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मैं और हिमेश बचपन के दोस्त हैं हम दोनों के बीच बहुत अच्छी दोस्ती है और हम दोनों एक दूसरे के पड़ोस में ही रहते हैं हिमेश एक दिन मुझसे कहने लगा यार मैं सोच रहा था अपने गांव हो आऊं। हिमेश के पिताजी का भी गांव से बहुत लगाव है और उनका गांव हरियाणा में है मैंने हिमेश से कहा ठीक है तो तुम अपने गांव चले जाओ।
वह मुझे कहने लगा यार तुम भी मेरे साथ चलो.
मैंने हिमेश से कहा लेकिन मैं तुम्हारे गांव आकर क्या करूंगा..
वह मुझे कहने लगा तुम मेरे साथ चलो तो सही तुम्हें वहां पर बहुत अच्छा लगेगा। हम लोग बचपन से ही मुंबई में पले बड़े हैं इसलिए मुझे क्या पता था कि उसके गांव का कैसा माहौल है मैंने उसे कहा ठीक है मैं तुम्हारे साथ चलता हूं लेकिन हम लोग वहां कितने दिन रहेंगे। वह मुझे कहने लगा वह तो वहीं जाकर पता चलेगा कि हम लोग कितने दिन वहां पर रुकने वाले हैं मैंने हिमेश से कहा यार वहां पर कोई परेशानी तो नहीं होगी वह मुझे कहने लगा नहीं वहां पर कोई परेशानी नहीं होगी तुम सिर्फ मेरे साथ चलो।
मैं भी हिमेश की बात मान गया और मैं उसके साथ उसके गांव चलने के लिए तैयार हो गया हम दोनों ही उसके गांव जाने की तैयारी में थे। मैं पहली बार ही गांव का माहौल देखने वाला था क्योंकि मैं बचपन से ही मुंबई में पला बढ़ा हूं मैंने कभी भी गांव का माहौल नहीं देखा था मेरे अंदर उत्सुकता भी थी। मैं गांव के बारे में जानना चाहता था और गांव का माहौल देखना चाहता था मैंने अपना सारा सामान पैक कर लिया और अपने कैमरे को भी अपने बैग में रख लिया। हम लोगों ने मुंबई से ट्रेन ली और हम लोग हरियाणा पहुंच गए जब हम लोग हरियाणा पहुंचे तो मैंने उसे कहा अब हमें कहां जाना है।
हम लोग रोहतक में थे.
रोहतक से हम लोगों ने बस ली बस में काफी ज्यादा भीड़ थी लेकिन हम लोगों के लिए बैठने की जगह मिल गई थी और वहां से हम लोग हिमेश के गांव के लिए चल पड़े। करीब दो घंटे बाद हिमेश का घर आया और फिर हम लोग वहां पर उतरें वहां से कुछ ही दूरी पर हिमेश का गांव था हम लोग 10 मिनट पैदल चलने के बाद उसके गांव में पहुंचे। जब वह मुझे अपने घर में लेकर गया तो उसका घर काफी बड़ा था हम लोगों ने घर का दरवाजा खोला मैंने हिमेश से कहा क्या यहां पर कोई नहीं रहता।
वह कहने लगा पहले मेरे चाचा चाची घर की देखभाल किया करते थे लेकिन अब वह भी दिल्ली में रहते हैं इसलिए घर में कोई नही है। मैंने उसे कहा तो फिर तुम्हारी घर की देखभाल कोई नहीं करता तो वह कहने लगा नहीं कभी कबार चाचा और चाची घर आ जाते हैं तो वही लोग देख लिया करते हैं या फिर कभी पापा आ जाते हैं तो वह लोग घर की देखभाल करते हैं और घर में साफ सफाई कर दिया करते हैं। हम दोनो घर के अंदर बैठे हुए थे तभी किसी ने आवाज दी हम दोनों बाहर आए तो हिमेश के कोई परिचित थे वह हिमेश से पूछने लगे तुम कब आए तो हिमेश ने कहा बस आज ही हम लोग आए हैं।
वह महिला कहने लगी यदि खाने की कोई तकलीफ हो तो तुम हमारे घर पर आ जाना.
हिमेश ने कहा ठीक है हम लोग आ जाएंगे और कुछ देर बाद हम लोग उनके घर पर खाना खाने के लिए चले गए। हम लोग जब उनके घर पर खाना खाने गए तो मैंने हिमेश से पूछा यह कौन है हिमेश कहने लगा यह मेरी गांव की चाची हैं। हम लोगों ने उनके घर पर खाना खाया उनके घर में उस वक्त कोई भी नहीं था हम लोगों ने खाना खाया और हम लोग वहां से वापस चले गए। जब हम लोग वापस आ रहे थे तो उसी वक्त मेरी नजर एक लड़की पर पड़ी उसने नीले रंग का सूट पहना हुआ था और वह बहुत सुंदर लग रही थी उसने अपने सर पर दुपट्टा उड़ा हुआ था।
मेरी नजर उस पर से तो एक पल के लिए हटी ही नहीं.
मैं उसे देखता रहा मैंने हिमेश से पूछा कि यह कौन है तो हिमेश ने कहा कि यह उन्हीं चाची की लड़की हैं। मैंने हिमेश से कहा लेकिन उसने तुमसे बात नहीं की तो वह कहने लगा शायद उसने मुझे पहचाना नहीं होगा इसीलिए उसने मुझसे बात नहीं की फिर हम लोग घर पर आकर आराम करने लगे। अगले दिन जब हम लोग हिमेश के खेतों में गए तो वहां पर हिमेश के बड़े-बड़े खेत देखकर मैंने उसे कहा तुम्हारे यहां पर तो काफी अच्छी खेती होती है।
वह कहने लगा तुम जो यह खेत देख रहे हो पहले इसमें मेरे पापा लोग भी खेती किया करते थे लेकिन अब पापा बूढ़े हो चुके हैं इसलिए वह सिर्फ गांव में ही आ जाया करते हैं। जब हम दोनों आपस में बात कर रहे थे तो तभी मीना भी हमारे पीछे से आई उसने हिमेश से बात की वह हिमेश से कहने लगी कल मैंने आपको पहचाना ही नही हिमेश कहने लगा कोई बात नहीं। मीना हमारे साथ बैठ गई और वह हिमेश से बात करने लगी मैं सिर्फ मीना के चेहरे पर देख रहा था और मुझे उसे देखने में बहुत अच्छा लग रहा था क्योंकि उसके चेहरे की मासूमियत और उसकी सुंदरता मुझे अपनी ओर खींच रही थी।
हिमेश और मीना काफी देर तक एक दूसरे से बात करते रहे..
तभी हिमेश ने कहा यह मेरा दोस्त कमल है और यह हमारे पड़ोस में ही रहता हैं मीना ने मुझे कहा अच्छा तो आप इन्हें भी मुंबई से हमारा गांव दिखाने के लिए लाए हैं। मैंने मीना से कहा हां मैं हिमेश के साथ आप लोगों का गांव देखने के लिए आया हूं वह कहने लगी तो आपको हमारा गाँव कैसे लगा मैंने मीना से कहा अभी तो मैं आपका गांव पूरी तरीके से घूमा भी नहीं हूं। मीना हिमेश से कहने लगी भैया क्या आपने इन्हें अभी तक पूरा गांव नहीं दिखाया हिमेश कहने लगा नहीं आज तो हम लोग बस यही खेतों में आए थे और सुबह से हम लोग यही बैठे हुए हैं।
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मीना कहने लगी आपने क्या हमारे गांव की स्कूल देखी है हिमेश ने कहा हां मीना हम लोग वहां चलते हैं हिमेश पहले गांव के स्कूल में ही पढ़ा करता था। वह मीना से पूछने लगा अब तो स्कूल काफी अच्छी बन चुकी होगी मीना कहने लगी हां स्कूल तो अब बहुत अच्छी हो चुकी है और फिर हम लोग वहां से स्कूल की तरफ चले गए। जब हम लोग स्कूल गए तो हमने वहां देखा वह पूरी तरीके से बदली हुई थी मीना कहने लगी कुछ ही साल पहले यहां पर नई स्कूल बनी है। उसके बाद हम लोग वहीं से पैदल चलते-चलते आगे की तरफ को निकले तभी हिमेश के कुछ और परिचित मिल गए जो हिमेश से बात करने लगे, मीना मुझसे बात कर रही थी और उसके बाद हम लोग घर लौट आए।
मुझे गांव का माहौल काफी अच्छा लग रहा था गांव में बहुत शांति थी और सब कुछ बड़े ही अच्छे तरीके से था सब लोग एक दूसरे से मेलजोल बनाकर रह रहे थे। मैंने हिमेश से कहा शहर और गांव में यही अंतर होता है गांव में सब लोग एक दूसरे की मदद के लिए आगे आ जाते हैं और शहर में तो सिर्फ मतलब के लिए ही सब लोग एक साथ रहते हैं। हिमेश मुझे कहने लगा हां कमल तुम बिल्कुल सही कह रहे हो यह बात तो तुमने बिल्कुल सच कही। मीना जब भी हमारे साथ होती तो मुझे उससे बात करना अच्छा लगता वह मुझे बहुत पसंद थी लेकिन मैं यह बात हिमेश के सामने नहीं कह सकता था।
मैं मीना को दिल ही दिल चाहने लगा था..
मैं मीना के साथ समय बिताना चाहता था लेकिन मीना को मेरे दिल की बात पता नहीं थी कि मेरे दिल में क्या चल रहा है। हिमेश ने कहा तुम घर पर रहो मै अभी आता हूं और वह चला गया मैं घर पर अकेला बैठा हुआ था तभी मीना आई तो वह कहने लगी भैया कहां है।
मैंने उसे कहा वह तो किसी काम से गया है और अभी कुछ देर बाद आता होगा मीना मेरे साथ ही बैठ गई। मैं मीना को देखे जा रहा था और वह भी मेरी तरफ देख रही थी मुझे उसे देखने में बहुत अच्छा लगता वह भी मेरी तरफ बड़े ध्यान से देख रही थी। मैंने जैसे ही अपने हाथ को उसकी जांघ पर रखा तो वह शर्माने लगी। मैंने उसे कहा तुम शर्माओ मत लेकिन उसके अंदर भी शायद जवानी का जोश जाग चुका था मैने उसकी कमसिन जवानी का मजा मैंने बड़े ही अच्छे से लिया। मैंने उसे अपने नीचे लेटा दिया और उसके स्तनों को दबाना शुरू किया कुछ देर तक मैं उसके होठों को चूमता रहा उसके स्तनों को मैने भरपूर तरीके से मजा लिया उसे बहुत मजा आ रहा था और मुझे भी बड़ा आनंद मिल रहा था। हम दोनों ही एक दूसरे के बदन को बहुत अच्छे से महसूस कर रहे थे मैंने जब उसके सलवार के नाडे को खोला तो उसने काले रंग की पैंटी पहनी हुई थी मैंने वह भी उतार दी और उसकी बिना बाल वाली चूत को अपनी जीभ से मैं चाटने लगा। मुझे बड़ा मजा आ रहा था और वह भी बहुत खुश थी मैंने उसके सूट को खोलते हुए उसके स्तनों का जमकर रसपान किया उसका कमसिन बदन मेरे सामने था।
जैसे ही मैंने अपने लंड को उसकी योनि के अंदर धक्का देते हुए घुसाया..
तो उसकी सील टूट चुकी थी वह बहुत तेज चिल्लाने लगी, उसकी योनि से खून का बहाव होने लगा। मैं उसे तेजी से धक्के मारने लगा लेकिन वह मेरा साथ बड़े अच्छे से देती और अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर लेती जिससे मैं उसकी योनि के अंदर बाहर अपने लंड को करता। उसके अंदर का जोश भी बढ़ता चला जाता और उसकी उत्तेजना में दोगुना बढोतरी हो जाती। वह मेरा साथ बड़े अच्छे से दे रही थी जब उसने मुझे अपने पैरों के बीच में जकड़ लिया तो मैं समझ गया कि वह संतुष्ट हो चुकी है लेकिन मैं अब तक संतुष्ट नहीं हुआ था मैं उसे तेज गति से धक्का देता जा रहा था। मैंने काफी तेजी से उसे धक्के दिए उसने भी मेरा भरपूर साथ दिया मैंने जब अपने वीर्य को उसकी योनि मे गिराया तो मुझे बड़ा अच्छा लगा। हम दोनों ने अपने कपड़े पहन लिए थे और वह शर्माते हुए वहां से चली गई अब मैं मुंबई लौट चुका हूं लेकिन अब भी मेरे दिल में मीना की यादें है।