसे बड़े प्यार से खिलाता रहता था.

एक दिन मेरे दिमाग में कुछ बात आई. मैं उस बच्चे को खिला रहा था तो वो मुझे देख रही थी.

मैंने उस लड़की को देखते हुए धीरे से बच्चे के गाल पर किस किया और उसकी ओर देखा. वो धीरे से मुस्कुरा दी.
मैंने समझ लिया कि वो इस चुम्बन का अर्थ समझ गई.

इसके बाद मैं सोचने लगा कि इसे अपना नंबर कैसे दूं. मैं बहुत तिकड़म भिड़ाता रहा, मगर मेरी समझ में नहीं आ रहा था. तभी मेरे दिमाग में एक आईडिया आया. मैंने एक पर्ची पर अपना नंबर लिखा और इस बार जब वो बच्चा मेरे पास आया, तो मैंने उसे देखते हुए एक पर्ची उस बच्चे की जेब में रख दी. इसमें मेरा नंबर लिखा हुआ था और कुछ देर बाद वो चला गया.

कुछ दिन रुका और शादी पूरी होने के बाद मैं घर आ गया. फिर एक दिन एक अनजान नंबर से मेरे नंबर पर कॉल आई. ये मिस कॉल हो कर रह गई थी. मैंने उस नंबर पर फोन लगाया, तो वहां से एक लड़की की घबराई हुई सी आवाज मेरे कानों में पड़ी.

मैंने उससे पूछा- हैलो कौन?
उसने जवाब दिया- गलती से कॉल लग गया था.
मैंने कहा- ठीक है.
और मैंने फोन काट दिया.

कुछ देर बाद फिर से उसी नंबर से मिस कॉल आई. मैंने फिर से उस पर रिटर्न कॉल लगाया, तो उसने फिर से बोला कि गलती से लग गया और फोन काट दिया.

मैं सोचने लगा- साली ऐसी कैसी गलती कि बार बार फोन लग जाता है.

उसी नंबर से उसी दिन शाम को 6:00 बजे के आसपास फिर से मिस कॉल आया. मैंने उस नंबर पर फिर से कॉल किया.

इस बार मैंने पूछा- मैडम, इस बार तो मिस कॉल गलती से नहीं लगा होगा?
इस पर वो बोली- मुझे आपसे कुछ बात करनी है.
मैं बोला- बोलिए.
वो बोली- आप वही है ना … जो सुमन दीदी की शादी में आए हुए थे?
मैं बोला- वो तो सब ठीक है, पर आपको मेरा नंबर कहां से मिला?
वो बोली- मुझे किसी की जेब में यह नंबर मिला है.
मैं बोला- किसकी जेब में से?
वो बोली- जिसकी जेब में आपने यह नंबर रखा था. आपने यह नंबर उसकी जेब में क्यों रखा था?

अब मुझे बात समझ आ गई और मैं उसको पहचान गया.

मैं बोला- यह नंबर मैंने आपके लिए ही रखा था.
वो बोली- क्यों?
मैं- मुझे आपसे बात करनी थी.
वो- हो गई बात … अब ठीक है फोन रखो.
मैं- अभी मत रखो … मुझे आपसे दोस्ती करनी है.
वो हल्के से हंस दी और उसने भी कहा- ठीक है … मैं भी तुमसे दोस्ती करना चाहती हूं.

इस तरह से हमारी दोस्ती हो गई.

मैंने उससे उसका नाम पूछा तो उसने बताने से मना कर दिया.
तो मैंने पूछा- क्यों नाम बताने से डरती हो क्या?
वो बोली- शुरुआत आपने की है, तो पहले आप आपका नाम बताएं.

मैंने उसे अपना नाम बताया, तो उसने भी अपना नाम संगीता बताया. इस तरह हमारी बातें रोज होने लगीं.

बातचीत का सिलसिला कुछ यूं परवान चढ़ा कि हम दोनों में लम्बी लम्बी बातें होने लगीं. कभी-कभी तो घंटे भर तक हम लोग बात करते रहते थे.

अब मुझे समझ में आया कि लड़के और लड़कियां आपस में क्या बात करते रहते हैं … क्यों इतनी देर तक बात करते रहते हैं.

पहले जब भी मैं अपने दोस्तों को अपनी गर्लफ्रेंड से बात करते हुए देखता था, तो मेरे मन में एक ख्याल आता था कि पता नहीं ये लोग इतनी देर तक क्या बात करते रहते हैं.

उससे बात करते-करते हम दोनों ने एक दूसरे के बारे में जानना शुरू कर दिया था.
उसने मेरे बारे में पूछा कि तुम क्या करते हो?
मैंने बताया- मैं यहां पर जॉब करता हूं.

फिर मैंने उसके बारे में पूछा तो उसने अपने बारे में बताया कि वो दमोह की रहने वाली है और यहां पढ़ाई करने के लिए आई हुई है. यहां वो और उसकी मामा जी की लड़की एक फ्लैट किराए पर लेकर रहते हैं.

हमारी बातें होती रहीं.

फिर एक संडे के दिन, मैंने उसको फोन लगाया. मैंने उससे पूछा- आज का क्या प्रोग्राम है?
वो बोली- कुछ खास नहीं … फ्री हूं.
मैंने बोला- कहीं घूमने चलें क्या?

उसने मना कर दिया. मेरे बार-बार मनाने पर वो मान गई.

मैं बोला- तुम्हें कहां लेने आना है? अपना एड्रेस दे दो.
वो बोली- नहीं मैं खुद आ जाऊंगी.
मैं- कहां पर मिलोगी?
वो बोली- डीबी मॉल के सामने 11:00 बजे आकर मुझे कॉल कर लेना, मैं वहीं मिलूंगी.
मैंने उससे बोला- पक्का आओगी ना!
उसने- हां बाबा पक्का आऊंगी.

मैंने 11:00 बजे डीवी मॉल के सामने पहुंचकर उसको कॉल किया. वो मेरे सामने थी, लेकिन उसने मुँह ढका हुआ था, जिससे मैं उसे पहचान नहीं सका.

उसने कॉल पिक किया और पूछा- कहां हो तुम?
मैंने बोला- मैं डीबी मॉल के सामने खड़ा हुआ हूं. तुम किधर हो?
वो बोली- मैं भी वहीं पर खड़ी हूं.
मैंने कहा- मैं ब्लैक शर्ट में हूं.

उसने मुझे देखा और मुझे पहचान लिया और मेरे पास आकर बोली- हैलो.
मैं उसकी आवाज से पहचान गया.
वो बोली- बताओ कहां चलना है?
मैं बोला- चलो मॉल में अन्दर चलते हैं. हम दोनों अन्दर आ गए.

मॉल 11:00 बजे तक खुला हुआ नहीं था, तो वो बोली- और कहीं चलें क्या?

मैं उससे लेक-व्यू लेकर गया. वहां मैंने अपने जेब से उसको डेरी मिल्क दी और मैंने उसको उसको प्रपोज कर दिया. उसने मेरे प्रोपजल पर कुछ नहीं बोला. हम दोनों कुछ देर बाद शांत रहे.
फिर वो बोली- चलो हम वापस चलते हैं.

हम लोग निकल आए. रास्ते भर मैं अपने मन में यही सोचता रहा कि कहीं मैंने प्रोपोज करके कोई जल्दी तो नहीं कर दी.

रास्ते पर हम दोनों चुपचाप चलते रहे और डीबी मॉल के करीब आकर उसने गाड़ी रोकने को कहा. मैंने गाड़ी रोक दी.

वो- यहीं रुको, मैं यहीं से चली जाऊंगी.
मैंने बोला- मेरी बात का जवाब तो दो.
उसने कुछ नहीं बोला और वो चली गई.

उसके जाने के बाद मैं यही सोचता रहा कि यार मैंने पक्के में कुछ गलती कर दी है … बहुत जल्दी मैंने उसको प्रपोज कर दिया.

फिर शाम को मैंने उसको कॉल किया, तो उसने कॉल पिक नहीं किया. रात को 10:00 बजे के आसपास उसका कॉल मेरे पास आया.
उसने बोला- आई लव यू टू.

मुझे यह बात सुनकर यकीन नहीं हुआ. मैंने कहा- एक बार फिर से बोलो.
वो बोली- आई लव यू टू.
मैं बोला- एक बार फिर से बोल दो.
वो बोली- आई लव यू टू.
मैं बोला- एक बार फिर से बोल दो.
वो बोली- कितनी बार बोलूं … क्या यकीन नहीं हो रहा है?

मैंने पूछा- जब मैंने तुमको प्रपोज किया था, जब जवाब क्यों नहीं दिया था. तुम रास्ते भर चुपचाप रहीं और कुछ नहीं बोला.
वो बोली- मैं कुछ सोच समझकर यह जवाब देना चाह रही थी, इसलिए मेरे दिमाग में चलता रहा कि क्या जवाब दूं. मुझे पसंद तो तुम उस दिन आ गए थे, जब मैंने तुमको शादी में देखा था, लेकिन समझ नहीं पा रही थी कि कैसे तुमको जवाब दूं.

हमारी बातें फिर से होने लगीं. धीरे-धीरे करके हमारी मुलाकातें होने लगीं. समय निकलता गया … हम दोनों को यूं ही बात करते करते 6 महीने हो गए. मगर उसने अब तक मुझे ये नहीं बताया था कि वो कहां रहती है.

एक दिन संडे को उसका मेरे पास कॉल आया- क्या कर रहे हो?
मैं बोला- कुछ नहीं … मैं फ्री हूं.
वो बोली- क्या मेरे रूम पर आ सकते हो? मुझे तुमसे कुछ काम था.
मैं बोला- एड्रेस मैसेज कर दो और बता देना कि कब तक आना है.
वो बोली- आधे घंटे में आ सकते हो क्या?
मैं- आ जाऊंगा.

उसने मुझे एड्रेस मैसेज किया.

यहां मैं एक चीज और बता देना चाहता हूं जहां मैं रहता था, वहां मेरे पहचान की एक भाभी रहती थीं. उनका नाम कविता था. उनसे मैं हर बात शेयर करता था. तो मैंने उनको बताया कि वो लड़की मुझे बुला रही है, क्योंकि मैंने उस लड़की के बारे में उनको पता दिया था.

भाभी बोलीं- जाकर मिलो कि वो अपने घर पर क्यों बुला रही है?
मैं बोला- ठीक है.

मैं उसके बताए हुए एड्रेस पर 10 मिनट के अन्दर पहुंच गया और उसको मैंने कॉल किया.

उसने कॉल उठाया.
मैं- मैं पहुंच गया हूं.
वो बोली- इतनी जल्दी आ गए.
मैंने भी बोल दिया- तुम बुलाओ और हम ना आएं … ऐसा कभी हो सकता है क्या?
वो बोली- ठीक है थर्ड फ्लोर के फ्लैट नंबर 5 का गेट खुला हुआ है, अन्दर आ जाना … वही मेरा फ्लैट है.

मैं उसके फ्लैट पर पहुंच गया. मैंने गेट को धक्का दिया, तो गेट खुल गया और मैं अन्दर आ गया.

मैंने उसे देखा, वो एक ब्लैक कलर का गाउन पहनी हुई थी. ये वन पीस फुल लेंथ गाउन था … जो कि उसकी कमर से एक डोरी से बना हुआ था.

मैं प्यार से बोला- बोलिए मैडम क्या काम था … कहीं चलना है क्या?
वो बोली- अभी नहीं … बैठो मैं चाय लेकर आती हूं.

वो रसोई में चली गई और चाय लेकर आई.

मैंने पूछा- तुम्हारी जो सिस्टर थी, वो कहां पर है.
वो बोली- वो अपने कॉलेज कॉलेज की फ्रेंड्स के साथ पिकनिक पर गई हुई है.
मैं- ओके.

वो अचानक खड़ी हुई और बाहर का गेट लगा कर मेरे पास आकर बैठ गई. मैंने उसे एक नजर देखा और हम दोनों चाय पीने लगे.

हम दोनों में एक अजीब सी कशिश चल रही थी. इस बीच चाय खत्म हो गई और वो कप उठाकर रसोई में चली गई. मैं बस उसे देख रहा था. कुछ देर बाद वो वापस आ गई.

मैंने उसकी तरफ देखा और अपने मन की बात को आंखों से कहने की कोशिश करने लगा.

वो बोली- मैं तुमको किस करना चाहती हूँ … खड़े हो जाओ.

मैं उठ कर खड़ा हो गया और हम दोनों किस करने के लिए आगे बढ़े. वो मेरे साथ लगभग चिपक गई. मैं उसके चुम्बन का इन्तजार कर रहा था. तभी मैंने अपने होंठ आगे बढ़ा दिए और उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.

हम दोनों में से किसी को भी किस करना नहीं आता था. जैसे तैसे हम एक दूसरे के रहे थे.

इस बीच उसकी सांसें तेज चलने लगीं और वो रुक गई. उसने कुछ दूर पीछे हटकर अपने हाथ कमर पर बंधी हुई डोरी पर रखे और अपनी कमर पर बंधी हुए डोरी के एक सिरे को पकड़कर खींच कर खोल दिया. गाउन ढीला हो गया और तभी एक झटके से उसने अपने हाथ नीचे कर दिए. उसका गाउन कुछ इस तरह का था कि डोरी खुलते ही वो उसके हाथों और से कंधे से खिसक कर नीचे गिर गया.

उसको नग्न होते देख कर मैं एकदम स्तब्ध रह गया. मेरी आंखों को यकीन ही नहीं हो रहा था कि मेरी आंखों के सामने ये क्या हो रहा है. यह सपना है या हकीकत. आज तक मैंने ऐसा नजारा कभी नहीं देखा था.

क्योंकि उसके गाउन के गिरते ही वो एकदम से मेरे सामने नग्न खड़ी हुई थी एक भी धागा, उसके बदन पर नहीं था.

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