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गर्लफ्रेंड की सील तोङ चूदाई

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मेरा नाम हर्षित है, मैं शुरू में लड़कियों से बहुत डरता था पर उनके लिए हमेशा सपने जरूर बुनता रहता था कि जब मुझे कोई लड़की मिलेगी तो कैसे मैं अपने दिल के अरमान पूरे करूँगा।

बात उन दिनों की है जब मैं पढ़ रहा था तो मैं मनिषा पर लाइन मारता था, वो मुझसे एक कक्षा पीछे थी।

मैं मनिषा पर लाइन मारते-मारते उस साल फ़ेल हो गया तो मनिषा और मैं एक ही कक्षा में हो गए।

मैं आपको मनिषा के बारे में बता दूँ, उसका कद 5 फ़ीट 2 इंच था, जवानी में उसने तभी कदम रखा था, गोरा रंग, लम्बे बाल, बड़ी बड़ी आँखें, संतरे की फांक जैसे होंठ ! उफ़्फ़ ! बस और क्या कहूँ, बस कमाल की आईटम थी।

मनिषा मेरे साथ कक्षा में आ गई फ़िर वो भी मुझे लाइन देने लगी थी। हम स्कूल से घर के आते समय बात कर लेते थे। एक दिन मैंने उससे दोस्ती के लिए पूछा, वो तैयार हो गई। उस दिन के बाद से वो किसी न किसी बहाने मुझे फ़ोन करने लगी।

फ़िर जब हम दोनों पास हो गये। गर्मियों की छुट्टी में हम फ़ोन पर बात कर लेते थे। जब छुट्टी के खत्म होने बाद जब स्कूल शुरु हुए तो

एक दिन उसने मुझे बताया- कल मेरा जन्मदिन है।

मैंने कहा- तुमको मैं विश करूँगा !

मैं रात के बारह बजने का इंतजार करने लगा और जब मैंने उसे फ़ोन किया तो पाया कि वो जाग रही थी। मेरे विश करने के बाद उसने मुझे थैंक्स कहा। तब बोर्ड के पेपरों के लिए भी केवल एक महीना बचा था।

तभी एक दिन बात करते करते मैंने उससे कहा- मैं तुमसे प्यार करता हूँ।

एकदम वो हँसी और बोली- मैं भी तुम से प्यार करती हूँ।

उसने कहा- हर्षित अब स्कूल का केवल एक महीना बचा है, एक महीने में क्या हो सकता है?

जैसे ही मैं अगले दिन उसके घर गया तो मुझे देख कर हंसने लगी। मैंने देखा कि उसने घर पर कोई नहीं है और मैंने देखा कि उसके हाथों में मेहँदी लगी हुई है।

मैंने कहा- तुम्हारे हाथ तो बहुत अच्छे लग रहे हैं !

और उसके हाथों को पकड़ लिया, उसके पास मैं सोफ़े पर ही बैठ गया।

उसे बताया- आज यहाँ कोई नहीं है, आज हम दोनों शाम तक ही घर पर अकेले हैं।

यह मेरा पहला अनुभव था किसी लड़की के स्पर्श का, मेरे पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ गई, मैंने उसके हाथों को चूमना शुरू कर दिया।

उसने कहा- हर्षित, यह क्या कर रहे हो?

“तुम ही तो कह रही थी कि एक महीने में क्या हो सकता है।”

मैंने उसे अपने गले से लगा लिया, वह भी थोड़ा न-नुकुर करने के बाद मेरे सीने से लग गई।

वाह ! क्या अनुभव था।

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मैंने उससे कहा- मनिषा, मैं तुमसे सेक्स करना चाहता हूँ। क्या तुम मेरी यह इच्छा पूरी करोगी?

तो वो बोली- मैंने आज तक सेक्स नहीं किया !

मैंने कहा- मैंने भी आज तक सेक्स नहीं किया।

तो उसने हामी भर दी और मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

उसने कहा- तुम मेरे कमरे में चलो।

उसके कमरे में जाकर मैं उसके कपड़े उतारने लगा तो उसने अपना कुरता निकाला। मैंने देखा कि उसने काली ब्रा पहनी हुई है। काली जालीदार ब्रा में उसके स्तन ऐसे लग रहे थे जैसे बड़े वाले सफ़ेद रसगुल्ले को किसी ने कपडे में बंद कर रस निचोड़ने के लिए रखा हो।

पहली बार मैंने देखा कि उसके स्तन तो एवेरेस्ट की तरह सीधे खड़े हैं और वो संतरे की तरह हैं।

फिर उसने अपने बालों से रबड़ निकाली और अपने बालों को आगे अपने स्तनों पर फैला दिया। अब भी उसके बालों और काली ब्रा के बीच में से उसके स्तन ऐसे दिख रहे थे मानो सूरज काले बादलों से झांक कर देख रहा हो।

मेरा हाथ भी स्वत: मेरे लिंग को स्पर्श करने लगा। फिर उसने अपना नाड़ा खोला तो मेरी नजर उसनी नाभि पर गई तो मैंने देखा कि वो किसी बंगाल की खाड़ी से कम नहीं लग रही थी। फिर जैसे ही उसने अपनी सलवार नीचे सरकानी शुरू की, मेरी साँसें ही रुकने लगी, ऐसा लग रहा था मानो रसमलाई से गोरी लम्बी जांघों से किसी ने पर्दा हटा दिया हो।

और मैंने उसे अपनी ओर घुमाया उसके बालों को उसके वक्ष से हटाते हुए उसके स्तनों की बीच में अपना मुँह रख दिया।

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मनिषा का हाथ मेरे सर पर था और वो मुझे अपने स्तनों के बीच दबा रही थी। मैं बिस्तर पर बैठ गया और उसे अपनी जांघों पर बैठा लिया, उसकी नर्म, गर्म टांगों पर हाथ फेरते हुए मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया।

फिर मैंने अपने होंठों से उसकी ब्रा खोली और उसकी पैंटी उतारी।

उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी और वो मुझसे अलग नहीं हो रही थी।

फिर मैंने अपने लिंग को बाहर निकाला जो अब आठ इंच का हो गया था। लिंग को देख कर वो बहुत सकपका गई और प्रार्थना करने लगी- प्लीज़ हर्षित, कुछ ऐसा मत करना जिससे हमें बाद में पछ्ताना पड़े।

मैंने उसे दिलासा दिलाई और उसे बिस्तर पर लिटा दिया। फिर मैंने उसके पैर की उंगली से लेकर कान के पीछे तक के भाग को अपनी जीभ से स्पर्श किया।

दोनों तरफ आग लग चुकी थी।

मैंने मनिषा की जांघों के ठीक बीच में अपना हाथ फिराया और फिर उस पर पास में पड़ी शीशी से वैसेलिन निकाल कर लगाई। मनिषा की चूत का छेद काफी छोटा था, मुझे लगा कि मेरी प्यारी मनिषा मेरे लण्ड के वार से कहीं मर न जाये !

मनिषा उत्तेजना के मारे पागल हो रही थी उसने मुझे लण्ड अन्दर डालने के लिए कहा।

मनिषा की योनि को अच्छी तरह से वैसेलिन लगाने के बाद फिर से मनिषा की टांगों के बीच बैठ गया। मैंने मनिषा की कमर को अपने मजबूत हाथों से पकड़ लिया। मैंने कोशिश करके थोड़ा सा लिंग अन्दर प्रवेश करा दिया। मनिषा हल्के हल्के सिसकारियाँ ले रही थी। फिर मैंने एक जोरदार झटका मारकर लिंग को काफी अन्दर तक योनि की गहराई तक अन्दर पहुँचा दिया, मनिषा की चीख निकल गई।

मनिषा जोर जोर से चिल्लाने लगी। फिर मनिषा ने लिंग को पकड़ लिया। मैंने देखा कि मोनिक की चूत से खून की धार को निकल रही है।

मैंने मनिषा के चेहरे को देखा तो मैं समझ गया कि मनिषा को दर्द हो रहा है। मैंने दोबारा वैसा ही झटका मारा, तो मनिषा इस बार दर्द से दोहरी हो गई। मैंने यह देख कर उसके होठों को अपने होंठों से दबा लिया वरना मनिषा की आवाज़ दूर तक जाती।

मनिषा एक मिनट में ही सामान्य नज़र आने लगी क्योंकि उसके मुँह से हल्की हल्की उत्तेजक सिसकारियाँ निकल रही थी। मैंने फिर से एक जबरदस्त धक्का मारा, मनिषा इस बार दहाड़ मार कर चीख पड़ी।

मैंने देखा कि इस बार मनिषा की आँखों में आँसू तक आ गए थे। मैंने मनिषा के होठों को अपने होठों से चिपका लिया और जोर-जोर से उन्हें चूमने लगा और साथ ही मनिषा के स्तनों को दबाने लगा। मनिषा भी उतनी तेजी से मुझे चूम रही थी।

मैं हल्के हल्के अपनी कमर चला रहा था। अब मनिषा धीरे धीरे सामान्य होती लग रही थी। मुझे इतना समझ आया कि अब मनिषा को दर्द कम हो रहा है। मनिषा ने अपने टांगों को मेरी कमर के चारों ओर कस लिया।

मैंने मनिषा के होठों को छोड़ दिया और पूछा- अब मज़ा आ रहा है क्या? दर्द तो नहीं है?

मनिषा बोली- आराम से करते रहो !

मैंने एक जोरदार झटका मारकर अपना लिंग मनिषा की योनि में काफी अन्दर तक ठूंस दिया।इस बार मनिषा के मुँह से उफ़ भी नहीं निकली बल्कि वो आह.. सी.. स्स्स्स…सस… की आवाज़ें निकाल रही थी।

मनिषा बोली- मुझे बहुत अच्छा लग रहा है !

यह देखकर तीन चार जोरदार शॉट मारे और लिंग जड़ तक मनिषा की योनि में घुसा दिया और अपने होठों को मनिषा के होठों से चिपका उसके ऊपर चित्त लेटा रहा।

अब मैंने झटकों की गति और गहराई दोनों ही बढ़ा दी। काफ़ी देर त़क मनिषा के रास्ते में मैं दौड़ लगाता रहा फिर मनिषा ने अपनी टाँगें ढीली कर ली। मनिषा स्खलित हो गई थी। कुछ ही देर में मेरा शरीर ढीला हो गया। काफी देर मैं मनिषा के ऊपर लेटा रहा। मनिषा मेरे होठों को बार बार चूम रही थी और आत्मसंतुष्टि के भाव के साथ मुस्कुरा रही थी।

मनिषा को उस दिन मैंने चार बार चोदा।

उसने कहा- अब मम्मी,पापा घर आने वाले हैं।

फ़िर मैंने भी उसकी और अपनी परेशानी को समझा और मैं अपने घर चला आया।

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