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अनजान से गांड मरवाई

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यह बात दो दिन ही पुरानी है। कंपनी में काम मानसून सीज़न में कम होता है, मैं छुट्टियाँ काटने अपने शहर गया हुआ था, सुबह उठा,

घने काले बादलों ने आसमान को घेर रखा था। मुझे मंदिर जाना था, वापस लौट रहा था कि तेज़ बारिश आने लगी, एकदम से तेज़

बारिश की वजह से मैं जल्दी ही पूरा भीग गया। पहले सोचा गर्मी का मौसम है, कोई बात नहीं, घर ही जाना है, भीग लिया जाए। फिर

मोबाइल और पर्स का ख़याल आया, सोचा अब करूँ क्या, बारिश ने मानो कह दिया था कि आज उसने कयामत बरसानी है।

सुबह का समय था, सड़क पर आवाजाही बहुत कम थी, सवा छह बजे थे, मुझे पास में बस स्टॉप दिखा, थोड़ी बहुत जगह थी, मैं रुक गया। साथ में पीछे पब्लिक टॉयलेट थी, मुझे मूत भी तेज़ आया था, मैंने बाईक बस स्टॉप के पास लगाई, लॉक किया और भाग कर टॉयलेट में घुस गया।

बारिश बहुत बहुत ही तेज़ थी, सड़कों पर बहुत बहुत पानी भरने लगा था, मेरी टीशर्ट बदन से चिपकी हुई थी, मुझे एक पोलीथीन का लिफाफा दिखा, उठा कर पर्स मोबाइल लपेटे, जेब में डाल लिए और टीशर्ट उतारी निचोड़ने के लिए।

किसी के पाँव की आहट सुन मुड़कर देखा एक साधारण कद काठ का सांवला सा बंदा था, उसकी नज़र मेरे मम्मों पर चली गई, एकदम साफ़ किये हुए चमक रहे थे, एक रात पहले शेव करवाई थी। वह भी भीगा हुआ था, पजामा चिपका हुआ था, उभरा हुआ हिस्सा ब्यान कर रहा था कि उसका औज़ार काफी मजेदार होगा।
मैंने आराम से टीशर्ट निचोड़ी।
चुप्पी तोड़ते हुए वह बोला- लगता है कि आज बारिश रुकने वाली नहीं !
मैंने कहा- लग तो यही रहा है !
“इसको निचोड़ने का क्या फायदा? भीग फिर जानी है !”
“मुझे शर्म आती है !”
“लड़कों को कैसी शर्म?”
“मुझे आती है शर्म !”
वह बोला- वो तो है, आपके बहुत नर्म नर्म हैं !
“अच्छा? तुमने कौन से दबा कर देखे हैं, पहली बार तो मिले हैं।”
“आज ही देखे हैं तो उसी पल कह भी दिया कि बहुत नर्म हैं !”

मैंने बरमूडा उतार दिया निचोड़ने के लिए, एकदम से गोरी चिकनी साफ़ गांड थी उसकी तरफ पीठ थी। तभी उसका हाथ मेरे गोलमोल नर्म नर्म चूतड़ों पर आ गया। वो सहला रहा था और दबा दबा कर देख रहा था।
“तुम्हें क्या हो गया? हाथ हटाओ !”
उसने मुझे कस के जफ्फी डाल ली !
“हाय ! क्या करने लग गए? छोड़ो मुझे ! कोई आ जाएगा !”

उसका हौंसला बढ़ गया और बोला- सच बताना, मजा आ रहा है?
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मैंने गांड पीछे धकेलते हुए कहा- पकड़े जायेंगे !
मैंने जल्दी से बरमूडा पहना, टीशर्ट पहनी, पर वह कहाँ रुकने वाला था, बाहर गया, मुझे बुलाया, बोला- देखो, देखो ! कितनी तेज़ बारिश है, कोई दिख रहा है तुझे? साले, गांडू मत तड़पा ! पहले तुमने बरमूडा उतार कर उकसाया, यह देख मेरा औज़ार खड़ा हो गया !

मैंने मुड़कर देखा, क्या मस्त था !
“आ जा पकड़ ले !”
“पक्का बाहर आसपास कोई नहीं है?”
“यार खुद देख कर आ जा !”

मैंने खुद जाकर तसल्ली की, सच में सड़कों पर घुटनों तक पानी खड़ा होने को आया था।
वापस आया उसने अपना हाथ में पकड़ा था, सहला रहा था। मैंने आगे बढ़कर उसका लंड थाम लिया, सहलाने लगा।
“गांडू, लण्ड को प्यार कर दे बैठकर !”
“इसको टूँटी से धोकर आ !”

वो जल्दी से गया, टूँटी चला कर पानी से धोया और “यह ले गांडू, अब प्यार कर !”
मैंने उसके लंड को मुँह में डाला।
“हाय साले ! कितने गरम होंठ हैं ! आराम से प्यार करता रह !”
नई नई टॉयलेट बनी थी, बहुत साफ़ सुथरी थी। मैंने कहा- यहाँ नहीं, वो अंदर वाली, दरवाज़े वाली में चलते हैं।

एक में इंग्लिश सीट दूसरी इण्डियन सीट थी, इंग्लिश वाली में घुस कर दरवाज़ा बंद कर लिया, मैं बैठ गया, सामने वह लंड लेकर खड़ा था। मैं मजे से चुप्पे लगाने लगा।
वह बोला- गांडू, मुड़कर घोड़ी बन कर खड़ा हो जा !
मैंने कहा- रुक, अभी आया !

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बाहर जाकर देखा, बारिश थोड़ी कम थी पर कोई भी नहीं था, बादलों से अँधेरा था। पर्स नहीं खोला, पर्स की एक अंदर की जगह मैंने कंडोम रखे हुए थे, दो कंडोम निकाले मैंने, पर्स लपेटा, कंडोम जेब में रख गया और एक मिनट और चुप्पे लगाए, और कंडोम लगाया सीट को बंद करके उस पर घुटने टिका घोड़ी बन गया।

उसने झटका दिया फच फच करता हुआ आधा लुल्ला घुस गया। उसने दूसरे झटके में लगभग पूरा डाल दिया था। थोड़ा दर्द हुआ पर जब वो चोदने लगा तो सारा दर्द उड़ने लगा, देखते देखते मस्ती छाने लगी। करीब तीन चार मिनट में उसका माल गिरने लगा। मैं भी खुश था, वह भी खुश था। उसने कंडोम उतार और लंड मुँह में घुसा दिया, बोला- अभी तसल्ली नहीं हुई, एक बार और ठोकूँगा, चूसता जा !

मैं चूसता गया, उसका सात आठ मिनट में खड़ा हो गया था, कंडोम लगाया और करीब आठ दस मिनट उसने मेरी गांड मारी, अचानक से मिले उस लंड ने मुझे अलग सा ही मजा दिया।
उसने मुझसे अपना नंबर भी दिया।

जल्दी ही कोई चुदाई हुई तो वो आपके सामने लाऊँगा।

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