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किरायेदार भाभी की प्यास बुझाई मकान मालिक ने

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मेरी उम्र चौबीस साल है. मेरी शादी को दो साल हो चुके हैं. मेरे लंड का साइज औसत से कुछ ज्यादा है. मुझे मोटे चूचे और पीछे की ओर निकली हुई गांड वाली भाभी और चाची बहुत पसंद आती हैं.

मेरे एक नन्हा सा बेटा है, मेरी बीवी बहुत ही सीधी सादी गृहणी है. कुल मिला कर हम घर में 5 सदस्य है. मम्मी-पापा, मैं, मेरी बीवी ओर मेरा बेटा.

दोस्तो, ये मेरी पहली सेक्स स्टोरी है. अगर सारी जानकारियां सही होंगी, तभी सेक्स स्टोरी का मज़ा आएगा.

हमारे घर मैं 5 कमरे हैं जिसमें से तीन कमरों में हम रहते हैं. बाकी के दो कमरे हमने किराए पर दिए हुए हैं. उनमें से एक कमरे में मेरे गांव के भैया भाभी रहते हैं. दूसरे में एक और किराएदार रहता है.

गांव वाले भैया का नाम मनोज है. भाभी का नाम अजंली है. दोनों ही जॉब करते हैं. दोनों सुबह एक साथ जॉब पर जाते हैं. उनको अभी कोई बच्चा नहीं है. उनकी शादी को बस चार ही महीने हुए हैं. क्योंकि मेरी शादी पहले हो गयी थी, इसलिए अजंली मुझसे घूंघट करती थी.

अजंली की उम्र तेईस साल है. उसका चेहरा बिलकुल ममता कुलकर्णी की तरह दिखता है. अजंली का रंग एकदम दूध सा गोरा है. उसका फ़िगर 34-26-36 का है, यानि कोई भी उसको नजर भरके देख ले, तो अपने आप ही लंड पर हाथ चला जाए.
मैं जब भी उसको देखता तो बस दिल से एक ही बात निकलती कि काश … अजंली मेरे लौड़े के नीचे आ जाए.

आप समझ ही गए होंगे कि उसके लिए मेरे लंड की क्या हालत थी.

वैसे मैं भाभी को अक्सर छुप-छुप कर देखता था. जब वो कपड़े धोती, तो उसके गोरे गोरे मम्मों देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता. मन करता इसे पकड़ कर चोद दूँ. पर ऐसा नहीं कर सकता था. जब भी मैं अपनी बीवी को चोदता, बस अजंली भाभी की ही कल्पना करके चोदता.

कभी कभी मैं सुबह उठता था, तो मेरा लंड खड़ा ही रहता था … और मैं जानबूझ कर अपना खड़ा लंड उसको दिखाने की कोशिश करता. वो भी अक्सर मेरे लंड को देखती थी. जब मेरी नज़रें उससे मिलतीं, तो वो शरमा कर भाग जाती.

अब तक शायद वो भी ये समझ चुकी थी कि मैं क्या चाहता हूँ … और वो क्या चाहती है … मुझे भी पता था.
ये सिलसिला चलता रहा.

उन दिनों एक ऐसा मौका भी आया, जब मेरे मम्मी पापा तीर्थ करने चले गए और मेरी बीवी बीस दिन के लिए अपने मायक़े गयी हुयी थी.

बेटे के छोटे होने की वजह से वो उसे अपने साथ ही ले गई थी. उन्हीं दिनों मनोज भैया को भी अपने काम के सिलसिले में एक हफ्ते के लिए बाहर जाना पड़ा. मैंने सोचा भाभी को पटा कर चोदने का अच्छा मौका है.

मैं वैसे ऑफ़िस के लिए 8:30 बजे घर से निकलता था, पर उस दिन मैं सुबह 7:30 बजे ही तैयार हो गया. क्योंकि अजंली भाभी भी 8 बजे घर से निकलती थी.

मैंने सोचा इसे पटाने का यही अच्छा मौका है. लेकिन भाभी ने हमारे दूसरे किरायेदार से बाइक पर लिफ़्ट ली और मुझे अनदेखा कर दिया. उस दिन मुझे बहुत ग़ुस्सा आया. पूरा दिन ऑफ़िस में काम में मन नहीं लगा और शाम को मैं घर आ गया.

अगले दिन मैं फिर से जल्दी तैयार हुआ लेकिन फिर वो उसी किरायेदार से लिफ़्ट लेकर चली गयी. अब मैं बहुत ग़ुस्सा था. ग़ुस्से में मैं ऊपर वाले को भी कोसने लगा कि उसने मुझे एक मौका भी नहीं दिया.

दो दिन गुज़र गए थे.

अगले दिन देखा, तो अजंली भाभी घूंघट में मेरे सामने खड़ी थी. उसने मुझसे कहा- क्या आप मुझे मेरे ऑफ़िस छोड़ सकते हो?
मैंने कहा- उसी किरायेदार के साथ चली जाओ न.
वो बोली- उसकी तबियत ठीक नहीं है.
मैं मन ही मन ख़ुश हो गया. मैंने मज़ाक़ में कहा- ठीक है … लेकिन किराया लूँगा.
वो बोली- हां ले लेना.

मैं जल्दी जल्दी तैयार हुआ. वो भी तैयार होकर आ गयी और मेरी गाड़ी में पीछे वाली सीट पर बैठ गयी. उसने अभी भी एक स्टोल से घूंघट कर रखा था.

मुझे अच्छा नहीं लगा. मैंने उसे आगे वाली सीट पर बैठने के लिए कहा, तो वो बोली कि यहां नहीं … यहाँ सब जानते हैं … थोड़ा आगे चलिए, फिर बैठ जाऊंगी.
मेरे मन में ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा.
थोड़ा आगे जाकर मैंने गाड़ी रोकी और उसको आगे आने को कहा, तो वो ख़ुद ही आगे आकर बैठ गयी.

मैंने उससे उसकी जॉब के बारे में पूछा तो उसने कहा- ठीक चल रहा है.
दरअसल मैं उससे बातें करके उसे सामान्य करना चाहता था ताकि वो मुझसे ना शरमाए.

मैंने उससे कहा- मेरा किराया?
वो बोली- कितना हुआ … बताओ?
मैंने कहा- बस एक बार घूंघट उठा दो.
पहले तो वो मना करने लगी, बोली- मुझे शर्म आती है.

फिर मेरे कहने पर उसने घूंघट हटा दिया. मैंने पहली बार उसकी ख़ूबसूरती इतने पास से देखी थी. गोरा रंग, बड़ी बड़ी आंखें, जिनमें उसने काजल लगाया हुआ था. गोरे गोरे गाल, गुलाब की पंखुड़ियों से होंठ, जिनमें से एसा लग रहा था कि अभी शहद टपक जाएगा.

मेरा तो जी कर रहा था कि बस अभी अजंली के होंठों का रस पी लूं. पर जल्दबाज़ी में काम बिगड़ भी सकता था.

तभी वो बोली- देवर जी, कहां खो गए?
मैंने अपने आपको सम्भालते हुए कहा- कुछ नहीं भाभी … बस लाइफ़ में पहली बार इतने पास से आपकी ख़ूबसूरती देखी है.
तो इस पर वो बोली- क्यों … आपकी घरवाली कौन सा कम है?
मैंने कहा- हां वो भी मस्त माल है … पर आपकी बात ही कुछ और ही है … काश आप मेरी बीवी होती, तो पलकों पर बिठाकर रखता.

इस पर वो मुस्कुराई और मस्त माल जैसे शब्द सुनकर मुझसे ठिठोली करते हुए जाने लगी.
मैंने भी मुस्कुराते हुए कह दिया- हां भाभी, मुझे तो मस्त माल ही पसंद आते हैं … आप भी मस्त हैं.
वो हंस दी.

मैंने उससे शाम को लेने आने का कह दिया … इस पर वह ख़ुश हो गयी और बोली- ठीक है … पांच बजे आ जाना.

मैं शाम को उसे लेकर घर पहुँचा, तो देखा घर में कोई भी नहीं था. मेरे दूसरे किराएदार भी अभी नहीं थे. मैंने टीवी ऑन किया और देखने लगा. उस वक़्त मर्डर फ़िल्म का इमरान हाशमी और मल्लिका का सेक्सी सीन चल रहा था. मैं सीन देख कर पैंट के ऊपर से ही अपना लंड हिला रहा था.

तभी अचानक भाभी मेरे कमरे में आयी और उसकी नज़र मेरे खड़े लंड पर पड़ गयी. उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी.
मैंने पूछा- क्या बात है भाभी?
वो बोली- तुम्हारे भैया घर पर नहीं है … इसलिए मुझे अकेले में डर लगता है, क्या आज रात में तुम मेरे साथ सो जाओगे?

मैंने मज़ाक़ में कहा- भाभी मुझे क्या परेशानी है. आप एक काम करो … मेरे कमरे में ही आकर सो जाना. मैं दूसरी चारपायी पर सो जाऊंगा और तुम दूसरी पर सो जाना.
वो बोली- देवर जी आपकी बात तो सही है … पर किसी को पता चलेगा, तो बहुत बदनामी हो जाएगी.
मैंने बोला- तो फिर तुम सबके सोने के बाद चुपके से मेरे कमरे में आ जाना.

वो बोली- नहीं देवर जी, ऐसे मुझे अजीब लगता है. मैं अपने कमरे में अकेली ही सो जाऊंगी.
मैंने कहा- तो फिर एक काम करो, अपने कमरे का दरवाज़ा अन्दर से बंद मत करना. रात को जब सब सो जाएंगे, तब मैं ही आ जाऊंगा.
इस पर वो इठलाते हुए बोली- ठीक है.

मैं बहुत ख़ुश था. मेरा सपना मुझे पूरा होता नज़र आ रहा था.

जैसे ही रात के 11 बजे, मैं उठकर उसके कमरे की तरफ गया. दरवाजा अन्दर से खुला था. मैं चुपके से अन्दर गया और जाते ही अपने सारे कपड़े निकाल दिए. अजंली सोने का नाटक कर रही थी. शायद शरमा रही थी.

मैं धीरे से उसके बगल में जाकर लेट गया. मेरे दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी. मैंने उसके चेहरे को पकड़ कर उसके माथे पर किस कर दिया.

उसने कोई विरोध नहीं किया. फिर मैंने अपने होंठ उसके गुलाबी होंठों पर रख कर चूसने लगा. ऐसा लगा जैसे मैं शहद चूस रहा हूँ. वो भी मेरा साथ देने लगी.

मैंने अपना एक हाथ सूट के ऊपर से ही उसकी नरम चूचियों पर रख कर दबाने लगा. मैं तो जैसे जन्नत में था. दूसरे हाथ से मैंने उसको अपने ऊपर खींच लिया. अजंली की आंख मज़े से बंद हो गई थी. मैं उसकी कमर पर हाथ फेर रहा था कभी उसके गद्देदार चूतड़ दबा रहा था. मैंने उसके होंठों, गाल और गर्दन को चूम चूम कर लाल दिया.

अजंली भी अपने हाथ मेरी छाती पर, कभी मेरे सर के बालों में फिरा रही थी.

मैंने एक हाथ से उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और अपना हाथ उसकी पेंटी में घुसा दिया. उसकी चुत एकदम चिकनी थी. शायद उसने आज ही साफ़ की थी.

मैंने देर ना करते हुए एक उंगली अजंली की चुत के अन्दर डाल दी. उंगली अन्दर जाते ही उसके मुँह से ‘ईस्स … उह्ह..’ की सिसकारी निकल गई. उसने खुद ही मेरा 7 इंच का लंड पकड़ लिया और जोर जोर से आगे पीछे करने लगी.

अजंली धीरे से मेरे कान में बोली- देवर जी अब कंट्रोल नहीं होता … जल्दी से अपने इस तगड़े लंड से मेरी बुझा दो.
मैंने पूछा- क्यों भैया का तगड़ा नहीं है क्या?
अजंली- उसका तगड़ा होता, तो आपके लौड़े को मैं घास भी नहीं डालती.

मैं समझ गया कि ये अपने पति के लंड से संतुष्ट नहीं है. मैंने जल्दी से अजंली भाभी के बदन से सारे कपड़े एक एक करके उतार दिये.

अगले ही पल मेरे सामने मेरे सपनों की रानी बिल्कुल नंगी पड़ी हुई थी. मैंने देर ना करते हुए अपना मुँह अजंली भाभी की गीली चुत पर लगा दिया. मेरे ऐसा करते ही वो पागल सी हो गई और मेरा सिर पकड़ कर अपनी चुत पर दबाने लगी.

उसकी चुत में से बहुत ही मादक खुशबू आ रही थी. मैंने अपनी जीभ उसकी चुत में पूरी अन्दर तक घुसा दी. एक हाथ से मैं उसके चूचों को दबा रहा था, दूसरे से उसकी चुत में उंगली करते हुए उसकी चुत चाट रहा था.

तभी उसके पैर कांपने लगे. उसने मेरा सर पकड़ कर अपनी चुत पर जोर से दबा दिया और जोर से झड़ गई. मैं उसकी चुत का सारा रस पी गया.

दोस्तो, मुझे हॉट भाभी की चुत चाटने में बहुत मज़ा आता है.

अब मेरी बारी थी. भाभी मेरे दिल की बात समझ गई और उसने अपना मुँह खोलकर लंड चूसना शुरू किया. मैं तो जैसे जन्नत में था.

थोड़ी देर लंड चूसने के बाद वो बोली- देवर जी अब चोद भी दो … नहीं तो मैं मर जाऊंगी.

मैंने भी उसकी हालत पर तरस खा कर उसकी टांगों को चौड़ा किया. उसकी चुत पर लंड को सैट करके मैंने एक ही झटके में आधे से ज्यादा लंड घुसा दिया. उसकी चीख निकलने वाली थी लेकिन मैंने पहले ही उसका मुँह अपने मुँह से बंद कर दिया था.

अजंली भाभी बोली- देवर जी आराम से करो … आपका लंड आपके भैया से बहुत लम्बा और मोटा है.

भाभी की चुत बहुत ही टाइट थी. मैं थोड़ी देर रुका और धीरे धीरे लंड आगे पीछे करने लगा. मैंने एक और झटका मारा. इस बार मेरा लंड अजंली भाभी की चुत में पूरा अन्दर तक घुस गया. भाभी चिल्लाने को थी. लेकिन मैंने उसके मुँह को अपने मुँह से दबा रखा था. फिर मैंने अपना लंड आगे पीछे करना शुरू किया.

थोड़ी देर में भाभी भी क़मर उठा कर मेरे झटकों से ताल से ताल मिलाने लगी. वो बोलने लगी- हम्म आह … ऐसे ही उह उमम् और जोर से देवर जी.
भाभी दूसरी बार झड़ गई.

कुछ देर बाद मैंने कहा- भाभी मेरा होने वाला है.
तो भाभी बोली- देवर जी, मेरी चुत के अन्दर ही निकाल दो.

मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और मेरे लंड से निकले वीर्य ने भाभी की चुत को भर दिया.

उसके बाद भाभी ने मुझे कसके हग किया और बोली- देवर जी मुझे बस हमेशा ऐसे ही प्यार करते रहना.
मैंने भी अजंली भाभी के होंठों को चूम कर कहा- क्यों नहीं मेरी जान.

उसके बाद में जब भी मौका मिल जाता था, हम दोनों खूब सेक्स का मजा ले लेते, पर अब भईया का ट्रांसफर दूसरे शहर में हो गया है. जिस कारण अब हमारा मिलना नहीं हो पाता. काश ऐसी भाभी फिर से ज़िन्दगी में आ जाए.

तो दोस्तो, ये थी मेरी जिंदगी की हसीन सेक्स कहानी. आपको कैसी लगी, मुझे मेल करके जरूर बताइएगा.

मुझे आप सबके मेल का इंतज़ार रहेगा. आगे मैं आपको बताऊंगा कैसे अजंली भाभी ने मुझसे उसकी बेस्ट फ्रेन्ड को चुदवा दिया.

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