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शराब के नशे मे मरवाई गांड

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नमस्ते दोस्तों, मैं आपकी सेक्सी फ्रेंड मनीषा हूँ. आप सबने मेरी पहली कहानी

को तो पढ़ा ही होगा. मुझे तो बस नए नए लंड खाने की आदत पड़ गई थी. आज उसी आदत को लेकर अपनी एक और गंदी कहानी लिख रही हूँ.

जब मैं 12वीं में थी, तब ट्यूशन भी जाती थी. मुझे रास्ते में रोज ही एक लड़का दिखता था. वो मेरे घर से थोड़ी दूर ही रहता था. वो मुझे रोज देखता था. बाद में मुझे मालूम हुआ कि उसका नाम अनूज था. अनूज बहुत हैंडसम था उसकी हाईट भी काफी मस्त थी.

वो मुझे रोज देखकर स्माइल करता और मेरे पीछे पीछे मेरे घर तक आ जाता. मैं घर में आ जाती, तो वो सीटी की धुन पर कोई न कोई गाना निकालते हुए आगे बढ़ जाता. मुझे उसका यूं मेरे पीछे आना बड़ा अच्छा लगने लगा था.

फिर एक दिन मैं उसे देख कर मुस्कुरा पड़ी तो उसने मेरे करीब आकर मुझे प्रोपोज़ कर दिया.
मैंने कहा- मुझे थोड़ा टाइम चाहिए सोचने के लिए!
उसने कहा- हां मुझे भी लगता है कि तुमको मेरे बारे में जानकारी होनी चाहिए. ऐसा करो, तुम मुझे अपना फोन नम्बर दे दो. इससे हम दोनों एक दूसरे को समझ सकते हैं.

ये कहते हुए उसने मेरा नंबर मांग लिया मैंने भी दे दिया. अब हम दोनों की बातें चालू हो गई थीं.

शाम को चार बजे उसने मुझे कॉल किया.

मैंने- हैलो कौन?
अनूज- क्या कर रही हो.
मैं उसकी आवाज पहचान गई और बोली- मैं बस पढ़ रही थी … अब बस शॉपिंग करने मार्किट जा रही हूँ.
अनूज- मतलब तुम मेरी आवाज से ही मुझे पहचान गईं . … थैंक्स.
मैंने भी हंस कर ओके कह दिया.

फिर अनूज बोला- बाजार किसके साथ जा रही हो?
मैंने कहा- अकेली.
अनूज- मैं आ जाऊं? साथ में चलते हैं.
मैं बोली- हां ठीक है.
वो बोला- निकलने से पहले कॉल कर देना.
मैंने ओके कहा और फोन काट दिया.

फिर मैं तैयार होकर बाहर निकली और उसको कॉल कर दिया. वो मेरे फोन का इन्तजार ही कर रहा था. कुछ ही पलों में वो अपनी कार लेकर आ गया.

मैं उसकी कार में बैठ कर एक मॉल में आ गई. वहां मैंने दो ड्रेस लीं और चेंजिंग रूम में चली गई. अन्दर ड्रेस को ट्राई करके मैं बाहर आ गई.

उसने मुझे तीन ड्रेस और दीं और कहा- ये भी ट्राई करो, तुम पर बहुत अच्छी लगेंगी.

मैं मुस्कुराते हुए ड्रेस लेकर अन्दर चली गई और कुछ ही देर में ट्राई करके बाहर आ गई.

मैंने दो ड्रेस ले लीं, मेरा सब बिल उसी ने पर किया. कुछ देर वहीं रुक कर हम दोनों ने एक एक कॉफ़ी पी और हम दोनों बाहर आ गए. फिर उसने मुझे घर पर छोड़ दिया.

जब हम घर पहुंचे, तब उसने मुझे एक गिफ्ट दिया. मैंने घर जाकर उस गिफ्ट को खोल कर देखा, तो उसने मुझे एक ब्रा पैंटी का सैट गिफ्ट किया था. मैं मुस्कुरा दी.

रात में उसने मुझे कॉल किया- गिफ्ट कैसा लगा?
मैं- अच्छा था, पर साइज छोटा है.
अनूज- हां तुमने कभी अच्छे से दिखाए ही नहीं हैं … तो मुझे साइज़ का कैसे पता चलेगा.
ये कह कर वो हँसने लगा.

मैंने मजा लेते हुए कहा- क्यों रोज ही तो देखते हो?
अनूज- ऐसे देखने से क्या पता चलता है यार … अच्छा मैंने तुम्हें जो गिफ्ट दिया है, तुम उसके बदले में मुझे क्या दोगी?
मैंने कहा- क्या चाहिए?
अनूज- मैं मेरा गिफ्ट तुम्हें पहने हुई देखना चाहता हूँ.

मैंने कहा- पर साइज़ तो छोटा है.
वो बोला- कल दूसरा साइज़ लाकर दे दूँगा. आज इसी को पहन कर दिखा दो.
मैंने कहा- अच्छा ठीक है … कभी मौका मिलेगा, तो दिखा दूंगी.
अनूज- अरे नहीं यार … मुझे जल्दी देखना है.

मैं- अभी कैसे दिखा सकती हूं यार!
अनूज- क्यों बस घर के पीछे गार्डन में आ जाओ, मैं वहां आ जाऊंगा.
मैं- नहीं … उधर कोई देख लेगा.
अनूज- नहीं … कोई नहीं देखेगा, तुम मेरे लिए इतना नहीं कर सकती हो?
मैं- अच्छा ठीक है … मैं तुम्हें रेडी होकर कॉल करती हूं.

फिर मैंने देखा कि सब सो गए हैं … या नहीं.

एक बजे मैंने उसे कॉल किया और कहा- आ जाओ.

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मैंने कॉल कट करके अपना गाउन उतार कर उसकी दी हुई ब्रा और पैंटी पहन ली, जो कि बहुत टाइट थी. मगर मैंने पहन ली. फिर ऊपर से गाउन पहन कर गार्डन की तरफ जाने को रेडी होकर उसका वेट करने लगी.

कुछ पल बाद उसका कॉल आया कि मैं आ गया हूँ.

तब मैं बाहर गार्डन में आ गई.

हमारे गार्डन में एक बाथरूम बना है. मैं वहीं अपने पुराने आशिक़ और राहुल से भी मिलती थी. वो आया तो मैं उसे वहां लेकर आ गई.

उसने कहा- आज तुम बहुत अच्छी लग रही हो.
मैं मुस्कुरा दी.

उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और मेरी कमर को पकड़ लिया. मैंने उसका सहयोग किया, तो वो ब्रा पेंटी देखने के लिए मेरा गाउन ऊपर करने लगा.

उसी वक्त मैं उससे दूर हटी और खुद ही गाउन उतार दिया.
वो मुझे देखता ही रह गया.
मैं दो पल उसको अपना हुस्न दिखाने के बाद बोली- हो गया देखना … अब मैं जाऊँ?

उसने मुझे फिर से अपनी तरफ खींच कर मेरे मम्मों पर हाथ रख दिए.

वो बोला- इतनी जल्दी क्या है … मुझे इनका साइज तो नाप लेने दो … ताकि अगली बार मेरा गिफ्ट ज्यादा टाइट न हो.

ये बोल कर अनूज ने मेरे बूब्स दबा दिए.
मैं- क्यों हमेशा यही गिफ्ट दोगे क्या?
अनूज- तुम बोलो जान … तुम्हें क्या चाहिए.
मैं- जब चाहिए होगा, तब बताऊँगी.

वो मेरे बूब्स दबाए जा रहा था. अब मैं भी गर्म हो रही थी. उसने मुझे जकड़ा और किस करने लगा.

अब मुझे हर हाल में लंड चाहिए था, तो मैं भी उसका साथ देने लगी. पता ही नहीं चला कि कब उसने मेरी ब्रा खोल दी और वो मेरे मम्मों को चूसने लगा.

वो टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहन कर आया था. ये बात शायद उसे पता थी कि आज वो मुझे चोद लेगा. इसलिए उसने अंडरवियर नहीं पहना था.

उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने शॉर्ट्स में डाल दिया.
उफ्फ्फ … उसका 7 इंच अच्छा खासा मोटा लंड देख कर मैं हैरान हो गई. उसके लंड को हाथ में लेकर मैं एकदम से पागल हो गई थी.

उसने अपने सारे कपड़े उतार कर मुझे लंड चूसने को कहा. मैं नीचे बैठ कर उसका लंड चूसने लगी. फिर उसने मुझे खड़ा किया और मुझसे खेलने लगा. कुछ देर बाद उससे मुझे वेस्ट्रन कमोड पर हाथ रख कर झुकने को बोला, मैं कुतिया बन कर झुक गई. अनूज पीछे से मेरी चुत पर अपना लंड रगड़ने लगा.

उफ्फ्फ … लंड की गर्मी महसूस करके तो जैसे मैं तो पगला गई थी.

उसी वक्त उसने एक धक्का मार दिया और उसका आधा लंड मेरी चूत में घुस गया.
मुझे ज्यादा दर्द तो नहीं हुआ, लेकिन मैं थोड़ा चिल्लाई … ताकि उसे लगे कि मेरी चुत टाइट है.

फिर उसने एक और तेज धक्का मार कर पूरा लंड अन्दर पेल दिया. अब मुझे थोड़ा दर्द हुआ और मैं फिर से चिल्ला दी.
वो रुक गया और मुझे चुप रहने को बोलने लगा.
मैं चुप हो गई.

अब उसने धक्के मारने चालू कर दिए. मैं अहह अहह करके आवाजें करने लगी.

कुछ देर बाद मैं झड़ने वाली थी, तब मैं कामुक भरी आवाजें निकालने लगी- और जोर से … अहह और जोर से … पूरा डाल दो … आह … आआ आई लव यू अनूज … आह.

वो भी मेरी बातें सुनकर और तेज़ हो गया. फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए.

फिर हम दोनों में थोड़ी देर बातें हुईं. मैं उससे बोली- अब तुम चले जाओ.
वो चला गया, मैं रूम में आ गई.

फिर तो हर 3-4 दिन बाद वो घर आने लगा. उसने मुझे नींद की गोली का पैकेट दे दिया था. जिस दिन भी वो रात में आता, मैं उस दिन रात के खाने में दवा मिला देती. जिससे रात भर मेरे घर का कोई मेम्बर नहीं उठता. फिर वो मेरे रूम में आकर मुझे मस्ती से चोद देता था.

एक दिन उसने मुझसे कहा- मेरे दोस्त का फ्लैट खाली है, कल तुम कॉलेज मत जाना, हम उसके रूम पर चलते हैं … रात भर वहीं रहेंगे.
तो मैं बोली- ठीक है.

मैंने घर पर मम्मी को बोल दिया कि मैं राहुल के घर पढ़ाई करने जा रही हूँ, तो रात को वहीं रुक जाउंगी. इसलिए कल आउंगी.
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मम्मी को राहुल से मेरी दोस्ती के बारे में पता था. राहुल मेरी मम्मी के सामने मुझे बहन मानता था, तो मुझे मालूम था कि मम्मी राहुल के नाम पर मुझे मना नहीं करेंगी.
मेरी मम्मी बोलीं- ठीक है … जल्दी आ जाना.
मैं बोली- ठीक है. कल सुबह जल्दी ही आ जाऊंगी.

मैं सुबह तैयार होकर कॉलेज जाने को निकली. अनूज को कॉल किया, तो वो कार लेकर आ गया.

हम दोनों उसके दोस्त के फ्लैट पर आ गए. वहां कोई नहीं था. मैं अन्दर गई. उधर उसने मुझे एक गिफ्ट दिया. उस गिफ्ट में एक छोटी सी वेस्ट्रन ड्रेस थी, उस ड्रेस के साथ ब्रा नहीं पहनी जाती थी. उसने कहा कि इसे पहन कर दिखाओ.

मैं उसके सामने ही अपने कपड़े उतार कर उसका दिया हुआ ड्रेस पहनने लगी.
उसने मुझे खींच कर बेड पर अपने ऊपर गिरा लिया. मुझे किस करने लगा और मेरे बूब्स दबाने लगा. मैं भी उसका साथ दे रही थी.

फिर मैंने उसका पेन्ट उतार कर उसका लंड पकड़ा और हिलाने लगी. मैं उसका लंड चूसने लगी. उसने मेरा सर पकड़ लिया और मेरे मुँह को चोदने लगा और मेरे मुँह में ही झड़ गया. उसने मेरा सर पकड़ कर रखा था, तो मैं उसका लंड बाहर नहीं निकाल पाई और मुझे उसका पानी पीना पड़ा. वैसे मैंने राहुल का लंड रस काफी बार पिया था, सो मुझे ज्यादा प्रॉब्लम नहीं हुई.

वो लंड झाड़ कर शांत हो गया, पर मैं तो अभी गर्म हुई थी. सो मैंने उसे लिटा दिया और उसके ऊपर बैठ कर उसके साथ खेलने लगी.

थोड़ी देर बाद उसका लंड फिर से कड़क होने लगा.

इस बार फिर उसने चूसने को कहा, तब हम दोनों 69 के पोज़ में हो गए. अब वो मेरी चुत चाट रहा था और मैं उसका लंड. थोड़ी देर में हम अलग हो गए. उसने मुझे बेड पर लेटा दिया और मेरे पैर फैला कर मेरी चुत चाटने लगा.
“उफ़्फ़ आहाआआ आआ उफ्फ्फ …”

मैं मस्त आवाज़ करने लगी. उसने अपना लंड मेरी चुत पर रख कर धक्का दे दिया और पूरा लंड अन्दर चला गया. मेरी चुत ने उसके 5-6 झटकों में ही पानी छोड़ दिया. पर उसका अभी कहां होने वाला था. उसने मुझे काफी देर तक चोदा, पर उसका रस नहीं गिरा.

तब वो बेड पर लेट गया और बोला- लंड के ऊपर बैठ जाओ.

मैंने उसका लंड पकड़ कर अपनी चुत पर सैट किया और लंड पर बैठ गई. उसका पूरा लंड चूत के अन्दर चला गया. अब मैं धीरे धीरे अपनी गांड उछालने लगी.
थोड़ी देर बाद वो भी नीचे से धक्के मारने लगा और मेरे अन्दर ही झड़ गया.

मैं उसके ऊपर ही लेट गई. तब तक शाम के 5 बज गए थे. मम्मी का कॉल आ गया. मैंने अनूज को चुप रहने को बोला और बात की.

मम्मी- तुम कहां हो?
मैं- अभी कॉलेज से निकली हूँ … राहुल के घर जा रही हूँ.
मम्मी- अच्छा ठीक है … कब तक आओगी?
मैंने- बताया तो था कि आज राहुल के यहाँ ग्रुप स्टडी करने जा रही हूँ, कल आ जाऊँगी.
मम्मी- ठीक है.

फिर हम दोनों उठे, एक दूसरे को साफ किया. मैं बैठ कर टीवी देखने लगी और इधर उधर की बातें करने लगी.

शाम को 7 बजे अनूज बाहर गया और खाने का सामान लेकर आया. वो ड्रिंक्स और मेरे लिए बियर लेकर आया था. हम दोनों ने खाना खाया और बातें करने लगे.

उसने ड्रिंक करना स्टार्ट कर दिया और मुझे बियर का कैन दे दिया. मैं बियर पीने लगी.

थोड़ी देर बाद उसने कहा- तन्नू मैं आज तुम्हारी गांड मारना चाहता हूँ.
मैं- नो … मुझे दर्द होगा.
अनूज- कुछ नहीं होगा … लो ड्रिंक कर लो, इससे दर्द नहीं होगा.

वैसे तो मैं हमेशा से ही गांड मरवाना चाहती थी, पर कभी मौका नहीं मिला था. दर्द होने के डर की वजह से मैंने कभी किसी को बोला भी नहीं. पर आज जब उसने कहा कि ड्रिंक कर लो, दर्द नहीं देगा, तो मैंने सोचा कि आज मौका अच्छा है … एक बार गांड में भी लंड ट्राई कर लेती हूँ.

अब मैं भी उसके साथ ड्रिंक करने लगी. दो पैग के बाद मुझे भी थोड़ी चढ़ने लगी.

अनूज अपने कपड़े उतार दिए और मैं तो बस उसकी शर्ट पहन कर बैठी थी, सो मैंने भी उतार दी. अब हम किस करने लगे. वो मेरे बूब्स दबाने लगा.

फिर उसने अपना लंड मुझे चूसने को दिया और मैं लंड चूसने लगी.
उसने कहा- आज इसे अच्छे से गीला कर दो.

मैंने लंड को खूब चूसा और गीला कर दिया. अब उसने मुझे एक बड़ा पैग बना कर दिया और एक सांस में पूरा पी जाने का कहा. मैंने एक ही झटके में पूरा गिलास खाली कर दिया. मुझे बड़ी जलन सी हुई, लेकिन उसने मुझे काजू खिला दिए, ताकि दारू की कड़वाहट खत्म हो जाए.

फिर उसने मुझे में बेड पर झुका दिया और पीछे से मेरी गांड पर अपने लंड को रगड़ने लगा.
दारू के तेज नशे से मैं मस्त हो गई थी.

तभी अनूज ने एक धक्का मारा, पर लंड फिसल गया. उसने मुझे टाइटली पकड़ लिया और अपने लंड को मेरी गांड पर रख कर धक्का मार दिया. इस बार उसके मोटे लंड का टॉप मेरी गांड के अन्दर चला गया. मैं चिल्ला दी, पर मुझे ज्यादा दर्द नहीं हुआ … शायद नशे की वजह से ऐसा हुआ था.

फिर उसने एक और धक्का मारा. अबकी बार लंड आधा अन्दर चला गया था. मेरी गांड बहुत टाइट थी, तो लंड अन्दर बाहर नहीं हो पा रहा था. उसने लंड बाहर निकाला और वेसलीन लगा कर फिर से धक्का मार दिया. अब मेरी गांड फट गई थी और पूरा लंड मेरी गांड के अन्दर तक चला गया. मैं रोने लगी और चिल्लाने लगी थी.

वो थोड़ी देर रुक गया और जब मेरा दर्द कम हुआ, तो उसने धक्के मारने चालू कर दिए.
“उफ्फ्फ … आह …”

अब मुझे भी मज़ा आने लगा था. मैं भी उसका साथ देने लगी. उसने 15 मिनट तक मेरी गांड चुदाई की और झड़ने लगा. उस वक्त वो और तेज़ हो गया था. उसने मेरी गांड को अपने पानी से भर दिया था.

उस रात 2 बार और चुदाई का मजा लिया और सुबह मैं घर आ गई.

इसके बाद उसने मेरे घर पर काफी बार आकर मेरी चुदाई की, मुझे उसके साथ बहुत मज़ा आता था.

तो दोस्तो, कैसी रही मेरी गंदी कहानी, मुझे जरूर बताएं, अगली स्टोरी में मैं आपको बताउंगी कि कैसे मेरे भाई ने मुझे अनूज के साथ गांड मरवाते हुए देख लिया था.

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