ErrorException Message: WP_Translation_Controller::load_file(): Argument #2 ($textdomain) must be of type string, null given, called in /home/u271051433/domains/free-sex-story.in/public_html/wp-includes/l10n.php on line 838
https://free-sex-story.in/wp-content/plugins/dmca-badge/libraries/sidecar/classes/ Gaand Chudai Story - टेलर से गांड मरवाई      

टेलर से गांड मरवाई

Read More Free Hindi Sex Story, Gaand Chudai Story, Antarvasna Sex Story On free-sex-story

जहां मैं रह रहा था, वहीं पर मैं अपने कपड़े सिलवाने के लिए एक टेलर मास्टर के पास जाता था. कपड़े सिलने के साथ ही वे गाने बजाने का शौक भी रखते थे. एक तरह से यह उनका पार्ट टाइम काम था.

लोग उनको नाटक, संगीत कार्यक्रम आदि में बुलाया करते थे. वे गाते भी थे और साथ ही तबला और हारमोनियम बजाने का अच्छा ज्ञान भी रखते थे. जब वे 18-20 की उम्र के थे तो उस समय वे मुम्बई में चले गये थे. उस वक्त उन पर हीरो बनने का जुनून था.

वहां पर मास्टर जी ने काफी संघर्ष किया. उनको छोटे मोटे रोल भी मिलने लगे. कई नाटकों में भी हिस्सा लिया. मगर इन सब से उनको जीवन यापन हेतु आवश्यक आमदनी नहीं हो रही थी इसलिए उन्होंने टेलर की दुकान पर काम करना शुरू कर दिया.

फिर 6-7 साल गुजार कर वो वापस आ गये. अब वो मास्टर जी हमारे शहर के सबसे बढ़िया पैंट सिलने वाले व सूट स्पेशलिस्ट बन चुके थे. इसके साथ ही नाटककार और गायक भी.

उनकी उम्र अब 30-32 की हो चली थी. एकदम से गोरे, स्लिम और सुंदर. हमेशा ही संवर कर रहते थे. चूंकि नाटकों में उन्होंने काम किया था तो उनके बात करने के अंदाज में भी वो शैली झलकती थी. वो हाथ नचा नचा कर और आंखें मटका मटका कर बड़ी ही प्यारी अदा से बात किया करते थे.

मेरी उनसे पुरानी जान-पहचान थी तो शाम के समय में मैं अक्सर उनके यहां चला जाता था. जब वो अपने ग्राहकों से निपट जाते थे तो मैं उनके पास बैठ कर संगीत या गाना सुनता था.

उनका संगीत सुन कर आसपास के साथी लोग भी आ जाते थे. वो भी तबला हारमोनियम की धुन में रम जाते और महफिल सज जाती थी. कभी कभी तो जोश में सब ही मिल कर नाचने लग जाते थे. अब वो स्थानीय कलाकारों को भी प्रशिक्षण दे दिया करते थे. उनके पास दो लड़के असिस्टेंट के तौर पर काम किया करते थे.

जब मास्टर जी दुकान पर नहीं होते थे तो उनकी गैरमौजूदगी में वो लौंडे ही दुकान को संभालते थे. मास्टर जी की मदद करने के अलावा दुकान के अन्य काम भी देखते थे.

उन लौंडों की उम्र यही कोई 20-22 के आसपास की रही होगी. दोनों ही जवान और जोश से भरपूर दिखाई पड़ते थे. कई बार मेरी नजरें भी उनको देख कर बहक जाती थीं.

एक दिन की बात है कि मैं शाम को दुकान पर 8 बजे के करीब पहुंचा. मेरा मन कुछ उचटा हुआ सा था तो मैंने सोचा कि मास्टर जी के यहां थोड़ा संगीत सुन कर आ जाऊं.

जब मैं दुकान पर पहुंचा तो दरवाजे खुले हुए थे. मगर अंदर में अंधेरा था. मैंने कौतूहल भरे कदमों से अंदर कदम बढ़ाये. धीरे धीरे आंखें अंधेरे की अभ्यस्त होने लगीं तो हल्का हल्का दिखाई पड़ने लगा था.

| Anal Sex Story | Gay Sex Story |

बिना कदमों की आवाज़ के मैं अंदर घुसा चला जा रहा था. अंदर कुछ आहट सी हुई. मैंने देखा तो रोशन (दुकान का लड़का) एक लड़की के साथ दीवार पर चिपका खड़ा हुआ था. लड़की दीवार के साथ लगी हुई थी और वो उसको घेरे हुए था. उसकी बांहों के घेरे में कैद वो लड़की तो दिखाई नहीं दे रही थी लेकिन इतना जरूर पता लगा रहा था कि चुम्मा चाटी चल रही है.

मैं वहीं पर एक तरफ हो लिया. ऐसा सीन जब सामने चल रहा हो तो मन अपने आप बेईमान हो जाता है. भले ही लड़की मेरे किसी काम की न थी फिर भी सेक्स का खेल देखना किसे अच्छा नहीं लगता. मैं भी उन दोनों को देखने लगा.

रोशन उस लड़की के मम्में दबा रहा था और वो लड़की हल्का सा विरोध करते हुए उसे रोकने की कोशिश कर रही थी. मगर जब लौड़ा खड़ा हो जाये तो मन का घोड़ा कहां रुकता है. रोशन उसके बदन से चिपक गया और उसके होंठों को चूसने लगा.

लंड तो मेरा भी खड़ा हो गया था लेकिन ज्यादा देर वहां रुक कर ये नजारा देखने में भी रिस्क का काम था. मैं चुपचाप वहां से सरक कर बाहर आ गया. उस दिन पता चला कि मास्टर जी की दुकान में ये काम भी होता है.

एक दिन दोबारा मुझे फिर से यही मौका मिला. उस दिन भी मैंने वही नजारा देखा. चूंकि रोशन के साथ मेरी बातचीत होती थी तो वो मुझे भी जानता था. एक दिन उसने मुझसे मेरे कमरे की चाबी मांगी. मैं तो पहली बार में ही समझ गया था कि वह चाबी क्यों मांग रहा है. मैंने भी मना नहीं किया.

पहले दिन मैंने बिना कुछ कहे चाबी दे दी. जब तक मैं शाम को घर लौटता तो रोशन अपना काम निपटा चुका होता था. यानि की चुदाई हो चुकी होती थी. चुदाई के निशान मुझे रूम में दिखाई दे जाते थे.

ऐसे ही तीन-चार बार हुआ. पहले तो मैंने कुछ नहीं बोला. चौथी दफा जब वो चाबी मांगने आया तो मैंने भी थोड़ी वसूली करने की सोची.
मैंने रोशन से कहा- यार मैं तो तुझे चाबी दे देता हूं लेकिन बदले में मुझे भी तो कुछ चाहिए.

उसने कहा- तो आपको भी दिलवा दूं क्या (चूत)?
मैंने कहा- मुझे वो दो फाड़ वाला फल नहीं चाहिए.
वो बोला- फिर?
उसके पूछते ही मैंने उसको पकड़ कर अपनी ओर खींच कर उसके होंठों को जोर से चूम लिया.

रोशन ने पीछे हट कर खुद को मेरी पकड़ से छुड़ाया और अपने होंठों को हाथ से पोंछते हुए बोला- अरे … अरे … बस! आपको लौंडिया दिलवा दूंगा.
मैंने कहा- मगर हथियार तो अभी पैना हुआ पड़ा है.
मैंने उसकी पैंट में हाथ डालकर उसके चूतड़ों को मसलना शुरू कर दिया.

वो बोला- अरे क्या कर रहो हो, ये सब नहीं करना मुझे.
मगर इतने में ही मैंने उसकी पैंट का हुक खोल दिया. उसकी पैंट उतार कर उसको बेड पर औंधे मुंह गिरा कर उसके चूतड़ों को किस करते हुए कहा- हाय … इतना चिकना है तू … तुझे छोड़ा तो नहीं होगा किसी ने, मुझे चूतिया बनाने की न सोच.

अब तक मैं उसका अंडरवियर उसकी जांघों तक सरका चुका था. मैंने उसके नर्म नर्म चूतड़ों पर हाथ से दबाते हुए उसकी गांड के छेद को सहलाना शुरू किया तो वो ‘न .. न .. करने लगा.
कहने लगा- मैं ये नहीं करवाता.
| Gaand Chudai Sex Story | Antarvasna Hindi Sex Story |
मैं बोला- रहने दे. इतना दूध का धुला तो नहीं है तू.

मैंने उसके चूतड़ों को दोनों हाथों से फैलाते हुए उसकी गांड में उंगली दे दी.
वो बोला- अरे नहीं, अभी नहीं, बाद में फिर कभी. रहने दो न … फिर कभी कर लेना।
मगर अब तो घोड़ा लगाम तोड़कर निकल गया था. रुकने वाला कहां था.

तब तक मैंने थूक लगा कर लंड का टोपा उसकी गांड पर टिका दिया. वह गांड को इधर उधर हिलाने लगा. शायद उठने की कोशिश कर रहा था. मगर मैंने उसकी कमर को पकड़ लिया और थोड़ा जोर लगाकर आधा लंड उसकी गांड में उतार दिया.

मैंने कहा- देख भाई, अगर अब ज्यादा नौटंकी करेगा या हिलाई-डुलाई करेगा तो दर्द तुझे ही होना है. अब लौड़ा फिट हो चुका है. चुपचाप टांगें चौड़ी करके गांड को ढ़ीली छोड़ दे और गांड चुदवाने का मजा ले ले.

उसे मेरी बात समझ में भी आ गयी. फिर मैंने उसके कंधों के नीचे से बांहें निकाल कर उसके सीने को जोर से कस लिया और जोर का धक्का दिया. अब पूरा लंड उसकी गांड में चला गया.

वह भी अब चुपचाप लेटा हुआ था. मैंने उसके नर्म से गाल पर एक गीला सा जोरदार चुम्मा लिया और कहा- बस मेरे राजा, ऐसे ही लेटा रह, दोनों को जन्नत का मजा आने वाला है. ज्यादा देर नहीं लगेगी, जल्दी ही निपटा दूंगा तुझे.

वो हंसते हुए बोला- आप भी न … बहुत पटाते हैं.
मैंने धक्का देते हुए कहा- जानेमन, लग तो नहीं रही न?
उसने कुछ जवाब न दिया. संकेत साफ था. उसको मजा आ रहा था.

फिर मैं भी धीरे धीरे रेल के इंजन की तरह चालू हो गया.
चोदते हुए मैंने पूछा- मजा आ रहा है क्या?
वो बोला- जब लंड गांड में घुसा है तो मजा तो आयेगा ही. न भी आये तो अपने आप आने लगता है.

दो मिनट के बाद धीरे धीरे उसकी गांड में हरकत होने लगी थी. मैं समझ गया कि अब यह गांड चुदवाने का पूरा आनंद ले रहा है. मैं दे दना दन, धच्च-धच्च, पच्च-पच्च शुरू हो गया. गांड चोदने में भी पूरी ताकत लगती है इसलिए जल्दी ही सांस फूलने लगी. मेरा पसीना निकलने लगा.

कुछ ही देर में पानी भी निकल गया. मजा आ गया उसकी गांड चोद कर. हम दोनों अलग अलग हो गये. फिर थोड़ी देर वैसे ही नीचे से नंगे पड़े रहे. उसके बाद दोनों ने पैंट पहनी.

उस दिन के बाद तीन-चार बार मैंने उसकी गांड मारी.

एक बार मैं दुकान में ही उसकी गांड मार रहा था कि उस्ताद जी आ धमके. हम जल्दी से अलग हो गये. उस वक्त तो उन्होंने देख कर भी कुछ नहीं कहा. दो चार दिन के बाद मैं और उस्ताद जी दुकान में अकेले ही थे.

वो बोले- तो तुमने वो लौंडा पटा ही लिया. मगर इसका टैक्स तो तुम्हें मुझको भी देना होगा.
उनकी बात सुनकर मैं भी मुस्करा दिया लेकिन गांड पहले ही फट रही थी. सोच रहा था कि आज तो अपनी भी चुदवानी पड़ेगी.

उस्ताद जी बोले- तो फिर आज रुकें?
मैं सोच में था. कुछ कहने की स्थिति में नहीं था. जानता नहीं था कि टेलर मास्टर का औजार कितना बड़ा होगा. ये भी नहीं मालूम था कि गांड चोदने की उनकी शैली कैसी है.

मैं सोच ही रहा था कि उस्ताद जी मुझे एक कोने में ले गये. मेरे पैंट की चेन खोल कर मेरा लंड अपने हाथ से आगे पीछे करने लगे. लौड़ा जब खड़ा हो गया तो उन्होंने लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. मुझे मजा आने लगा. मैंने खुद ही फिर अपनी पैंट को नीचे कर लिया और अंडरवियर भी नीचे कर लिया.

फिर संगीत मास्टर ने भी अपने कपड़े उतार डाले. उनकी गांड मेरी ओर ही थी. उनकी. कपड़ों में इतनी सुडौल नहीं लग रही थी जितनी नंगी होकर लगी. अगले ही पल वो जमीन पर औंधे लेट गये. अपनी गांड को मेरे सामने ऊपर उठा दिया. मैं भी जैसे मेंढक की तरह कूद कर उनके ऊपर चढ़ गया और अपना लंड उस्ताद की गांड पर टिका दिया.

जैसे ही टोपा गांड में लगा कर हल्का सा जोर दिया तो लौड़ा गांड में उतर गया. गांड का छेद ढीला था. एक ही धक्के में पूरा लंड गांड में घुस गया. मैं अंदर-बाहर, अंदर-बाहर करते हुए शुरू हो गया. मगर उस्ताद जी की गांड का रिदम मुझसे भी ज्यादा मजेदार था. मेरे धक्कों से तेज तो उनकी गांड चल रही थी.

झड़ने में देर लग रही थी. गांड मैं उनकी मार रहा था लेकिन गांड मेरी भी फट रही थी. बड़ी देर लगी छूटने में लंड का पानी. उस्ताद जी खुश हो गये.
उसके दो दिन बाद फिर से उन्होंने अपनी गांड की खुजली मेरे लंड से मिटवाई.

फिर एक दिन मैंने कहा- ज़रा मुझे भी खुश कर दो मास्टर जी?
उनके कुछ कहने से पहले ही मैं उनके सामने पैंट और अंडरवियर उतार कर लेट गया. उस दिन पहली बार मैंने ध्यान से उनका दस इंची हथियार देखा. बहुत ही मस्त था.

कुछ करने से पहले वो बोले- बीच में कुछ मत बोलना. लौंडे गांड मरवाने के लिए तैयार तो हो जाते हैं लेकिन फिर बीच में चिल्लाने लगते हैं.
मास्टर जी को नहीं पता था कि मैं भी पुराना खिलाड़ी रह चुका हूं. कई मोटे और लम्बे लंडों की ठोकरें अपनी गांड पर झेल चुका हूं.

मेरे चूतड़ देख कर उस्ताद जी बोले- तेरे चूतड़ तो मस्त हैं.
फिर वो मेरी जांघों को चूमने लगे. फिर चूतड़ों को मसलने लगे.
फिर सिसियाते हुए बोले- आह्ह … बहुत दिनों के बाद ऐसा मस्त माल देखा है.

तभी वो उठे और अपनी अलमारी से एक तेल की शीशी निकाल कर ले आये. अपनी उंगलियों से मेरी गांड में तेल अंदर तक लगाने लगे. बड़ी देर तक अंदर उंगली घुमाते रहे. फिर अपने लंड को तेल से चुपड़ते रहे.

उसके बाद दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को फैला कर अपना लंड मेरे छेद पर टिकाया और धक्का दिया. बोले- थोड़ा ढीला कर!
मैं जानबूझ कर आआ .. ईई … आई.. आई .. करने लगा. वो धीरे धीरे डाल रहे थे. मैं चाहता था कि वो जल्दी से अपना पूरा हथियार पेल दें. बहुत दिनों से इतने मस्त लंड से गांड मरवाने का मौका नहीं मिला था.

उस्ताद बोले- शाबाश! ऐसे ही ढीली करे रहो बस…अह्ह।
इतना कह कर उन्होंने पूरा लंड मेरी प्यासी गांड में पेल दिया. वे धीरे धीरे अंदर-बाहर अंदर-बाहर करने लगे. मगर इस तरह से कब तक बैलगाड़ी की चाल चलते. दे दनादन, दे दनादन हो गये शुरू. लग गये पूरे जोर से चोदने.

मेरी गांड को पूरे जोश में रगड़ने लगे. मुझे मजा आने लगा. मैं भी उचका उचका कर मरवाने लगा.
वे मारते मारते बोले- लग तो नहीं रही? धीरे करूं?
मैं कहना चाहता था- ‘उस्ताद और जोर से।’ मगर कह नहीं पाया. हां मगर बार बार गांड को ढीली छोड़ता और कस देता. इस तरह से उस्ताद का पूरा साथ दिया.

दस मिनट तक मेरी गांड को बुरी तरह से रगड़ने के बाद उस्ताद मेरी गांड में ही झड़ गये. उस्ताद जी मेरी गांड में खाली होकर मेरे ऊपर ही लेटे रह गये. बहुत दिनों के बाद किसी से गांड मरवाकर इतना मजा आया मुझे.

Read More Free Antarvasna Hindi Sex Story, Indian Sex Stories, xxx story On free-sex-story
3 2 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments