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चलती ट्रेन मे पटाया लंड

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हाई फ्रेंड्स, मैं आपकी शबाना हूँ. अभी मैं बस 26 साल की हूँ. मेरा निकाह मेरे घर वालों ने अपनी मर्जी से करवाया था. मैं इस निकाह से खुश नहीं थी क्योंकि मुझे खूबसूरत शौहर चाहिए था पर वो नहीं मिला.
मेरे निकाह को 4 साल हो गए हैं. मुझे अभी तक कोई औलाद नहीं हुई है. मैं 5’3″ लम्बी हूँ और मेरा जिस्म 34-30-36 है.

मेरी सेक्स कहानी पढ़ कर एक लड़के ने मुझे ईमेल किया था फोटो के साथ। मुझे वो अच्छा लगा था दिखने में।
जब भी वक़्त मिलता, उससे मेल या हैंगआउट पर बात होने लगी.

वो मेरा फ़ैन था तो हमने नंबर एक्स्चेंज किया। कुछ दिन बाद मैं उस लड़के से फोन पे बात करने लगी. पर मैंने उसको बोला था कि मुझे तब तक कॉल नहीं करना जब तक कि मैं मिस कॉल ना दूँ।

पर एक दिन उसने कॉल किया और फोन देवर ने उठा लिया। उसने भी बिना बात किए फोन काट दिया. पर मेरे देवर को शक हो गया था।

थोड़ी देर बाद मैंने कॉल करके उसको डांटा. पर पीछे से नज़र रखे मेरे देवर ने हमारी बात सुन ली। उसने घर में बता दिया और सुना भी दिया जो हमने बात की. क्योंकि उसने रिकॉर्डिंग बटन ऑन कर दिया था।
अब आपको तो पता ही है आगे क्या होना था, मुझे थप्पड़ पड़े … पर घर की बात घर में दबा दी इज्ज़त के खातिर।
मेरा फोन हमेशा के लिए बंद करवा दिया इसलिए काफी दिन तक किसी से कोई रिश्ता नहीं रहा। विकी भी अब सिर्फ दिखाई देते हैं, घर के पड़ोस में है इसलिए; पर बात नहीं होती.
मैं काफी अकेली पड़ गई थी.

मेरे शौहर पहले से ही कम बात करते थे, अब तो उन्होंने मुझे हाथ लगाना भी बंद कर दिया था. इतनी नफरत हो गयी थी उनको!

एक दिन मेरे मायके से खबर आई कि मेरे एक रिश्तेदार हॉस्पिटल में सिरियस है।
मैंने घर में कहा- मुझे जाना है.

तब मेरे साथ कोई आने को तैयार नहीं हुआ. फिर बाद में मेरे ससुर को मेरे पर तरस आया और उन्होंने कहा- मैं चलता हूँ साथ में।
फिर हम रेलवे स्टेशन पे आ गए। शाम की ट्रेन थी और रात में करीब करीब एक बजे हम मेरे मायके में पहुँचने वाले थे।

रिज़र्वेशन नहीं था अचानक जो निकले थे. जनरल बोगी में काफी भीड़ थी इसलिए हम स्लिपर में चढ़ गए।
टीटी आया तो उनसे बात करके हमने दो सीट पैसे देकर ले ली। पर दोनों सीट एक दूसरे से कुछ दूरी पे थी।

मेरे ससुर अपनी सीट पे लेट गए और मैं टीटी के साथ निकली मेरी सीट के लिए।
कुछ देर चलने के बाद अगले डिब्बे में उसने मुझे एक सीट दी, ऊपर की सीट थी. मैं चढ़ के लेट गयी, मैंने बुर्का पहना था। वैसे भी जब भी बाहर जाती हूँ तब बुर्का होता ही है।
बैग को सर के नीचे रख के मैं सोने लगी.

तभी मेरी नज़र बाजू के ऊपर वाली सीट पर गयी. वहाँ कॉलेज का कोई स्टूडेंट था, वो किताब हाथ में लेकर पढ़ाई कर रहा था.
मैंने उसको देखा तो उसने मुझे देखके स्माइल दी, मैंने भी हल्की सी स्माइल दे दी, क्योंकि वो काफी अच्छा लड़का लगा मुझे।
उसकी उम्र लगभग 20 साल होगी।

फिर उसने कुछ कहा … पर मुझे कुछ सुनाई नहीं दिया ट्रेन के शोर की वजह से।
मैंने कहा- बोलो क्या कहा?
फिर उसने कहा- इधर कैसे आज? अकेली? पहचाना नहीं मुझे?
मैंने कहा- नहीं तो?
वो बोला- मैं विक्रम हूँ, तुम्हारे पड़ोस में तो रहता हूँ.

तब मुझे लगा कि हाँ ये तो छोटा सा लड़का था मेरे शादी के वक़्त में. पता नहीं चार साल में ही इतना बड़ा कैसे हो गया।
मैंने कहा- इतने दिन कहाँ थे?
वो कहने लगा- हॉस्टल में।

मुझे मेरे मायके का जान पहचान का कोई मिल गया था इसलिए अब सफर का मजा आने वाला था. काफी दिनों के बाद मेरे चेहरे पे मुस्कुराहट आई थी.

वो खाने के लिए साथ में पार्सल लाया था, उसने मुझे ऑफर किया, मैंने भी ज्यादा कुछ खाया नहीं था इसलिए उसको हाँ कह दिया।

रात के करीब नौ बजे होंगे, वो मेरी बर्थ पे आया और मैंने भी बैठ के उसके लिए थोड़ी जगह कर दी.

खाना खाते वक़्त फिर हमने बात शुरू की. सबसे पहले मैंने उसके गाल खींचे और कहा- विकी तू कितना कितना बड़ा हो गया है।
वो भी शर्मा गया।

मैंने उसको बताया- ससुरजी हैं साथ में … पर वो दूसरे सीट पे हैं.
खाना होने के बाद वो मेरे ससुर को मिलने गया और वापस आकार मुझसे कहा- वो अब सो रहे हैं.

हम साथ में बैठ के बातें करने लगे. मैं काफी खुश थी, कई दिन के बाद मैं किसी बाहर के लड़के के इतने पास थी।

अच्छी अच्छी बातें करने के थोड़ी देर बाद वो भी मज़ाक मज़ाक में मेरी तारीफ करने लगा, कहने लगा- आप जैसी गर्लफ्रेंड चाहिए.
मैंने भी कहा- ऐसी क्या खास बात है मुझमें?
विकी ने कहा- तू चीज़ बड़ी है मस्त मस्त!
और हम दोनों हंसने लगे.

11:30 बज रहे होंगे, ट्रेन अपनी स्पीड पर थी और बाकी लोग सो रहे थे, सिर्फ हम दोनों ही जाग रहे थे.
दो घंटे से ज्यादा हमने बातें की इधर उधर की। उसने अपने कॉलेज हॉस्टल लाइफ के बारे में बताया, मैंने भी घर के कुछ हालत बताए.

मेरी लाइफ के बारे में जानकर वो थोड़ा सा सेंटी हो गया और मुझे दिलासा देने के लिए मेरे हाथ को अपने हाथ में ले लिया और अपने कंधे पे मेरा सर रख दिया।
मैं भी यही चाहती थी कि कोई मुझे इस तरह का सहारा दे। इधर उधर देखकर उसने भी मौके का फायदा उठाना शुरू किया, मेरे होंठ को किस किया, मैंने भी उसको करने दिया।

पहली बार इतने कम उम्र के लड़के को मैंने किस किया था. वो धीरे धीरे किस करता फिर इधर उधर देखता. फिर बुर्के के ऊपर से उसने मेरे बूब्स दबाना शुरू किए.
मैं गर्म तो पहले से ही थी क्यों के काफी दिनों से कुछ किया नहीं था। पैंट के ऊपर से मैं भी उसका लंड सहला रही थी.

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कुछ देर ऐसे ही चला. फिर उसने मुझसे कहा- बाथरूम में चलते हैं.
पर मैंने मना कर दिया क्योंकि मैं और कोई लफड़े में पड़ना नहीं चाहती थी.

साढ़े बारह तक वो मेरे साथ ही रहा, फिर अपने सीट पे जाके लेट गया. मैं वैसे ही बैठी रही और उसको देखके मुस्कुराने लगी, वो बहुत खुश था।

फिर कुछ देर के बाद हमारा स्टेशन आने वाला था. तब मैं और वो साथ में मेरे ससुर के पास गए और उनको उठाया.
रात के करीब एक बजे हम पहुँच गए. फिर ऑटो करके घर गए साथ में.

अगले दिन सुबह उठके मैं सबसे पहले फ्रेश होके हॉस्पिटल निकल गयी और मेरे ससुर घर पे ही रुके मेरे घरवालों से खातिरदारी करवाने।

कुछ देर चलने के बाद जब मैं ऑटो स्टैंड पे आई तो विकी अपनी बाइक लेके पीछे ही आया था. मैं भी बैठ गयी बाइक पे.
पहले हम हॉस्पिटल गए फिर कुछ देर रुकने के बाद हम दोनों एक होटल में खाना खाया।

हमारे शहर से 12 किलोमीटर की दूरी पर एक फॉरेस्ट टूरिस्ट स्पॉट है, वहाँ हम गए जैसे हमने खाना खाते वक़्त डिसाइड किया था।
अक्सर काफी जोड़ियाँ वहीं जाती है मजे करने.

मैंने बुर्का पहन रखा था और अंदर हरा टॉप और सफ़ेद लेगी पहनी थी, हम काफी दूर ऐसी जगह पर गए जहां कोई देखने वाला नहीं था।
गाड़ी को स्टैंड पे लगा के मैं सीट पे बैठी थी, वो मेरे करीब था.
शुरुवात होंठ से होंठ मिले, फिर उसने मोबाइल निकालकर मेरे साथ फोटो लिए,
मैंने कहा- विकी, ये फोटो किस लिए?
विकी ने कहा- तुम जब ससुराल चली जाओगी तो ये फोटो देखकर मैं तुम्हें याद करूंगा।

फिर हम एक पेड़ के पीछे गए और चुम्मा चाटी शुरू कर दी, वो मेरे होटों को चूमते हुये बुर्के के ऊपर से मेरी गांड दबाने लगा. फिर उसने मेरा बुर्का उठा कर लेगी में हाथ डाला और मेरी कोमल गांड को जोर से दबाने लगा.
इसके बाद वो मेरे पीछे आया और मेरे बूब्स पीछे से हाथ में पकड़ के दबाने लगा. एक हाथ से वो मेरे बूब्स दबा रहा था और दूसरे हाथ से बुर्का उठा के उसने मेरी लेगी में हाथ डाला और सीधे एक बार में ही उंगली मेरी चूत में डाल दी।

उसकी बीच की उंगली मेरी चूत में जाते ही मुझे यकीन हो गया कि ‘हुआ छोकरा जवाँ रे …’
कुछ देर तक ऐसे ही वो मेरे जिस्म से खेलते रहा और बीच बीच में फोटो सेल्फी लिये.

फिर पैंट की चेन खोलकर उसने अपना लंड बाहर निकाला और मेरे हाथ में दे दिया.
अब मैं उसका लंड सहलाने लगी, उसको मजा आने लगा.

फिर उसने पैंट फिर से ठीक की और हम गाड़ी पे बैठके थोड़ी और दूर गए जहां थोड़ा और घना जंगल था।

अच्छी जगह मिल गयी तो उसने उसका जैकेट नीचे बिछा दिया और मुझे लेटा दिया. बुर्का उठा के उसने मेरी लेगी निकालकर बाजू में रख दी.
मैंने भी टांगें खोल दी, मैंने लेगी के अंदर कुछ पहना नहीं था तो वो मेरी नंगी चूत देखकर पागल हो गया.

वो पैंट की चेन नीचे करके लंड को बाहर निकालकर सीधे मेरे ऊपर आ गया. मुझे कुछ करने की जरूरत ही नहीं पड़ी. सीधा उसने मेरे और आगे पीछे करने लगा.
मैं भी उसका साथ देने लगी. बुर्का और ऊपर करके वो टॉप के बटन खोलकर सामने से वो मेरे बूब्स चूसते हुये मुझे चोदने लगा।

उसके झटके देखके लग रहा था कि अभी उसको बहुत कुछ सीखना बाकी है. पर जो मिल रहा था मैं उसी में खुश थी क्योंकि काफी दिनों के बाद ऐसे झटके लग रहे थे मेरे दोनों टाँगों के बीच में.
वो इतने तेजी से झटके मार रहा था जैसे सुनामी आ रही है और दुनिया अब थोड़ी देर में खत्म हो जाएगी.

कुछ देर में ही उसके लंड से सुनामी की धार निकली और तब जाकर वो शांत हुआ।

उसने सीधे उठकर पैंट ठीक की और बाइक के पास जाकर खड़ा हो गया. मैं कुछ देर ऐसे ही लेटी रही, फिर अपने आप को रुमाल से साफ किया और फिर कपड़े ठीक करके उसके पास गयी.
एक दूसरे को किस करके हम दोनों बिना कुछ कहे निकल पड़े. पूरे रास्ते में उसने एक भी लफ्ज़ नहीं कहा और मैं भी खामोश रही.

मुझे कोर्नर पे ड्रॉप करके वो मुस्कुराते हुये चला गया, मैं भी दिल में मुस्कुराहट लेकर अपने घर की तरफ निकल पड़ी.

कुछ देर चलने के बाद घर पहुंची वो बाहर ही खड़ा था उसके घर के चबूतरे से मुझे देख रहा था और उसके साथ कुछ लड़के थे शायद उसके दोस्त थे।

मैं सीधे घर में आ गयी और पहले बाथरूम जाकर अपने आप को क्लीन किया.

शाम का खाना खाया और अगली सुबह जब मैं जा रही थी तो वो छत पर खड़ा था.

शायद वो अब मुंबई में होगा क्योंकि उसने बोला था कि वो भी कुछ दिनों में वापस कॉलेज हॉस्टल मुंबई में लौट जाएगा.

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