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दोस्त की पत्नी को सन्तान का सुख दिया

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मुझे एक दिन मनोज ने कहा- यार रणबीर ! आपके के लिये एक बहुत ही बढ़िया आफर है आप मेरे से आकर मिलो।

मैंने कहा- यार मनोज, मैं आपसे कल शाम को मिलता हूँ !

तो मनोज ने कहा- ठीक है रणबीर, कल पक्का ?

मैंने कहा- ठीक है।

अगले दिन मैं शाम को 7 बजे मनोज के घर गया, मैंने घण्टी बजाई, मनोज ने दरवाजा खोला और मुझे देखते ही उसने मुझे गले लगाया और अन्दर आने को कहा। मैं मनोज के पीछे-पीछे अन्दर आ गया तो मैंने देखा कि मेरे से पहले ही वहाँ कोई आदमी बैठा था।

मनोज ने मुझे बैठने के लिये कहा और कहा- यार, बहुत दिन हो गये साथ-साथ बैठे हुए ! चलो आज पार्टी हो जाये !

मैंने कहा- चलो ठीक है।

मनोज ने कहा- क्या लोगे?

मैंने कहा- बीयर और क्या ?

तो मनोज ने उस आदमी से पूछा- आप?

उसने कहा- जो भी आप लोगे, मुझे वही चलेगा !

फिर पीने-खाने का दौर शुरु हो गया।

मनोज ने कहा- रणबीर, यह मनोज हैं और हमारे बहुत ही पुराने दोस्त हैं और ये रणबीर !

हम दोनों ने आपस में हाथ मिलाया और हम दोनों आपस में गले मिले और थोड़ी ही देर में हम तीनों घुल-मिल गये।

एक-एक बीयर खत्म होने के बाद मनोज ने कहा- रणबीर, हम आपनी असली बात पर आयें?

मैंने कहा- हाँ क्यों नहीं !

तो मनोज ने कहा- यार रणबीर, हमारे दोस्त को एक समस्या हैं और यह बहुत ही ज्यादा परेशान हैं !

मैंने कहा- यार मनोज ! यह आपने क्या बात कर दी? ये तो मुझे बहुत ही खुश आदमी नजर आये ! और तो और मुझे नहीं लगा कि मनोज कभी भी परेशान हो सकता है।

मेरे यह कहते ही मनोज रोने लगा और कहने लगा- रणबीर, नहीं, मेरी परेशानी कोई नहीं समझ सकता, मेरी परेशानी ही ऐसी है कि मै आपको क्या कहूँ, मनोज ने मेरी बहुत ही मदद की पर कोई फायदा नहीं हुआ।

तो मैंने कहा- मनोज, परेशान होने से कुछ नहीं होगा, जो नसीब में होता है, वही होता है ! आप अपनी परेशानी बताओ, हो सकता है कि मैं आपकी कोई मदद कर सकूँ ! हाँ, मेरे से जो भी आपके लिये बन पड़ेगा, वो मैं सब कुछ करने के लिये हमेशा ही तत्पर रहूँगा। आप अपनी समस्या मुझे विस्तारपूर्वक बतायें तो ठीक रहेगा, मनोज जी।

मैंने माहौल को थोड़ा हल्का करने के लिये कहा- रण्जीत भाई, बीयर डालो !

मेरे यह कहते ही मनोज ने बियर गिलास में डाली, हम लोगों ने आपस में चीयर्स किया और मनोज बोला- इनकी समस्या यह है कि इनकी शादी को 6 साल हो गये हैं और इनके घर में आज तक कोई खुशी नहीं मिली।

मैंने कहा- मैं समझा नहीं?

ये दोनों अपने घर में अभी भी दो ही हैं ! तीसरा नहीं आ रहा ! रणबीर तुम्हें इनकी समस्या का हल करना हैं चाहे कितने भी दिन लग जाएं। तुम पैसों की चिन्ता मत करना, चाहे कितने भी मांग सकते हों?

मैंने मनोज से कहा- यार, मैं सिर्फ़ कोशिश कर सकता हूँ, बाकी तो ऊपर वाला ही कर सकता है।

मनोज ने कहा- रणबीर तुम अपना काम शुरू करो !

मैंने कहा- पहले मनोज से तो पूछ लो !

मनोज ने कहा- रणबीर, तुए अपनी जितनी फीस लोगे वो मैं उससे भी ज्यादा देने को तैयार हूँ ! बस रणबीर मुझे इस परेशानी से निजात चाहिए चाहे जो भी हो जाये।

मैंने मनोज से कहा- मनोज तुमने अपनी पत्नी से बात कर ली है? क्या वो मेरे साथ सब कुछ करने को तैयार हो जायेगी?

मनोज ने कहा- रणबीर भाई, मैं उससे पहले ही बात करने के बाद मनोज के पास आया हूँ ! बस रणबीर मैं यही चाहूँगा कि तुम अपना काम जल्दी से जल्दी शुरु कर दो।

उसने मनोज को एडवांस दिया और बात करके चला गया और हम दोनों आपस में बैठकर बात करने लगें।

मनोज ने कहा- रणबीर भाई, कब से काम शुरु करना चाहोगे?

मैंने कहा- अगले सप्ताह से !

एक सप्ताह के बाद मैंने उसका का फोन नम्बर लिया मैंने मनोज को फोन किया और मनोज के घर का पता लिया और कहा- आज रात को मैं 9 बजे आ रहा हूँ।

मनोज ने कहा- नहीं रणबीर, तुम आठ बजे आना।

मैंने कहा- क्यों?

तो मनोज ने कहा- यार, मैं रात को कहीं जा रहा हूँ और एक बजे तक ही आऊँगा इसलिये तुम जल्दी आ जाना।

मैंने कहा- ठीक है।

मैं रात के ठीक 8 बजे मनोज के घर पहुँच गया।

मनोज ने मुझे बैठने को कहा और अपनी पत्नी को आवाज लगाई- रणबीर आ गया है !

मनोज की पत्नी पानी लेकर आई, मनोज ने उससे मेरा परिचय करवाया। हम दोनों ने आपस में हय हैल्लो किया और पानी पीने के बाद मैंने उससे उसका नाम पूछा तो मनोज ने अपनी पत्नी का नाम सुमित्रा बताया और कहा कि मैं इनको सुमित्रा के नाम से बुलाता हूँ।

थोड़ी देर बैठने के बाद सुमित्रा उठकर अपने कमरे में चली गई और मैं और मनोज आपस में बैठकर बात करने लगे और बैठकर बीयर पीने लगे।

तभी मनोज ने सुमित्रा को आवाज लगाई- हम लोगों का खाना लगा दो !

खाना खाने के बाद मनोज तैयार होकर सुमित्रा से बात करके चला गया। बस मैं और सुमित्रा घर में रह गये और सुमित्रा मेरे पास आकर बैठ गई।

3-4 मिनट तक हम दोनों खामोश बैठे रहे, एक दूसरे को देखते और अपनी नजरें नीची कर लेते।

मैं सोच रहा था कि पहल मैं करूँ या सुमित्रा करेगी।

पहले मैं सुमित्रा के बारे में बता दूँ कि सुमित्रा की फिगर 36-30-34 रंग साफ और भरे शरीर की देखने में और भी ज्यादा ही सुन्दर लगती थी।

मैंने चुप्पी तोड़कर कहा- सुमित्रा जी आप बीयर लोगी?

तो सुमित्रा बोली- रणबीर तुम मुझे बस सुमित्रा कहकर बुलाओ !

यह कहकर बीयर लेने चली गई, सुमित्रा दो बीयर लेकर आई और दो गिलास बीयर के बनाये और मेरी आँखों में देखने लगी।

मैंने अपनी नजरें नीचे करके कहा- सुमित्रा मैं आपके निजी जीवन लाईफ के बारे में ना जानना चाहूँगा और न ही मेरा उससे कोई लेना देना है। तुमको मेरे काम के बारे मे मनोज ने सब कुछ बता दिया होगा।

सुमित्रा ने कहा- हाँ, मनोज ने मुझे सब कुछ बता दिया है। रणबीर तुमको मेरी तरफ से कोई भी किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी।

मैंने सुमित्रा से कहा- तुम अपनी तरफ से पूरी तैयार हो? मेरा मतलब अपनी तरफ से मानसिक, शारीरिक और जिस्मानी तरह से तैयार हो सुमित्रा जी? तुम अपनी मर्जी से यह कर रही हो ना? मैं चाहूँगा कि तुम पर किसी का कोई भी तरह का दबाव ना हो।

सुमित्रा बोली- नहीं रणबीर, मुझ पर किसी का भी कोई तरह कोई दबाव नहीं हैं। हम लोगों ने लव मैरिज की थी !

और यह कहकर सुमित्रा रोने लगी।

मैंने कहा- सुमित्रा जी, अब रोने से कोई फायदा नहीं, तुम मेरे पास बैठो !

सुमित्रा मेरे पास बैठ गई।

मैंने कहा- सुमित्रा, यह क्या यह बीयर तो लो ! गरम हो रही है तुम्हारी तरह !

तो सुमित्रा हँसने लगी, कहने लगी- रणबीर मैं अभी गर्म नहीं हुई ! देखती हूँ तुम मुझे कैसे गर्म करते हो? मैंने अपना गिलास उठाया और सुमित्रा का उसको दिया और आपस में चियर्स किया और एक ही बार में खत्म कर दिया।

मैंने मौका देखकर सुमित्रा के होठों पर अपने होठ रख दिये और सुमित्रा से पूछा- कोई दिक्कत तो नहीं?

तो सुमित्रा मेरे से अलग होकर बोली- रणबीर तुम यह क्या बात करते हो, तुम मुझे अब ना चूमते तो मैं चूमती। बस अब तुम मुझे प्यार करो और मैं तुम्हें करती हूँ।

हम दोनों आपस में एक-दूसरे की बाहो में समाने लगें और काफी देर तक चूमते रहे।

उसके बाद मैंने कहा- सुमित्रा, बैडरुम में चलें?

तो सुमित्रा बोली- रणबीर, मैं अभी कपड़े बदल कर आती हूँ !

मैंने कहा- क्या बात है सुमित्रा, मुझ से क्या पर्दा? मेरे ही सामने कर लो।

सुमित्रा कहने लगी- शरारती ! और मेरे ही सामने कपड़े उतारने लगी।

मैंने कहा- सुमित्रा, जब कपड़े उतरने ही हैं तो पहनने की क्या जरूरत है?

सुमित्रा हँसते हुए बोली- रणबीर जब ऐसी ही बात है तो तुम मेरे कपड़े उतारो, मैं तुम्हारे उतारती हूँ !

मैंने पहले सुमित्रा के पूरे कपड़े उतार कर उसे नंगा कर दिया। बस मैं तो सुमित्रा के जिस्म को देखते ही रह गया ! क्या शरीर सुमित्रा का था ! एकदम कसा हुआ हर किसी जगह से ! यही मन कर रहा था कि बस सुमित्रा को जिन्दगी भर देखता रहूँ !

तभी सुमित्रा बोली- रणबीर, कहाँ खो गये?

मैंने कहा- सुमित्रा, आज तो मैं तुम में ही खोकर रह गया हूँ !

तो सुमित्रा कहने लगी- रणबीर, तुमने मेरा सब कुछ देख लिया ! अब मैं तुम्हारे कपड़े उतारती हूँ !

और सुमित्रा ने मेरे सारे कपड़े उतार दिये, हम दोनों एक दूसरे को कम से कम दस मिनट तक देखते रहे।

मैंने कहा- सुमित्रा, तुमने क्या जिस्म पाया है, बस मैं तो देखता ही रह गया।

और मैंने सुमित्रा को अपनी बाहों में भर लिया और एक दूसरे को चूमने लगे। हम दोनों एक दूसरे को मसलते रहे, चूमते रहे।

उसके बाद मै सुमित्रा के एक चुचूक को मुँह में लेकर चूसने लगा और एक हाथ से सुमित्रा की एक चूची को हाथ से दबाने लगा।

सुमित्रा के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। मैं कभी एक चूची को मुँह से चूसता तो कभी दूसरी को ! सुमित्रा परम आनन्द में गोते लगा रही थी।

फिर मैं सुमित्रा के पेट पर हाथ फिराने लगा, धीरे धीरे अपना हाथ नीचे ले जाने लगा और सुमित्रा की शेव की हुई चूत पर हाथ फेरने लगा। सुमित्रा के शरीर में जैसे कोई करंट लगा हो और मेरे हाथ फेरने से सुमित्रा का शरीर अकड़ने लगा, आँखें भी बन्द होने लगी और चूत में से सफेद सफेद पानी निकलने लगा और सुमित्रा झड़ गई।

फिर मैंने सुमित्रा की चूत को अपनी अँगुलियों से खोला और अपनी जीभ सुमित्रा की चूत पर चलाने लगा तो सुमित्रा के शरीर में उत्तेजना होने लगी। मैं अपनी जीभ को सुमित्रा की चूत में अन्दर तक डाल कर चोदने लगा तो सुमित्रा ने मेरा लन्ड अपने मुँह में डाल लिया।

लेकिन कुछ ही देर के बाद सुमित्रा ने मेरे लन्ड को मुँह से निकालकर मुझे अपने से अलग किया और मेरे ऊपर सवार हो गई, मेरे लन्ड को अपनी चूत पर रखा, चूत तो गीली थी ही, बस एक ही बार में सुमित्रा ने ऊपर से एक ऐसा धक्का मारा था कि सुमित्रा के मुँह से सिस्कारी निकल गई- रणबीर, यह इतना लम्बा लन्ड कहाँ से लेकर आया? मेरी तो माँ मर गई, मैं ज्यादा सहन नहीं कर सकूँगी, तुम मेरे ऊपर आ जाओ।

मैंने कहा- सुमित्रा जब तुम ऊपर हो तो पहले अपना मजा लो, जब तुम्हारा हो जायेगा तो मैं अपने आप ही ऊपर आ जाऊँगा।

सुमित्रा ऊपर से धीरे धीरे धक्के मारने लगी और सुमित्रा के मुँह से भी सिसकारियाँ निकलने लगी। मैं भी मजे में बड़बड़ाने लगा और सुमित्रा और जोर से जोर से आ आ आ ईईइ आइऐइ आऐ ऐ करने लगी। सुमित्रा थोड़ी ही देर में झड़ गई, बोली- रणबीर तुम अब मेरे ऊपर आ जाओ !

मैं कहाँ रुकने वाला था, मैंने सुमित्रा को नीचे डाला और अपना लन्ड सुमित्रा की चूत पर रखा और एक ही बार में पूरा का पूरा अन्दर तक डाल दिया। सुमित्रा की जान निकल गई और मैं सुमित्रा की चूत में जबरदस्त धक्के लगाने लगा।

सुमित्रा कहने लगी- रणबीर और जोर से जोर आ आ म्म्म्म म एम अम मेमेमे मेए आ अ अ पता नही क्या क्या कहने लगी।

फिर मैंने कहा- सुमित्रा, आप बैड से नीचे आ जाओ !

सुमित्रा अपने दोनों हाथ बैड पर रख कर झुक गई, मैंने अपना लन्ड सुमित्रा की चूत में पीछे से डाल दिया और धक्के मारने शुरु किये तो सुमित्रा को भी मजा आने लगा। फिर मैंने अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ानी शुरु कर दी और सुमित्रा अपने मजे से मदहोश होने लगी।

मुझे मजा आ रहा था और एक ही झटके में सुमित्रा की आवाज तेज हुई और सुमित्रा की चूत और मेरे लन्ड ने एक साथ पानी छोड़ दिया। उसके बाद हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे।

3-4 मिनट के बाद सुमित्रा मेरे लन्ड पर फिर हाथ फेरने लगी और कुछ ही देर के बाद मुँह से चूसने लगी तो मेरा लन्ड फिर से खडा़ होने लगा।

मैंने कहा- सुमित्रा, अब क्या विचार है?

तो सुमित्रा बोली- रणबीर, आप चुदाई करने में तो महिर हो ! मैं तो आज सन्तुष्ट हो गई। काफी दिनों के बाद इतनी सन्तुष्टि मुझे मिली है।

मैंने कहा- सुमित्रा, अब मैं चलता हूँ !

तो सुमित्रा कहने लगी- नहीं रणबीर, एक बार और हो जाये फिर निकल जाना।

मैंने कहा- ठीक है ! पर अबकी बार मैं आपकी पिछ्ली लूँगा !

तो सुमित्रा ने कहा- आपको जो भी आपको चाहिए वो कर लो ! मुझे कोई एतराज नहीं !

तो मैंने कहा- सुमित्रा, कोई क्रीम है?

तो सुमित्रा ने क्रीम लाकर मुझे दी और मैंने अच्छी तरह से अपने लन्ड और सुमित्रा की गान्ड पर क्रीम लगाई।

उसके बाद मैंने सुमित्रा को कहा- सुमित्रा, आप बैड से नीचे आ जाओ !

सुमित्रा अपने दोनों हाथ बैड पर रख कर झुक गई, मैंने अपना लन्ड सुमित्रा की गाण्ड पर रखा और जोर से धक्का मारा। मेरा आधा से ज्यादा लन्ड सुमित्रा की गान्ड मे पहुँच गया। सुमित्रा थोड़ी कसमसाई पर ज्यादा कुछ नहीं बोली।

मैंने पहले धीरे धीरे से धक्के लगाने शुरु किये और फिर पूरी रफ्तार तेज कर दी जब तक मेरा जोश खत्म नहीं हुआ और सुमित्रा भी आ ईईइआआईइआईएएइएइ ग्गएएए करके मेरा पूरा साथ देती रही। जैसे ही मेरा छुटने को हुआ तो मैंने कहा- सुमित्रा, मेरा निकलने वाला है !

सुमित्रा ने कहा- आप मेरी ही चूत में छोड़ना !

और सुमित्रा बैड पर लेट गई, मैंने सुमित्रा की दोनों टांगों को ऊपर उठाया और अपनी कमर के ऊपर रखा और जोर से धक्का मारा और 3-4 मिनट मे ही मैं सुमित्रा की चूत में झड गया। और सुमित्रा के ही उपर लेट गया। थोड़ी देर के बाद मैंने सुमित्रा से कहा- सुमित्रा, मैं अब चलता हूँ ! आप सन्तुष्ट हो या नहीं?

सुमित्रा ने कहा- आपने तो मुझे जन्नत की सैर करा दी ! और मुझे क्या चाहिए था रणबीर ।

मैं अपने घर चला आया।

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